फिल्म फेयर 2023 के पुरुस्कार समारोह में मैं बैठी अपने आस पास देश की नामी हस्थियों को देख रही थी। इन्हेें मैंने स्क्रीन पर, अखबारों में, रजत पटल पर ही देखा था। हम जहाँ बैठे थे वहाँ वे ही व्यक्तित्व बैठे थे, जिनका नॉमिनेशन किसी न किसी कैटागिरी में था या जिनके हाथों से विजेताओं को पुरुस्कृत किया जाना था। आज साक्षात देख कर मैंने उत्त्कर्षिनी वशिष्ठ(बेस्ट डॉयलॉग लेखन के लिए ज़ी सिनेमा अर्वाड, आइफा अवार्ड बेस्ट डॉयलॉग लेखन और बेस्ट स्क्रीन प्ले के लिए आइफा अवार्ड, 69वें नेशनल फिल्म अर्वाड बेस्ट डॉयलॉग लेखन और बेस्ट स्क्रीन प्ले लेखन उसके द्वारा लिखित पहली फिल्म गंगुबाई काठियावाड़ी पर सरबजीत आदि बाद में लिखी ) से कहा,’’बेटी, यहाँ जिसे भी देख रहीं हूँ, उन्होंने यहाँ तक आने में कितनी मेहनत की होगी! तुझे तो लेखन में लीन देख कर मुझे लगता था कि तपस्या इसे ही कहते हैं। तेरे कारण मैं यहाँ बैठी हूँ।’’सुनते ही बेटी ने जवाब दिया,’’माँ, बचपन में आपने जिस तरह से बाल साहित्य से मुझे परिचय करवा कर पढ़ने की आदत डलवाई थी, मैं उसका प्रॉडक्ट हूँ और आपके कारण यहाँ नामित हूँ।’’ हम समय से पहुँच गए थे। सैलिब्रिटी का इंतजार हो रहा था और मेरे ज़हन में भारत के बाल साहित्य पर शोध चल रहा था। जिसकी बुनियाद जीविका के लिए किया गया मेरा संर्घष था। क्रमशः
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