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Saturday, 24 August 2024

हम भी ऐसा कर सकते हैं!!

 


आज पत्रकार मिलन बैठक में हमने पहले  कागज के गिलास में पानी पिया और डस्टबिन में फेंक दिया। फिर कागज के कप में चाय ली। मनोज शर्मा 'मन' ने अपने बैग में से स्टील का कप निका ला। पहले उसमें पानी पिया फिर उसमें चाय ली। अपने  इस छोटे से प्रयास  से प्रदूषण सुधार में योगदान दिया। मेरे जैसे और लोग भी यह देखकर प्रभावित हुए होंगे। 

मैंने उनका पर्यावरण पर एक लेख पढ़ा था। जैसा लिखा है, उसे व्यवहार में भी अपनाया है। आप भी उनका लिखा पढ़ें :

आज अशोक जी का प्रवास विश्वकर्मा शाखा पर रहा उन्होंने पर्यावरण विषय लिया और चर्चा की हमें दो पौधे अवश्य लगाने चाहिए चर्चा मे बात आई की हम प्रकृति का मोल नहीं समझते है पर इसी ऑक्सीजन के लिए कोरोना काल मे मारामारी मच गई थी, ऐसे ही हम धूप का सेवन नहीं करते तो विटामिन डी की कमी को पूरा करने के लिए हजारों रुपये के इंजेक्शन लेने पड़ते है | ऐसे ही चर्चा मे आया की पेड़ो से हमें ऑक्सीजेन मिलती है छाया मिलती है फल मिलते है लक़डी मिलती है ऑक्सीजेन मिलती है औषधिया मिलती है |

पर शहरों की इस भागदौड़ मे पेड़ो ने गमलो मे पौधों की जगह ले ली है बढ़ते घरो ने बाग़, जंगल उजाड़ दिए है विकास की आंधी वनो को खत्म कर रही है बढ़ती जनसंख्या जगह को ही खत्म करती जा रही है ऐसे मे हम स्वयंसेवक क्या कर सकते है पर्यावरण के लिए |

हम पहले के समय मे घर से थैला लेकर जाया करते थें क्योंकि आप देखेंगे आज हर घर मे प्रतिदिन चार से पांच थैली कभी दूध के साथ कभी सब्जी के साथ कभी फल के साथ और अन्य सामान के साथ घर मे प्रवेश करती है इस हिसाब से महीने मे 150 और वर्ष मे 1800 पननीया तो हम प्रयोग कर रहे है एक घर मे, तो मै स्वयं ये सोचु की मै थैला एक साथ मे, या बाइक की डिक्की मे या गाड़ी मे अवश्य रखूँगा और कोई क्या करता है ये न सोच मे इन 1800 पन्नीयो मे कमीना लाऊंगा तो मैंने ये योगदान दिया तो पेड़ लगाने का जितना पर्यावरण मे योगदान है उससे ज्यादा उसे नुकसान नहीं करूंगा तो ये ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि मुझसे शुरू होगा ये कार्य तो फिर और भी मुझे देख कर जागरूक होंगे | 

ऐसे ही एक व्यक्ति ने कहा की वहाँ प्रसाद पिन्नी के पैकेट मे मिलता है तो उससे पुछा क्या करें तो उसने कहा की कागज के लिफाफे बन सकते है तो फिर उससे कहा की कागज के लिए फिर पेड़ कटेंगे तो फिर सुझाव आया की ऐसे ही हाथ मे दे दे या फिर पत्तल दोने का प्रयोग करें तो ये सुझाव अच्छा रहा |

मतलब छोटे छोटे प्रयोग हम सोचे तो प्लास्टिक के प्रयोग से बचा जा सकता है और जो शुद्ध पर्यावरण हमारे बुजुर्ग हमें दे गए थें इन प्रयोगो द्वारा, ये ही हम अपने बच्चो को दे जाये तो अच्छा रहेगा |

और मैंने अपने बेग मे एक स्टील का कप भी रख लिया है और छोटी पानी की बोतल भी, जिससे कही चाय पीनी पड़ जाये तो फिर वो पेपर गिलास जिसमे प्लास्टिक के हजारों कण मिल जाते है उससे बचा जा सकता है | हमारे बुजुर्ग यही किया करते थें अपना खाना  अपने बर्तन, जहाँ हुई जरूरत प्रयोग कर लिए, साफ सुथरा भोजन और पैसी की बचत भी और पर्यावरण भी सुरक्षित |

मनोज शर्मा "मन"  उपाध्यक्ष अखिल भारतीय साहित्य परिषद दिल्ली प्रांत #अखिलभारतीयसाहित्यपरिषद,  #akhilBhartyeSahityaParishad

Thursday, 22 August 2024

फूल गोभी के तीन तरह के पराठे नीलम भागी

 


फूल गोभी के तीन तरह के पराठे नीलम भागी 

 सामने गुजर रहे सब्ज़ी के ठेले से मैंने गोभी खरीदी और प्रोटीन, कैल्शियम, फास्फोरस, विटामिन ए, सी से भरपूर गोभी के परांठे बनाने लगी। रैस्पी शेयर कर रही हूं।

गोभी के तीन तरह से परांठे बनातीं हूं। तीनों का स्वाद अलग और लाजवाब होता है। मसाला बाहर झांकता पंजाबी परांठा बनाना जरा मुश्किल होता है।  

गठे हुए फूलगोभी के फूल अच्छी तरह धोकर कद्दूकस किए । इसमें बारीक कटा हरा धनिया, हरी मिर्च, प्याज, अदरक़ और धनिया पाउडर, लाल मिर्च पाउडर(इसे छोड़ भी सकते हैं)गरम मसाला आदि डाल कर मिला लिया। इस गोभी के मसाले में थोड़ा हेर फेर करके ही तीनों परांठों में उपयोग होता है। इस मसाले में नमक नहीं मिलाना है।





आटे में नमक आजवाइन मिलाकर अच्छी तरह मल कर मुलायम गुंधना है। जिससे गोभी का मसाला उसमें  धंस जाये। कवर से बाहर झांकने पर भी मसाला अलग नहीं हो। 






पहली तरह का परांठा पहली बार गोभी का परांठा सीखने वाली बनातीं हैं। इसके लिए गोभी के मसाले में कद्दूकस करके इतना उबला आलू मिलाते हैं कि मसाला बाइंड हो जाए और इसमें जीरे का छौंक लगा कर नमक मिला देते हैं। इसके गोले बना कर  आटे की लोई में रख कर कर चकले पर बेलन से बेल कर तवे पर दोनों ओर तेल लगा कर तलते रहते हैं। ये फूले फूले परांठे बनते हैं।

दूसरी तरह के परांठें में गोभी के मसाले( लाल मिर्च नहीं, बारीक कटा थोड़ा लहसून यदि खाते हैं तो मिला सकते हैं।) को बड़ी सी लोई चकले पर रख कर उसमें नमक स्वादानुसार डाल कर लोई बंद करके हाथों से थपथपा कर, हलके हाथ से बेलते हैं। चकला टेढ़ा करके बड़े ध्यान से तवे पर फैलाते हैं और दोनों ओर तेल लगा कर जब चकत्ते पड़ जाएं तो कम आंच पर क्रिस्पी होने तक सेकते हैं। इसका स्वाद बहुत अलग होता है।

तीसरी प्रकार के परांठों में गोभी के मसाले में आटा नमक और आजवाइन मिला कर सख्त गूंध लेते हैं क्योकि नमक मिलने से गोभी पानी छोड़ने लगती है। इसलिये जल्दी  जल्दी रोटी की तरह लोई बना कर उसमें घी या तेल लगा कर फिर रोटी की तरह बेल कर तवे पर दोनों तरफ तेल लगा कर सेकते हैं।

मैं अपने खाने के परांठों को सेकने में कम घी लगाती हूं क्योंकि मुझे परांठे देसी घी, मक्खन या मलाई के  साथ खाना अच्छा लगता है।  


Sunday, 18 August 2024

नोएडा मीडिया क्लब द्वारा आयोजित पत्रकार फोटो प्रदर्शनी

 


*सांसद डॉ. महेश शर्मा ने किया नोएडा मीडिया क्लब की पत्रकार फोटो प्रदर्शनी का उद्घाटन*

नोएडा मीडिया क्लब द्वारा आयोजित पत्रकार फोटो प्रदर्शनी का आज सांसद डॉ. महेश शर्मा द्वारा भव्य उद्घाटन किया गया। इस विशेष अवसर पर डॉ. महेश शर्मा ने विभिन्न पत्रकारों द्वारा खींची गई तस्वीरों का अवलोकन किया और उनकी कला की प्रशंसा की।

इस प्रदर्शनी में नोएडा दिल्ली एनसीआर के  24 फोटो जर्नलिस्ट द्वारा कैद किए गए समाज, राजनीति, और संस्कृति के विविध पहलुओं को उजागर करने वाली छवियों को प्रदर्शित किया गया है। डॉ. महेश शर्मा ने पत्रकारों की इस अभूतपूर्व रचनात्मकता और समाज के प्रति उनकी प्रतिबद्धता की सराहना की।

डॉ. महेश शर्मा ने अपने संबोधन में कहा, "पत्रकारिता लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है, और इस प्रदर्शनी के माध्यम से हमें समाज के विभिन्न पहलुओं को देखने का अवसर मिलता है। इन तस्वीरों में न केवल खबरें हैं, बल्कि समाज का प्रतिबिंब भी है।"

*भाग लेंगे दिल्ली एनसीआर के 24  फोटोजर्नलिस्ट नाम*

सौरभ राय, ईश्वर चन्द, सुनील घोष,मनोहर त्यागी, सुशील अग्रवाल, प्रमोद शर्मा, रमेश शर्मा,रवि यादव, अमित शुक्ला,लाल सिंह, राजन राय,अभिनव चौधरी, वीरेंद्र सिंह,नीरज कुमार, विजय पांडे,सतीश कौशिक,राउल ईरानी, राजवंत रावत,हिमांशु सिंह,श्रीकांत सिंह,हरीश त्यागी,एन के दास,चंद्रदीप कुमार के आसिफ।

*प्रदर्शनी में उपस्थित वरिष्ठ पत्रकारों ने की इस कला और दृष्टिकोण की भरपूर प्रशंसा की।*

पूर्व फोटो एडिटर एसएन सिन्हा  पूर्व फोटो एडिटर संदीप शंकर, विजुअल डायरेक्टर इंडिया टुडे निलंजन दास,पूर्व फोटो एडिटर जगदीश यादव,पूर्व फोटो एडिटर रवि बत्रा,ने फोटो प्रदर्शन का अवलोकन करते हुए सभी फोटो की भरपूर प्रशंसा की साथ ही उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम होते रहना चाहिए।

इस अवसर पर  विनोद शर्मा (वरिष्ठ पत्रकार) , अनिल चौधरी (वरिष्ठ पत्रकार) ,मोहम्मद आजाद(वरिष्ठ पत्रकार), पंकज पाराशर (वरिष्ठ पत्रकार) रिंकू यादव  (कार्यालय अध्यक्ष नोएडा मीडिया क्लब) इकबाल चौधरी (वरिष्ठ पत्रकार), जेपी सिंह (वरिष्ठ पत्रकार), हरवीर चौहान (वरिष्ठ पत्रकार), मोहम्मद बिलाल, अरुण सिन्हा, मुकेश शर्मा वरिष्ठ पत्रकार भी उपस्थित थे।












Tuesday, 13 August 2024

तिरंगा और 95 वर्षीय अम्मा नीलम भागी

 


अगर मैं किसी को तिरंगा और डंडा पकड़ा देती हूं तो मेरी 95 वर्षीय अम्मा को अच्छा नहीं लगता। उनकी इच्छा है,  सबको झंडा, डंडे में लगा कर  दें। वे अपने मुहिम में लगी हुई हैं। प्रखर शर्मा  झंडे बांटने के लिए लेने आया। मैंने उसे पैकेट और डंडे पकड़ाये, तो अम्मा को अच्छा नहीं लगा वे कहने लगी," अभी पिरो कर दूंगी।"😃







Monday, 12 August 2024

तुलसी जयंती समारोह Tulsi Jayanti Samaroh

उत्तर प्रदेश समाज एवं कायाकल्प साहित्य कला फाउंडेशन नोयडा के संयुक्त तत्वावधान में सरस काव्य संध्या का डा अशोक मधुप के संचालन मे दिनांक 11.8.24 को आयोजन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम का आरंभ सुश्री निशा केसरी के सरस्वती वंदना नृत्य प्रस्तुति से हुआ।













Thursday, 1 August 2024

लाजवाब पकोड़े मालाबार पालक / पोई/ पोयसाग के नीलम भागी

 

मेरे पोयसाग के लेख पर फेसबुक मित्र संजय  मिश्रा जी ने कमेंट बॉक्स में लिखा कि इसके पकोड़े बहुत अच्छे बनते हैं। पढ़ते ही तैयारी शुरू कर दी। और पत्ते तोड़ना शुरू कर दिया।

इसकी खासियत यह है कि  पत्ते थोड़े मोटे होते हैं और चमकदार और यह गुणों की खान है। इसमें जरूरी मिनरल्स विटामिन A, B 12, C, आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियमआदि पाए जाते हैं और सॉल्युबल फाइबर होता है। इसकी डंडी भी मुलायम होती है और खाने के काम आती है। मैंने अपने पौधों से कुछ पत्ते और डांडिया  तोड़ी उनको धोकर साफ किया। दो प्याज, चार हरी मिर्च, पांच  कली लहसुन, लहसुन छोड़ सकते हैं आपकी मर्जी पर है। इनको बारीक बारीक काट  बेसन डालकर, थोड़ी अजवाइन, सूखा धनिया बेलन से रगड़ कर दो चार टुकड़े करें, इसमें मिलाया और नमक डालकर अच्छे से मिला दिया। ताजे पत्ते हैं और घर की चीज में वेस्टेज तो होती नहीं तने भी मुलायम है। अब इन सबको अच्छे से मिलाने से जितना पानी उन्हें छोड़ना था, छोड़ दिया। अब इसमें जरूरत के अनुसार पानी मिलाया और कढ़ाई में तेल डाल कर उसमें तल लिया और गरमा गरम पकोड़े बेहद  लज़ीज़ बने। शायद ताजा होने के कारण। बरसात में हरी पत्तेदार सब्जियों की बहुत कमी होती है। इसकी बेल जमीन से ऊंची होने के कारण इंफेक्शन का भी डर नहीं, साफ सुथरे पत्तों की सफाई भी कम करनी पड़ती है। तभी तो इसके बारे में कहा गया है Malabar Spinach for Strong immunity.

https://neelambhagi.blogspot.com/2024/07/malabar-spinach-for-strong-immunity.html