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Wednesday, 31 March 2021

मुफ्त में उगाए ऑरगेनिक टमाटर नीलम भागी Organic Tomato from Kitchen waste Neelam Bhagi

 




14’’इंच का मेरे पास कोई गमला नहीं था और टमाटर की पौध 4’’की हो गई । मैने कम्पोस्ट बिन जो आधा रह गया था ठंड के कारण कम्पोस्ट अभी पूरी तरह नहीं बना था। उसमें ही मैंने 60% मिट्टी 40% वर्मी कम्पोस्ट और दो मुट्ठी नीम की खली मिलाकर कम्पोस्ट पर इस पॉटिंग मिक्स को 6’’ भर दिया। और हाथों से अच्छी तरह दबा दिया। 12’’ की दूरी पर एक बिन में दो टमाटर के पौधे लगाए और पानी देकर दो दिन तक छाया में रखे। जहां सुबह की हल्की धूप आती है। ये जम गए तो  इनकी जगह बदल दी जहां आठ घंटे सीधी धूप आती है। तीनों टमाटर के पॉट एक साथ रखे। बीस दिन बाद इसमें अण्डे के छिलके डाल दिए। एक महीने बाद फूल आने लगे और पौधों में खूब टमाटर लग रहे हैं। सहारे के लिए मैंने डण्डी गाड़ कर पौधे को सहारे के साथ सूती पट्टी से बांध दिया हैं। अभी तक तो कोई खाद नहीं दी। जड़े शायद जो रसोई के कचरेे से कम्पोस्ट बन रहा था, वहीं से पोषण ले रहीं हैं


। पौधे को फल के समय ज्यादा पोषक तत्वों की जरुरत होती है पर यहां तो मुझे फल और पौधा दोनों स्वस्थ लग रहें हैं। कुछ पत्तियों पर सफेद धारियां सी आ गई हैं। उन्हें निकाल कर नीम ऑयल का स्प्रे करुंगी। अपने हाथ से लगाए टमाटरों को देख कर मन बहुत खुश होता है। दिन में दो बार छत पर इन्हें देखने जाती हूं। 

टमाटर लगाने का तरीका जानने के लिए इस लिंग पर जाएं  

https://neelambhagi.blogspot.com/2021/02/organic-tomato-from-kichen-waste-neelam.html

मुझे करोना हो गया था 2 महीने तक मैं छत पर नहीं गई जब गई, देखा सारे मेरे पौधे सूखे हुए थे बस एक सुखा टमाटर का पौधा टंकी की साइड में ,उस पर लाल लाल सूखे टमाटर लगे हुए थे पर कोई टमाटर गला हुआ नहीं था शायद मेरी मेहनत का इनाम देने के लिए वह बचे थे बंदरों से। उसे सब्जी में डाला उस सब्जी का स्वाद में लिख नहीं सकती, बहुत ही लजीज सब्जी बनी। इन टमाटरों को मैंने भून कर नहीं डाला। ऐसे ही डाल दिया था सब्जी में। पता नहीं धूप में ड्राई होने से इनका स्वाद बेहद  लजीज था। जिस भी सब्जी में डालते सब्जी का स्वाद दुगना हो जाता।



Sunday, 28 March 2021

श्वेता का संडे स्पैशल इडली नीलम भागी Shweta"s Sunday Special Idli Neelam Bhagi

घर आते ही श्वेता ने 3 कप बासमती टुकड़ा चावल अच्छी तरह धोकर भिगो दिया। इसी कप से एक कप से नाप कर उड़द की धुली दाल ली और उसमें एक छोटा चम्मच मेथी दाना डाला और धोकर चावल से अलग बर्तन में भिगो दिया। चार घण्टे के बाद दोनों को पीस कर एक बड़े बर्तन में मिला लिया। बर्तन के बाहर जहां तक घोल था, मार्कर से निशान लगा कर फरमटेशन के लिए रख दिया। मैंने श्वेता से निशान लगाने का कारण पूछा तो उसने बताया,’’ जब बैटर फूल कर डबल हो जायेगा तब इडली बनाना शुरु करुंगी। निशान से याद रहता है कि बैटर दुगुना हो गया है। गर्मी में जल्दी दुगुना हो जाता है। सर्दी में समय लगता है इसलिए सर्दी में वह बैटर को गैस के पास ही रखती है। सुबह बैटर दुगुना हो गया था। उसने इसमें नमक हल्के हाथ से मिला कर बैटर को इडली सांचों में घी लगा कर भरना शुरु किया और बर्तन में थोड़ा पानी डाल कर गैस जला दी। इडली स्टैण्ड को बर्तन में रख कर बंद कर दिया। 12 मिनट बाद खोला तो फूली फूली भाप छोड़ती इडलियां तैयार थीं।





नारियल की चटनी, हरी चटनी और टमाटर की चटनी के साथ हम सब इडलियों का आनन्द उठा रहे थे। शाश्वत ने खाना छोड़ दिया। श्वेता ने न खाने का कारण पूछा तो वह मेरी तरफ देख कर बोला,’’मैं तो आलू मेथी की सब्जी के साथ रोटी खाउंगा।’’ सुनते ही मैंने खुशी से पूछा,’’ये हरी सब्जी़ खाने लगा!!’’ अंकुर ने धीरे से मेरे कान में कहा कि आपको दिखाने के लिए तो डिमाण्ड रखी है। फ्रिज में थोड़ी आलू मेथी की सब्ज़ी रखी थी। श्वेता ने इसी बैटर से एक चीले जैसा डोसा बना कर, उसमें मेथी की सब्ज़ी भर कर रोल करके उसे दिया। उसने खुश होकर अपना संडे स्पैशल खाया। 

            


Saturday, 27 March 2021

एक मिनट में मुफ्त का ग्रो बैग बनाएं और उगा कर खाएं नीलम भागी Making your own Grow Bags Neelam Bhagi

हमारी रसोई से कुछ कचरा तो प्रतिदिन निकलता है। जैसे दूध की थैली, आटे चावल की थैली आदि। इसे फैंकना ही है। पर मैं जो भी प्लास्टिक फेंकना होता है उसे गार्डिनिंग में इस्तेमाल करके फेंकती हूं। इसमें मैं पौध तैयार करती हूं। थैलियों को स्टैपलर करके ग्रो बैग बना लेती हूं। कैसे बनाती हूं। आप विडियो देखिए।


ये ग्रो बैग बागवानी सीखने के लिए भी अच्छे हैं। शुरुवात में बढ़िया बीज पत्तेदार सब्ज़ियों के खरीदें और मिट्टी अच्छी तैयार करें। इन मुफ्त के ग्रो बैग में डेनेज होल करें और लगाएं। परिणाम अच्छा मिलेगा। बागवानी का  शौक तो लगेगा ही फिर  जैसे चाहे पसंद के कंटेनर खरीदें। 




Friday, 26 March 2021

किताबें भी उदास हैं!! नीलम भागी

उदास फिरता है, अब मौहल्ले में बारिश का पानी।

कश्तियां बनाने वाले बच्चे, मोबाइल से इश्क़ कर बैठे।

सोशल मीडिया पर ये पंक्तियां पढ़ ही रही थी कि शाश्वत का मुझे फोन आया,’’ नीनो चार दिन हो गये मेरे इग्जा़म खत्म हुए।  खुल्ला दिन(इसमें पढ़ने को नहीं कहा जाता, शाश्वत की मर्जी चलती है, मोबाइल सिर्फ एक घण्टा) मिला था। जितनी घर में किताबें हैं वो सब पढ़ चुका हूं। लाइब्रेरी पापा शनिवार से पहले नहीं ले जा सकते। लॉकडाउन से मेरी आठों किताबें भी घर पर रखी हैं।’’मैंने जवाब दिया,’’तैयार हो जा, मैं लेने आ रही हूं और आज तेरी लाइब्रेरी भी देख लूंगी।’’मैं तैयार हो रही थी और दिमाग में याद चल रही थी। मेरी बड़ी बहन डॉ.शोभा सप्रु हाउस लाइब्रेरी पढ़ने जाती थी। वे अर्पणा, उत्त्कर्षिनी, आशुतोष और अभिजात को डॉ. बी. सी.रॉय लाइब्रेरी ले जातीं।


जब लौटते तो सबके हाथों में लाल ज़िल्द की दो दो किताबें होतीं। अभिजात छोटा था पढ़ना नहीं जानता था। अपनी पसंद की वह तस्वीरों वाली किताबें लेता था। बड़े तीनों आपस में बदल  कर 6 किताबें चाट जाते और मिलकर अभिजात को समझाते कि वे उसके लिए बुक पसंद करेंगें और पढ़ कर कहानी भी सुना देंगे। पर वह उनके झांसे में नहीं आता। वह जवाब देता कि आप 8 बुक्स पढ़ना चाहते हो। अब छठी में पढ़ने वाला शाश्वत आठ किताबें लेता है जिसमें 2 किताबें, K G. में पढ़ने वाले अदम्य के लिए होती हैं। शाश्वत के पास पहुंचने तक उसके तीन फोन आ गए थे। डोर बैल बजाने से पहले ही उसने दरवाजा खोल दिया। खाना, पानी, किताबें, मैट्रो कार्ड आदि सब लेकर तैयार वह लाइब्रेरी जाने को तैयार खड़ा था। अंकुर ने मुझे बिठाया, अदम्य ने जो जो उसकी पाककला में लाजवाब, नानी होली के पकवान लाई थी। मेरे खाने के लिए लाता जा रहा था। उस समय मुझे शाश्वत में उत्त्कर्षिनी नज़र आ रही थी। वह भी लाइब्रेरी जाने के लिए शोभा मासी का बेसब्री से इंतजार करती थी। घर से निकलते ही उसकी खुशी देखने लायक थी। मैं पहली बार जा रही थी। मैट्रो स्टेशन से बाहर आते ही अब वह मुझे लेकर जा रहा था। लाइब्रेरी में अंदर जाते ही उसने खुशी से किताबों को निहारा।

एक साल बाद जो यहां आया था। मुझे कहा आप बैठिए। कुछ देर एक्वेरियम के पास बैठा देखता रहा।


आठ किताबें निकालीं। जो मासिक पत्रिका आती है। वह कोरोना काल में घर नही पहुंची। अपना नाम एड्रेस देख देख कर एक साल की निकालीं। आते समय अंकुर ने कहा था कि ये लाइब्रेरी बंद होने पर ही वहां से आता है। आज ये क्या!! किताबें, मैग्ज़ीन सब बैग में रखकर बोला,’’चलिए नीनों।’’मैं हैरान होकर इसके पीछे चल दी। लाइब्रेरी में कोई भी बच्चा नहीं था। इतने समय ना ही कोई आया! बाहर आते ही मैट्रो स्टेशन के गेट न 2 की स्लैब पर बैठ गया, मैं भी बैठ गई।

लंच किया। सब मैग्ज़ीन को कवर से निकाल कर क्रम से लगाया। अब किताब पढ़ने बैठ गया। ट्रैफिक के शोर, लोगों के आने जाने से बेख़बर वह लाल कवर की पुस्तक के काले शब्दों में खोया हुआ था। और मैं सोच रही थी कि लाइब्रेरी से इसे बड़ी मुश्किल से घर लाते थे। आज ये सड़क पर बैठ कर पढ़ रहा है। शायद कोरोनाकाल में घरों में बंद रहने के कारण ये कहीं भी बंद रहना नहीं चाह रहा था। किताबें भी तो उदास हैं। बच्चे उनसे इश्क़ करेंगे तो वे भी उनके साथ बाहर आयेंगी न।  



Thursday, 25 March 2021

पौदीना मूंगफली चटनी बनाना और पोदीने की चाय बनाना नीलम भागी Podina Groundnut chuteny & Mint Tea Neelam Bhagi



  


 पौदीना खुश्बूदार, अनोखे स्वादवाला, स्वास्थ्यवर्धक, बारहमासी हर्ब है। विटामिन ए, सी,  कैल्शियम, सोडियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम युक्त पौदीने के पत्ते की चटनी बनाना बहुत आसान है। इसे बनाने के लिए आधा कप पौदीना पत्ता, 4 कली लहसुन, दो हरी मिर्च, 1’’अदरक का टुकड़ा, दो मीडियम साइज़ के प्याज, छोटे नींबू के साइज़ की इमली ली। इमली को भिगो लें। 4 चम्मच मूंगफली के दाने कच्चे भी डाल सकते हैं।




भूने हुए छिलका उतार कर भी डाल सकते हैं। पौदीना पत्ता, अदरक, लहसून, मिर्च, प्याज सबको धो कर ग्राइंडर में मूंगफली के साथ डाल लें। इमली में यदि कोई बीज है तो उसे निकाल कर इसे भी डाल दें। स्वादानुसार नमक मिलाकर बारीक पीस लें। ओवरवेट वालों के लिए चटनी तैयार है। इसे सब खीरा, ककड़ी, गाजर, मूली, टमाटर आदि किसी के भी साथ खा सकते हैं। प्याज लहसुन नहीं खाते तो न डालें।

पौदीने की चटनी में तड़का की जरुरत नहीं होती।

पौदीने की चाय 


चटनी बनाने में पौदीने की पत्तियों का इस्तेमाल करने के बाद डण्डियों को सूखा कर रख लेती हूं। इसे चाय बनाते समय चाय के पानी में चाय पत्ती के साथ उबालती हूँ। चीनी और दूध मिला कर अच्छी तरह उबाल कर कप में छान लेती हूं। चाय में पौदीने का हल्का सा फ्लेवर आ जाता है। जो अच्छा लगता है। 


 

मेरे यहां हमेशा गमलों में पौदीना लगा रहता है। आप भी लगााएं लिंक पर जाएं।

पौदीना एक बार लगाएं, जब जी चाहे खाएं  https://neelambhagi.blogspot.com/2018/04/blog-post.html?m=1

सर्दी से पौदीना बचाना https://neelambhagi.blogspot.com/2021/02/blog-post.html

पौदीने को घना करना https://neelambhagi.blogspot.com/2021/03/blog-post.html 


Tuesday, 23 March 2021

झटपट करी पत्ता, मूंगफली चटनी बनाना नीलम भागी Curry Leaves chutney with groundnut Neelam Bhagi

विटामिन सी, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन युक्त मुलायम करी पत्ते की चटनी बनाना बहुत आसान है। इसे बनाने के लिए 1 कप करी पत्ता, 4 कली लहसुन, दो हरी मिर्च, 1’’अदरक का टुकड़ा, छोटे नींबू के साइज़ की इमली ली। इमली को भिगो लें। 4 चम्मच मूंगफली के दाने कच्चे भी डाल सकते हैं।






भूने हुए छिलका उतार कर भी डाल सकते हैं। करी पत्ता, अदरक, लहसून, मिर्च सबको धो कर ग्राइंडर में मूंगफली के साथ डाल लें। इमली में यदि कोई बीज है तो उसे निकाल कर इसे भी डाल दें। स्वादानुसार नमक मिलाकर बारीक पीस लें। ओवरवेट वालों के लिए चटनी तैयार है। इसे खीरा, ककड़ी, गाजर, मूली आदि किसी के भी साथ खा सकते हैं।

तड़का

तड़का पैन में अपनी पसंद का घी या तेल गर्म करके उसमें सरसों के दाने साबुत लाल मिर्च डालें और 1 चम्मच उड़द की दाल डालें। सरसों चटक जाये, दाल सुनहरी हो जाए तो इस तड़के को चटनी पर डाल कर इस चटनी का आनन्द उठाएं।


  


Sunday, 21 March 2021

लाल साग, लाल चौलाई उगाना नीलम भागी Health Benefits of Amaranth Leaves Neelam Bhagi


ज्यादातर साग, हरी पत्तेदार सब्ज़ियां सर्दियों में होतीं हैं। लेकिन हरी और लाल चौलाई गर्मी और बरसात में खूब होती है। मैं अपने यहां के बीज की लोकल दुकान से लाल चौलाई का पैकेट खरीद कर लाई। पहली बार बो रही थी। इसलिए कैसे बोना है? ये भी दुकानदार से समझा। जो भी समझा उसे अपनी मैमोरी में फीड करके आ गई। जैसे कोई नया कपड़ा खरीद कर उसे तुरंत पहनने को बेचैन हो जाता है, ऐसे ही मैं बीज घर में लाते ही तुरंत बोने की तैयारी में लग जाती हूं। पर उस समय मेरे पास कोई कंटेनर नहीं था। दुकानदार ने कहा था कि इसके लिए गहरे पॉट की जरुरत नहीं है। मैंने सोचा घर में होंगे इसलिए पॉट नहीं खरीद कर लाई।

अब सामने जो डब्बा, थैली, बोल दिखा उसमें ही ड्रेनेज होल करके बोने की तैयारी करने लगी। 50% मिट्टी, 40% वर्मी कम्पोस्ट और 10% रेत मिला कर पॉटिंग मिक्स तैयार करके डब्बा, थैली और बोल में भर दिया। इस पर बहुत थोड़े बीज छिड़क दिए। ताकि उगने वाले सभी पौधों को उचित स्पेस मिले। और हल्के हाथों से थपथपा कर दबा दिया। अब इन बीजों को हल्की मिट्टी से ढक दिया। पानी अच्छी तरह दे दिया ताकि बीज सैट हो जायें। 5 से 6 दिनों में अंकुरण भी हो गया। थैली वाली चौलाई थैली के अंदर हरे रंग की बढ़ने पर बाहर आते ही लाल होनी शुरु हो गई है। बोल और डब्बे की लाल ही हैं।

खनिज विटामिनो से भरपूर, उगाने में आसान चौलाई को उगता देखकर, अब मैंने जमीन पर क्यारी तैयार करके बोया है।   


किसी भी कंटेनर या गमले में किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती आदि सब भरते जाओ और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा के 6 इंच किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।   

1 मिनट में मुफ्त का ग्रो बैक बनाएं। सीखने के लिए क्लिक करें https://youtu.be/RsfCymsbTDk

रागी अप्पम श्वेता का संडे स्पैशल नीलम भागी Ragi Appe Shweta's Sunday Special Neelam Bhagi

 


रागी जिसे नाचनी और मंडुआ भी कहते हैं। ये फाइबर युक्त, कैल्शियम, आयरन, जिंक, मैग्नीश्यिम से भरपूर इसके आटे से श्वेता कई तरह से अप्पे बनाती है। इसमें बदल बदल कर सब्ज़ियां डालती है। ये झटपट पौष्टिक अप्पम बच्चों को बहुत पसंद हैं। ये सोच कर पहली बार इसे सूजी के साथ बनाया कि शायद रागी के न खायें। इसके लिए उसने एक कप रागी का आटा, एक कप सूजी, आधा कप दही मिलाया। इसका घोल तैयार करने में जितने पानी की जरुरत थी, उतना इसमें मिला लिया। इस घोल को एक घण्टे के लिए रख दिया। अब तड़का पैन में तेल गर्म किया उसमें सरसों, करी पत्ता भूना फिर बारीक कटा प्याज डाल कर सुनहरा होने तक भूना और इस तड़के को घोल में डाल दिया। अब इसमें बारीक कटी शिमला मिर्च, गाजर मिला कर नमक डाल दिया। एक घ्ण्टा रखने से जितना सूजी ने फूलना था, फूल गई।


बच्चे अगर मिर्च खाते हैं तो तड़क में डालें। श्वेता नहीं डालती पर हरी चटनी तीखी बना लेती है। अप्पम पात्र को गैस पर रख कर  थोड़ा तेल सब में डाल कर इस घोल को उसमें डाल कर 5 मिनट तक मीडियम आंच पर गैस पर रखा। फिर पलट दिया।



अच्छी तरह सिकने पर निकाल लिया। बच्चों ने इमली की मीठी चटनी के साथ बड़े स्वाद से खाये। हमने तीखी हरी चटनी और नारियल चटनी के साथ खाए। बच्चों को पसंद हैं। इसलिए अब श्वेता रागी आटे के घोल में सूजी की जगह कभी चैथाई कप चावल का आटा या बेसन या दाल भिगो कर पीस कर मिला लेती है। इसमें सब्ज़ियां भी बदल देती है। हर बार नया स्वाद देती है। जब सूजी नहीं डालती तब तुरंत बना लेती है|     


Monday, 15 March 2021

मूंग दाल चुकंदर चीला, श्वेता का संडे स्पैशल नीलम भागी Shweta Sunday Special Neelam Bhagi

 

जरुरत के अनुसार छिलका रहित मूंग की दाल को अच्छी तरह धोकर तीन घंटे के लिए भिगो दिया। अगर जल्दी चाहिए तो गर्म पानी में भिगो दें। गर्म पानी में ये एक घंटे में चीला बनाने के लायक हो जाती है। दाल नरम होने पर  पानी से निकाल कर ग्राइंडर में बिना पानी के डाल दिया। यदि एक कप दाल है तो इसमें एक हरी मिर्च, आधा इंच अदरक, चुटकी भर हींग और आधा चम्मच कच्चा जीरा डाल कर पीस लिया। बहुत जरुरत पड़ने पर ही पानी डाला। इस बारिक पेस्ट को निकाल लिया। इस पेस्ट में बहुत बारीक कटा, प्याज, चुकंदर, हरा धनिया और स्वादानुसार नमक डाल कर अच्छी तरह मिला कर 15 मिनट के लिए रख दिया। ये सब्ज़ियां पानी छोड़ देंगी। यदि फिर भी जरुरत पड़े तब पानी मिला लें।


तवा गर्म करके जो भी घी तेल खातें हैं, उसे तवे पर लगा कर चीले का घोल डाल कर फैला दिया

दोनों ओर से सेक कर ये रंगीन चीला हरी चटनी के साथ श्वेता ने शाश्वत अदम्य को परोसा। रंग देख कर दोनों ने मुंह में डाला। बहुत स्वाद लगा अब, तो जी भर के खाया। ये पौष्टिक चीला अब उनकी पसंद बन गया है। अब वह सब्ज़ियां बदल देती है। एक कप दाल में भिगोते समय उसमें चौथाई कप चने की दाल भी मिला देती है। इसका स्वाद अलग लगता है। बच्चों को पसंद आता है। दाल और सब्जी़ नये रुप रंग और स्वाद में उनकी डाइट में शामिल कर श्वेता को बहुत खुशी मिलती है।  श्वेता  प्रोफेशनल कुक तो है नहीं जो सब्जियां मिलाकर भी एकदम  गोल बनेगा। आकार चाहे जैसा मर्जी हो पर स्वाद में कमी कोई नहीं है।


 


Wednesday, 10 March 2021

फ्रेंच बीन उगाना नीलम भागी How to Grow & care for French beans Neelam Bhagi




गुणकारी फ्रेंचबीन उगाने के लिए मैंने हाइब्रिड बीज मंगाए वो तो राजमा थे। मैंने रसोई के कचरे से आधे भरे कंटेनर में ये तैयार मिट्टी भरी। इसमें 50% मिट्टी, 40% वर्मी कंपोस्ट(गोबर की खाद भी ले सकते हैं) और 10% रेत को अच्छी तरह मिलाया। बीजों को 12 घंटे पानी में भिगो कर रखा था। बाद में पानी फेंक दिया और मोटे सूती कपड़े में बीजों को बांध दिया। कपड़े को गीला रक्खा। 48 घण्टे बाद इसमें अच्छे से अंकुरण हो गया। अब इन अंकुरित बीजों को 14’’ के गमलों में उचित दूरी पर आधा इंच गहरा गाड़ दिया। इससे ये कम समय में पौधे बन गए। पानी इसमें इतना लगाना है कि बस नमीं बनी रहे। 15 दिन बाद इसमें थोड़ी थोड़ी वर्मी कंपोस्ट डालती रही। गमले हरे पत्तों से भर गए।


एक महीने बाद इसमें फूल आ गए। इसके पास धनिया लगा हैं। धनिए के फूलों की महक से वहां शहद की मक्खियां आती हैं। अब इन फूलों पर भी आने लगीं। गुड़ाई करके अण्डे के छिलकों का पाउडर भी डाला। बींस आने लगीं हैं। जिसकी अब तक सब्जी नहीं बनाई है। कोई कीटनाशक तो डाला नहीं। खुद से उगाईं हैं बहुत स्वाद हैं। सलाद, सैण्डविज, अप्पम आदि में डालती हूं। धनिए का मौसम जा रहा है। उसके बीच बीच में कुछ राजमा रसोई से लेकर बो दिए। पौधे निकल आएं हैं। देखती हूं ये भी हाइब्रिड बीजों की तरह फल देते हैं या नहीं। अच्छा रिजल्ट आने पर मैं जरुर आपसे शेयर करुंगी। कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, घुलनशील फाइबर युक्त और कालेस्ट्रॉल को कम करने वाला राजमा फ्रेंचबीन आपको भी उगाना चाहिए।   

    
रसोई के कचरे का सदुपयोग

किसी भी कंटेनर या गमले में सूखी पत्तियां टहनियां उस पर किचन वेस्ट, फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती आदि सब भरते जाओ और और बीच-बीच में वर्मी कंपोस्ट से ढकते रहो। जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा के 6 इंच किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।