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Wednesday, 27 December 2023

माउंट आबू की यात्रा भाग 13, मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 नीलम भागी Neelam Bhagi

 

मेरा 9 तारीख को राजधानी में 8 नंबर वेटिंग लिस्ट में था। 5 मई को वह पांच हो गया। उसके बाद पांच पर ही रहा। बी.के मेधा दीदी ने सौगात देने के लिए बुलाया। मैंने उन्हें बताया कि मेरा वेटिंग में है। उन्होंने समझाया कि टेंशन करने से कुछ नहीं होगा। लास्ट ऑप्शन सोच लो और यहां जो कर रहे हो, उसे पूरे मन से करो। टिकट कंफर्म नहीं हुई तो 10 तारीख को मोदी जी उद्घाटन के लिए आ रहे हैं वह अटेंड कर लेना और हंसने लगीं। मैं भी मस्त हो गई। मैंने भी घबराना बंद कर दिया। नोएडा में अंकुर तो कोशिश कर ही रहा था। उसने कहा कि टिकट कंफर्म नहीं हुआ तो अहमदाबाद या उदयपुर से फ्लाइट बुक कर दूंगा। अब 9 तारीख को लास्ट चार्ट का इंतजार था। मुझे बहुत अच्छा लगता, बीच-बीच में मेधा दीदी फोन करके पूछती कि मैं टैंस तो नहीं हूं और कहती शांति वन में दस तक हमारे पास रुकना। इसलिए मैं पूरे मन से माउंट आबू से परिचय कर रही थी। 8 मई को हमारा घूमने का दिन था इसलिए डाइनिंग हॉल में खाना हर वक्त था। जिन लोगों ने लौटना था, उनके लिए रास्ते में खाने के लिए पैकेट थे। आने के बाद डिनर करके रूम में गई। मेरी रूम पार्टनर जयश्री भी आ चुकी थी। उन्होंने हमसे ज्यादा पॉइंट देखें। जो छूट गए थे वह मैंने नोट कर लिए दुखी नहीं हुई। मैं कौन सा मरने वाली हूं फिर जाना होगा तो देख लूंगी। जय श्री तो सुबह ही निकल गई, उन्हें महाराष्ट्र जाना था। 3:00 बजे  हमें गाड़ियों से शांतिवन आबू रोड ले जाया गया। वहां मेधा दीदी ने फोन से पूछा कि मुझे स्टे मिल गया। मैंने बताया मिल गया। उसी समय मेरी टिकट कंफर्म होने का मैसेज आ गया। बी.के ज्योति पॉल ने अपनी मित्र स्वाति से मेरा परिचय कराया था। अब हम दोनों साथ थीं। हमने खूब बातें की और जो गाड़ी पहले आ रही थी उसी से बहुत पहले स्टेशन आ गए। बड़ी मुश्किल से टिकट कंफर्म हुई थी, डर था कि गाड़ी छूट न जाए। यहां भी बतियाते रहे। मैं अपनी सीट पर पहुंची कोई गुजराती ग्रुप था। उन्होंने गेट के पास साइड सीट अपनी मुझे देकर, आप मेरी सीट ले ली। उन्हें अपने ग्रुप के साथ सीट मिल गई। वह बहुत खुश थे। अटेंडेंट पानी की बोतल पकड़ा के  डिनर देने ही नहीं आया। जब मैंने कहा तब बोला आपका डिनर लिखा नहीं है मैंने टिकट आगे की फिर सॉरी सॉरी करता हुआ लेकर आया। क्योंकि वह खाना मेरी ओरिजिनल सीट पर जो सज्जन बैठे थे, उनको दिया था। वे खा कर डकार भी ले चुके थे। मेरी एक्सचेंज सीट पर खाना नहीं था पर मुझे मिल गया आइसक्रीम देने आया तो चम्मच नहीं। जब तक मांगने पर चम्मच आया, आइसक्रीम दूध में बदल गई थी, मैंने पी ली। कुछ देर बाद एक अटेंडेंट मेरे पास आया बड़ी रिक्वेस्ट से बोल कि एक फैमिली में,  सबकी टिकट कंफर्म हो गई, बस एक उनकी लड़की की नहीं हुई है क्या आपकी सीट के आगे यहां लेट जाएं, कपड़ा बिछा कर लड़की है ना इसलिए आपसे कह रहा हूं। जवाब  मेरे ऊपर वाले ने दिया कि फैमिली से बोलो लड़की को अपनी सीट दे दे, जैसे आपने टॉयलेट के रास्ते में लोगों को बिठा, लिटा रखा है। उनके मेल फैमिली मेंबर को भी, वहां बैठा दो। वह चुपचाप चला गया। अब एक आदमी झगड़ा करने लगा कि मेरा शाम का नाश्ता दो। उसने पता नहीं कितना पेमेंट कर रखा था। कह रहा था कि डिनर इतने का नहीं है। वह सारी बात ठेकेदार पर डाले जा रहा था कि हम तो मुलाजिम हैं।  बाकि अब राजधानी में पहले जैसी बात नहीं है। वही हॉकर आवाज लगाकर सामान बेच रहे थे। और मैं दिन भर ज्ञान सरोवर में, शांतिवन में घूमती रही अब थकी हुई इसलिए बार-बार मेरे सिर पर दरवाजा खुलने का भी असर नहीं था और मैं सो गई । मधुर स्मृतियां लेकर वहां से लौटी हूं। ॐ शांति 













Saturday, 16 December 2023

गुरु शिखर चोटी! माउंट आबू की यात्रा मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 भाग 7 नीलम भागी , Neelam Bhagi

 




ज्ञान सरोवर में ही ऑफिस है जो भ्रमण की व्यवस्था करता है। मैंने वहां जाकर कहाकि किसी ग्रुप में एक एडजस्ट हो सकता है तो मुझे कर दीजिए, मैं अपना शेयर दे दूंगी। वहां मध्य प्रदेश से श्रद्धा अमित पति पत्नी से पूछ कर मुझे उनके साथ एडजस्ट कर दिया, भाई प्रवीण जी हमारे गाइड थे। कल 8 मई को सुबह नौ बजे हमारी गाड़ी हमें लेगी। नाश्ते के बाद हम गुरु शिखर की और चल दिए। दत्तात्रेय  त्रिगुण स्वरुप यानि ब्रह्मा, विष्णु और शिव तीनों का सम्मलित स्वरुप, इसके अलावा भगवान दत्तात्रेय जी को गुरु के रूप में पूजनीय की जयंती भी मनाई जाती है। भगवान दत्तात्रेय, महर्षि अत्रि और उनकी सहधर्मिणी अनुसूया के पुत्र थे। इनके पिता महर्षि अत्रि सप्तऋषियों में से एक हैं और माता अनुसूया को सतीत्व के रूप में जाना जाता है।  ऐसी मान्यता है कि दत्तात्रेय नित्य सुबह काशी में गंगाजी में स्नान करते थे। इसी कारण काशी के मणिकर्णिका घाट की दत्त पादुका, दत्त भक्तों के लिए पूजनीय स्थान है। इसके अलावा मुख्य पादुका स्थान कर्नाटक के बेेलगाम में स्थित है। देशभर में दत्तात्रेय को गुरु के रूप मानकर इनकी पादुका को नमन किया जाता है। भगवान दत्त के नाम पर दत्त संप्रदाय का उदय हुआ। नरसिंहवाडी दत्ता भक्तों की राजधानी के लिए जाना जाता है। कृष्णा और पंचगंगा नदियों के पवित्र संगम पर स्थित, महाराष्ट्रीयन इतिहास के प्रसंगों में इसका व्यापक महत्व है। दक्षिण भारत सहित पूरे देश में इनके अनेक प्रसिद्ध मंदिर हैं। राजस्थान के माउंट आबू के अरबुदा पहाड़ों की 1722 मी. की गुरु शिखर चोटी पर बना, भगवान दत्तात्रेय का मंदिर है। और खूबसूरत रास्ते से यहां हम पहुंच गए। अपनी आदत के अनुसार  कुछ क़दम चल कर, मैं बैठ गई। मेरे साथी भी मेरे पास रूक गए। मैंने श्रद्धा से कहा,"आप लोग जाएं, मैं आपको गाड़ी पर मिलूंगी।" मैं देश भर से आए श्रद्धालुओं को देखते रही। थोड़ी सी चढ़ाई के बाद सीढ़ियां थीं। जो चल नहीं सकते उनके लिए डोली भी थी पर उसमें जवान लड़कियां ज्यादा बैठ रही थीं। सीढ़ियां साफ सुथरी थीं, उसके दोनों और हथियारों की भी दुकाने थीं। असली नकली कि मुझे पहचान नहीं है। हां दुकानदार दुकान खोल कर पूजा करके ग्राहक को अटेंड कर रहे थे । बाकि जैसे तीर्थ स्थलों पर दुकान होती हैं, वे थीं मसलन खिलौने और घरेलू सामान के और ढलान से नीचे खाने पीने की चाय वगैरा की थीं। मंदिर के आगे चप्पल उतार सकते हैं। अंदर तस्वीर लेना माना था और मैं कभी भी नियम का उल्लंघन नहीं करती। एक फौजी भाई अपनी पत्नी, भाई और दो बहनों के साथ दर्शन के लिए आए हुए थे। अब मुझे उनका नाम याद नहीं आ रहा क्योंकि एक्सीडेंट के कारण मेरा वह मोबाइल भी नहीं है। सब मैं अपनी मेमोरी से लिख रही हूं। वह परिवार मुझे बहुत अच्छा लगा। उनके साथ मैंने उनके भाई से तस्वीरें खिंचवाई। ऊपर से माउंट आबू बहुत अच्छा लग रहा था। मैंने नीचे आते ही एक टपरी पर बैठकर चाय बनवा कर पी। चाय लाज़वाब  तो देखा, उसने पोदीना का पॉट  अपनी दुकान पर रखा है। उसमें से चाय में ताजा पुदीना डालता है जिससे लाजवाब चाय बनती है। मैं चाय पीकर अपने साथियों का इंतजार करने लगी। क्रमशः