घर आते ही श्वेता ने 3 कप बासमती टुकड़ा चावल अच्छी तरह धोकर भिगो दिया। इसी कप से एक कप से नाप कर उड़द की धुली दाल ली और उसमें एक छोटा चम्मच मेथी दाना डाला और धोकर चावल से अलग बर्तन में भिगो दिया। चार घण्टे के बाद दोनों को पीस कर एक बड़े बर्तन में मिला लिया। बर्तन के बाहर जहां तक घोल था, मार्कर से निशान लगा कर फरमटेशन के लिए रख दिया। मैंने श्वेता से निशान लगाने का कारण पूछा तो उसने बताया,’’ जब बैटर फूल कर डबल हो जायेगा तब इडली बनाना शुरु करुंगी। निशान से याद रहता है कि बैटर दुगुना हो गया है। गर्मी में जल्दी दुगुना हो जाता है। सर्दी में समय लगता है इसलिए सर्दी में वह बैटर को गैस के पास ही रखती है। सुबह बैटर दुगुना हो गया था। उसने इसमें नमक हल्के हाथ से मिला कर बैटर को इडली सांचों में घी लगा कर भरना शुरु किया और बर्तन में थोड़ा पानी डाल कर गैस जला दी। इडली स्टैण्ड को बर्तन में रख कर बंद कर दिया। 12 मिनट बाद खोला तो फूली फूली भाप छोड़ती इडलियां तैयार थीं।
नारियल की चटनी, हरी चटनी और टमाटर की चटनी के साथ हम सब इडलियों का आनन्द उठा रहे थे। शाश्वत ने खाना छोड़ दिया। श्वेता ने न खाने का कारण पूछा तो वह मेरी तरफ देख कर बोला,’’मैं तो आलू मेथी की सब्जी के साथ रोटी खाउंगा।’’ सुनते ही मैंने खुशी से पूछा,’’ये हरी सब्जी़ खाने लगा!!’’ अंकुर ने धीरे से मेरे कान में कहा कि आपको दिखाने के लिए तो डिमाण्ड रखी है। फ्रिज में थोड़ी आलू मेथी की सब्ज़ी रखी थी। श्वेता ने इसी बैटर से एक चीले जैसा डोसा बना कर, उसमें मेथी की सब्ज़ी भर कर रोल करके उसे दिया। उसने खुश होकर अपना संडे स्पैशल खाया।
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