हुआ यूं कि मुझे तकिये का ग़िलाफ खरीदना था। और एक के लिए मैं क्या ऑनलाइन देखती! कम शॉपिंग में डिलीवरी चार्ज भी लगता है। बल पर लगातार ऑफर आते हैं। फिर चार-पांच चीज और खरीदी जाती हैं। घर में भी मतलब की चीजों का डिस्काउंट देखकर खरीदने से ढेर लग जाता है। मैं मार्केट गई। सुबह दुकानदार धूपबत्ती जलाकर, अभी बैठा ही था। पर कोई ग्राहक नहीं था। उसने पूछा," आज बहुत दिन बाद आए हो?" पुराने ग्राहकों से दुकान का एक संबंध सा बन जाता है। मन में सोच लिया इसकी बौनी तो करके ही जाऊंगी। दुकानदार भी इसमें लग गया कि पहली ग्राहक है। उसने मुझे ढाई सौ रेंज में कई ग़िलाफ़ दिखाए। उसने मुझे कहा," आप चादर ले लीजिए 365₹ रुपए की है गिलाफ़ साथ में ऐसे मिल जाएगा आपको। और चादर 115₹ रुपए की पड़ जाएगी।" मैं चादर देखने लग गई। देखा चादर पर दो रेट लिखे थे। एक कोने में 365₹ और दूसरे कोने में 699₹। अपनी पसंद का खिला-खिला रंग मुझे लेना था क्योंकि मेरे आंगन की दीवारों रंग सफेद है और आसपास के पौधे हैं। दुकानदार ने मेरे न न करते भी कई चादरें खोल दी। लेनी भी मुझे सिंगल बेड की थी। सर्दी में बाहर धूप में बैठकर बिछाने के काम आ जाएगी। मैंने दुकानदार से पूछा कि चादरों पर दो रेट क्यों लिखे हैं? उसने बताया," एक शोरूम का रेट है, दूसरा ऑनलाइन रेट।" मैंने पूछा कि हम तो ऑनलाइन में इतना डिस्काउंट देखकर खरीदते हैं। उसने कहा," आप चादर पसंद कीजिए, आपको बताते हैं।" मेरी चादर को पर उसने 10% डिस्काउंट दिया जो मुझे 329₹ की पड़ी। पिलो कवर साथ में फ्री था। उसने बताया कि 699₹ पर मसलन 30% से 50% डिस्काउंट रख दिया। पैकिंग, डिलीवरी, सबका खर्चा, रिटर्न आया फिर पैकिंग का खर्चा। यह सब खर्च लगाकर, ग्राहक से तो लेने हैं। मैं चादर लेकर घर लौटी और सोचने लगी कि यहां मैं दुकान पर आने से, मैंने मनपसंद की चादर ली। इतनी वैरायटी देखकर अपनी पसंद को खरीदने से खुशी मिली। जब बिछाया तो और भी खुशी मिली क्योंकि मेरी पसंद थी और जच रही थी। दुकानदार ने मुझे सलाह दी नहीं तो मैं पिलो कवर ही ले लेती और साथ में सबसे बड़ी बात ऑनलाइन की सच्चाई पता चली। अब मुझे अपने कमरे की ऑनलाइन की चादरें खरीदी हुई इस चादर के आगे फीकी लग रही थी। क्योंकि मैंने तो तस्वीर देखकर ली थीं। जिसे पसंद किया वहीं आई, पर वह मजेदारी ही नहीं आई जो इसे खरीदने में आई थी। जिसे मैंने खूब अच्छी तरह देखा कि कपड़ा कॉटन है क्या है और कैसा लगेगा?
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