69वें नेशनल फिल्म अवार्ड में, गंगुबाई कठियावारी के बेस्ट स्क्रीन प्ले और बेस्ट डायलॉग लेखन का अवार्ड लेने के लिए उत्कर्षनी भारत आई। गीता और दित्या अपने पापा के पास रहीं। उत्कर्षनी मुझे यही कहती रही, "मां बीच में संडे आ गया, मेरा मंडे को जरूरी काम है, वरना मैं जाकर कन्या पूजन तो कर लेती।"
कन्या पूजन में गीता अपनी सहेलियां बुलाती है। कभी उनको अपना लहंगा भी पहना देती है। वे लहंगे को मिनी स्कर्ट की तरह कर लेती है
पर बच्चियां बहुत खुश होती है। लेकिन इस बार उत्कर्षनी ने अमेरिका में घर पहुंचते ही मुझे तस्वीर भेजी। उनके परिवारिक मित्र निशि अमित ने कन्या पूजन किया। दित्त्या को सजा कर उसका पूजन किया। दित्या बहुत खुश थी और उत्कर्षिणी भी।
कन्या पूजन में गीता अपनी सहेलियां बुलाती है। कभी उनको अपना लहंगा भी पहना देती है। वे लहंगे को मिनी स्कर्ट की तरह कर लेती है
पर बच्चियां बहुत खुश होती है। लेकिन इस बार उत्कर्षनी ने अमेरिका में घर पहुंचते ही मुझे तस्वीर भेजी। उनके परिवारिक मित्र निशि अमित ने कन्या पूजन किया। दित्त्या को सजा कर उसका पूजन किया। दित्या बहुत खुश थी और उत्कर्षिणी भी।
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