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Tuesday 24 January 2023

जलेश्वर महादेव मंदिर जलेश्वर नेपाल भाग 11 नीलम भागी Jaleshwar Nath Mahadev Mandir Nepal Yatra Part 11 Neelam Bhagi

पंथ पाकर से हमारी यात्रा नेपाल की ओर चल दी। मैंने तीन बार नेपाल यात्रा की है पर यहाँ मैं पहली बार जा रही थी। अब हम जहाँ जा रहे हैं, ये मधेश प्रांत कहलाता है। ये तराई इलाका है। जो भारत के साथ बिहार में मिट्ठामोड़ सीमा के पास स्थित है। महोत्तरी जिले में स्थित शिव जी का मंदिर है। जिसे जलेश्वर महादेव मंदिर कहते हैं।



मंदिर के नाम पर ही इस शहर का नाम जलेश्वर है। सावन का महीना तो शिव पार्वती जी को समर्पित है तो दूर दूर से श्रद्धालु यहाँ आते हैं। हजारों शिव भक्त जलेश्वरनाथ बाबा का जलाभिषेक करते हैं और सुख शांति समृद्धि की मन्नते मांगते हैं। ये भारत और नेपाल के लोगों के लिए श्रद्धा और भक्ति का केन्द्र है। जहाँ प्रतिवर्ष नेपाल के नुनथर पहाड़ पर से बागमती का जल में कांवड़ लाकर लाखों श्रद्धालु जलाभिषेक करते हैं। महाशिवरात्रि और वसंत पंचमी को बहुत बड़ी संख्या में तीर्थयात्री यहाँ आते हैं। वसंत पंचमी को यहाँ मेला लगता है जो होलिका दहन तक चलता है। अभिलेखों से पता चलता है कि मंदिर राजा जनक के समय से अस्तित्व में था। ऐसा माना जाता है कि सियाराम के विवाह में इस मंदिर से मिट्टी लाई गई थी। मंदिर में एक तांबे के शिलालेख से संकेत मिलता है कि 1869 बीएस(1812-1813)में मंदिर के लिए राजा गिरवान युद्ध बिक्रम शाह ने 275 बीघा जमीन दी थी। 




 नेपाल में मंदिरों की वास्तुकला पगौड़ा शैली में है लेकिन जलेश्वर महादेव का निर्माण गुम्बाज वास्तुकला के साथ किया गया है। मुख्य मंदिर के बीच में सीढ़ियाँ उतर कर वर्गाकार पानी से भरे भाग में शिवलिंग है जो पानी के नीचे है। मंदिर के पास बहुत बड़ा तालाब हैं। यहाँ गर्मी में भीषण गर्मी पड़ती है सर्दियों में सर्दी। इस शहर का धार्मिक महत्व जलेश्वर महादेव के कारण बहुत है। यहाँ भारत के सीमावर्ती शहरों से भी लोग मंदिर के दर्शन करने आते हैं। यहाँ के रेस्टोरेंट समोसे, चाट, गोलेगप्पे, कट्टीरोल और मोमोज के लिए मशहूर हैं। जलेबी का साइज़ भी बहुत बड़ा था। यहाँ का पेड़ा मशहूर है तो मांसाहार में सेकुवा(भुना हुआ मसालेदार मांस) के लिए भी प्रसिद्ध है। ये हमारा नेपाल में पहला दर्शनीय स्थल था। दर्शन के बाद सब थोड़ा आसपास दुकानों पर खरीदारी के मूड में चल दिए।


हर वस्तु का रेट दुकानदार दो बताता, भारत का और नेपाल का। हमारा 100रु यहाँ 160 नेपाली रु हो जाता है। समयबद्ध हमारी यात्रा थी।  पराड़कर जी जैसे ही अपनी गाड़ी में आकर बैठे तुरंत दाएं बाएं से सभी चारों गाड़ियों में आकर बैठ गए। अब हम जनकपुर की ओर जा रहे हैं।

https://youtu.be/an7hAZK_XsY

 क्रमशः