रक्षा बंधन मनाने के पीछे हमारे पूर्वजों की बहुत प्यारी सोच है। गांव की बेटी, दूसरे गांव में ब्याही जाती है। उसके सुख दुख की खबर भी रखनी है। माता पिता सदा तो रहते नहीं हैं। उनके बाद भाई बहन की सुध लेता रहे। इस त्यौहार पर भाई के घर बहन आती है या भाई, बहन के घर राखी बंधवाने जाता है। बहन भाई का यह उत्सव परिवारिक मिलन है। प्रेम का प्रतीक रक्षा बंधन सावन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। भगवान कृष्ण ने जब शिशुपाल का वध किया था तो उनकी अंगुली से रक्त बहता देखकर द्रोपदी ने अपनी साड़ी चीर कर उसका टुकड़ा उनकी अंगुली पर बांधा था। तभी से रक्षा बंधन मनाने की परंपरा है। अब छोटे परिवार हैं। कहीं दो भाई हैं, कहीं दो बहने हैं। उत्कर्षिणी जब भारत में होती है तो संयुक्त परिवार होने से सब बहन भाई एक दूसरे को राखी बांधते हैं। जब अमेरिका में होती है तो त्योहार भारत की तरह मानते हैं। राखी गीता और दित्या एक दूसरे को बांधती हैं।#Rakshabandhan
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