हुआ यूं कि हमारे साथियों ने धार्मिक जुलूस का स्वागत करना था और सभी श्रद्धालुओं को हलुआ, काले चनेे और चाय का जलपान करवाना था। हलवाई ने छोले उबाल कर चनों को अलग करके उसमें बहुत बढ़िया छौंक लगाया और पानी हमेशा की तरह अलग रख दिया। चार लोग जो जलपान की व्यवस्था में लगे थे। उनमें से एक बोला,’’चनों से ज्यादा, चनों के इस उबले पानी में ताकत होती है। घर में भी तो हम इसे फैंकते नहीं है। इसी से चने की ग्रेवी बनती है।’’उनके ऐसा कहते ही चारों ने एक एक गिलास उबले चने का निकला पानी पिया। जो बचा उसे भी थोड़ा थोड़ा आपस में बांट कर पी लिया। काला पानी उन्हें आयरन से भरपूर टाॅनिक लग रहा था। पीते ही उनमें गज़ब की फुर्ती का संचार हुआ और मन की खुशी के कारण चेहरे पर रौनक भी आ गई थी।
पर ये क्या!! जलूस का स्वागत हुआ। जलपान की सबने तारीफ़ की। लेकिन वे चारो, चना टाॅनिक पीने वाले, कहीं दिखाई नहीं दिए। बाद में पता चला कि बहुत अधिक मात्रा में छोले उबालने के लिए मीठा सोडा भी तो उसी अनुपात में डाला गया था। जो चना टाॅनिक के द्वारा इन चारों के पेट में जाकर, उत्पात मचाने लगा। जिसके कारण इन्हें बार बार हाज़त रफा करने के लिए टाॅयलेट जाना पड़ रहा था। अब पाठक ही बताएं, इन हालात में किसी को भी जुलूस का स्वागत सूझाता है भला!! न..न..न..
पहले छोले भिगोते समय या उबालते समय मीठा सोडा डालती थी। लेकिन अब मैं कभी भी छोले उबालते समय बेकिंग सोडा वगैरहा नहीं डालती।
इस घटना से पहले मैं सफेद छोलों में भिगोते या उबालते समय थोड़ा सा मीठा सोडा डालती थी। फिर लोहे की कढ़ाई में छौंक लगाती तो वे काले हो जाते थे।
लेकिन इसके बाद छोले धोकर कम से कम 6 घण्टे भिगोकर, उसी पानी में प्रेशर कुकर में दो चम्मच चाय पत्ती की पोटली बांध कर डाल देती थी। जैसी ही प्रेशर से सीटी नाचने लगती या एक सीटी बजने लगती तो गैस बिल्कुल स्लो करके सीटी का बजना रोक कर 25 मिनट तक मंदी आंच में पकने देती। बाद में गैस बंद करके प्रेशर खत्म होने पर चाय की पोटली निकाल कर, काले छोले छौंक देती।
फिर चाय की पोटली की जगह सफेद चने उबालते समय एक आंवला डाल देती। उबलने के बाद कुकर खोलते ही काले चनों में से आंवला निकाल कर फेंक देती। इसके लिए साल भर आवंला सूखा कर रखती हूं। कई बार आंवले के टुकड़े छोलों में बिखर जाते तो उन्हें निकालना पड़ता पर कुछ मुश्किल नहीं।
अब मैं अनार के छिलके बिल्कुल नहीं फैंकती। छोले उबालते समय अनार के छिलके का टुकड़ा उसमें डाल देती हूं। उबालने के बाद कुकर खोलते ही ऊपर छिलका रखा होता है उसे निकाल लिया। काबुली चने काले हो जाते हैं बिल्कुल मुफ्त में गज़ब की रंगत!!फिर छौंक दिए। ज्यादा काले करने हैं तो ज्यादा छिलका डाल दो। कम करने हैं तो कम। आधा किलो छोले में आधा अनार का छिलके से बिल्कुल काले हो जाते हैं बाकी इस हिसाब से आप बनाते समय डालें।
नीलम भागी
3 comments:
Arey wah main bhi try karungi
हार्दिक आभार
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