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Saturday, 17 July 2021

मजदूरी और मोबाइल स्वरोज़गार नीलम भागी

 


बड़ा संयुक्त परिवार है मुझे छोड़ कर सभी समय बद्ध व्यस्त हैं। इसलिये जब भी किसी को प्रतियोगी परीक्षा या अन्य कोई भी परीक्षा देने जाना हो तो मैं ही साथ जाती हूं। परीक्षार्थी परीक्षा देने चल देता है और मैं बाहर बैठी कोई किताब पढ़ने लग जाती हूं या किसी से बतियाने लग जाती हूं। सेंटर में प्रवेश के समय एक सीन हमेशा दिखाई देता है मसलन कोई प्रवेश पत्र, परिचयपत्र, आधार कार्ड आदि भूल आया या कुछ और। आसपास कोई मार्किट भी नहीं होती, वैसे भी सुबह सुबह कोई दुकान भी नहीं खुली होती। छात्र या प्रतियोगी को एक्जामिनेशन हॉल में नहीं जाने दिया जाता और घर भी दूर होता है। किसी के पास मोबाइल में इसकी फोटो होती है तो कोई घर से फोटो मोबाइल पर मंगवाता है। पर प्रिंट कहां से करवाए!! इस बार मैंने गौर किया कि सड़क पार पेड़ के नीचे एक तीन पहिए वाला साइकिल ठेला खड़ा रहता है और उसके आसपास बदहवास से कुछ लोग खड़े होते हैं। परीक्षा शुरु होने के बाद उसके ठेले के पास कोेई नहीं दिखता, तब वह गद्दी पर बैठ कर साइकिल ठेला चलाता हुआ चला जाता है। इस बार मुझे जानने की उत्सुकता जगी कि ठेले पर क्या होता है? ठेला हमेशा सेंटर से दूरी बना कर खड़ा होता है ताकि आने जाने वालों को परेशानी न हो। मैं भी सड़क पार कर देखने गई। देखकर हैरान रह गई। मजदूर टाइप लड़का, उसने ठेले पर लैपटॉप, प्रिंटर, इनर्वटर लगा रखा था। जिसे जो भी चाहिए उसका प्रिंट निकाल देता। उसका कम से कम बीस रू एक पेज प्रिंट का रेट था। पैसे देते समय सब के चेहरे पर एक भाव होता की काम हो गया। कोई कोई कहता दो रूपये के काम के तुम बीस रूपये ले रहे हो। वो कोई जवाब नहीं देता। क्योंकि थोड़े समय में ही उसे कमाना है। बहस में पड़ कर वह अपना नुकसान नहीं करता। सेंटर का गेट बंद होते ही वह बिल्कुल खाली हो गया। मैंने पूछा,’’तुम्हारी दुकान किधर है? वह बोला,’’जहां परीक्षा होती है उसके सेंटर के आगे एक्ज़ाम शुरू होने से पहले ठेला लगा लेता हूं। मैंने पूछा,’’परीक्षाएं तो रोज नहीं होतीं बाकि दिन क्या करते हो?’’उसने जवाब दिया,’’लेबर का काम करता हूं। पढ़ा लिखा हूं कोई कौशल तो है नहीं। मजदूरी में कौशल की जरुरत नहीं है। हां शाम को पाँच सौ रूपये मिल जाते हैं। पर इसमें कुछ ही समय में अच्छे पैसे बन जाते हैं। और हाथ पैर भी मार रहा हूं, कुछ बेहतर करने के लिए।’’ यह कह कर वह चल दिया मुझे लगा कि वह अपनी कहानी सुनाने में अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहता था।          


3 comments:

Good Indian Girl said...

Bahut bahut badhiya.

Neelam Bhagi said...

हार्दिक आभार

Neelam Bhagi said...

हार्दिक आभार