यहां बैठने के अलग-अलग ब्लॉक थे। अवार्ड विनर का अलग ब्लॉक था। उसके पीछे विनर के गेस्ट के बैठने के लिए हमारा डी ब्लॉक था। हम आराम से तस्वीर देखते हुए गए। मैं समझी थी कि मुंबई की तरह यहां सीटिंग अरेंजमेंट होगा पर हमारे जाने तक हमारे ब्लॉक की सीट भर गई थी। हमें तीनों को पीछे अलग-अलग सीट मिली तुरंत पूरा हॉल भर गया। प्रोग्राम के बाद मीडिया के जवाबों को देकर उत्कर्षिणी हमारे पास आई। अंजना पता नहीं कहां चली गई थी। उसने एक पुरस्कार डॉ. शोभा भारद्वाज मासी के हाथ में रखा, दूसरा मेरे और तस्वीरें ली फिर शोभा मासी ने दोनों पुरस्कार मेरे हाथ में देकर उत्कर्षनी से कहा," तेरी मां की मेहनत है, जिसको तूने सफल कर दिया। मैं गर्वित हूं कि 69वें समारोह में सिर्फ़ तुझे दो नेशनल अवार्ड मिले हैं।" इतने में फिर उत्कर्षनी को बुला लिया। हम लोग आ गए अंजना भी मिल गई। उत्कर्षनी का फोन आया,"मां स्वर्गीय माया शर्मा मासी को बहुत मिस किया। आज होती तो मेरी तीनों मासियां, मां के साथ इस समारोह को देखती हैं।" मैं जल्दी घर आऊंगी।
https://youtu.be/AnL1GqCuTYg?si=lEZLE9aVQUWovpQK
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