प्रो. नीलम राठी, प्रो. रजनी मान और मेरा सूरत में डिनर के बाद चाय पीने का मन था। हमने श्री मेराभाई जामोद से चाय का पूछा तो वे हमें मुन्ना भाई चाय स्टाल पर ले गए। वह बंद हो गया था। फिर वह हमें खेतला आपा चाय स्टाल ले गए। रास्ते में मेरे दिमाग में एक प्रश्न उठ खड़ा हुआ कि मेरा भाई जी की पत्नी उन्हें क्या कह कर पुकारती होगी! क्योंकि हमने आज तक किसी का नाम 'मेराभाई' नहीं सुना था। मैंने उनसे प्रश्न पूछ ही लिया,"मेराभाई जी, आपकी पत्नी आपको क्या कह कर बुलाती हैं? उन्होंने जवाब दिया,"कृषा के पापा।"मैंने अगला प्रश्न दागा,"बच्चे के जन्म से पहले?" उन्होंने उत्तर दिया,"ए जी, ओ जी, सुनो जी, मैंने कहा जी, सुनते हो जी आदि।" फिर हमने उनसे इस विशेष नामकरण की कहानी सुनी जो लाजवाब चाय की तरह थी।
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