मेडिटेशन मुझसे नहीं होता था। कितने आयोजनों में गई, जहां मेडिटेशन कराया जाता है पर मेरा ध्यान कहीं ना कहीं भटकता था। 'नोएडा मीडिया क्लब' में ब्रम्हाकुमारीज द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। बी. के. मेधा दीदी और बी. के. सुशांत दोनों को सुना। मेधा दीदी ने मेडिटेशन कराया। मेरा पहली बार ध्यान लगा। समापन पर मेरी तंद्रा टूटी। बी.के. मेधा दीदी ने करोना के बाद शांतिवन माउंट आबू में होने वाले सितंबर 2022 के मीडिया सम्मेलन में, हमें आमंत्रित किया। उससे पहले उन्होंने सेक्टर 26 नोएडा में आयोजित एक दिवसीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया। वहां गई, मुझे बहुत अच्छा लगा। समापन तक मैं वहां रही। माउंट आबू जाने के लिए रजिस्ट्रेशन कराया। ट्रेन में टिकट बुक करवाली लेकिन जाने से पहले मेरी बहन को कैंसर डायग्नोज हो गया। मैंने मेधा दीदी को फोन पर न जाने की असमर्थता जताई। उन्होंने कहा कि आप वहां जाइए, आपको अच्छा लगेगा, मन बदलेगा पर मैं नहीं गई। 20 अप्रैल को मेधा दीदी का इन्विटेशन मैसेज था।
माउंट आबू में होने वाली 5 से 9 मई, ज्ञान सरोवर माउंट आबू राजस्थान में आयोजित मीडिया कॉन्फ्रेंस ब्रह्माकुमारीज़ का। एक लिंक भेजा था, जिसे भर कर भेजना था। ब्रह्माकुमारीज़ के द्वारा 5 से 9 मई 2023 तक "राष्ट्रीय विकास के लिए मीडिया की जिम्मेदारी" पर पांच दिवसीय मीडिया सम्मेलन और ध्यान रिट्रीट का आयोजन किया जा रहा था। राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित यह सम्मेलन ब्रम्हा कुमारियों के ज्ञान सरोवर, माउंट आबू के हार्मनी हॉल में आयोजित किया जा रहा था।
माउंट आबू अध्यात्मिक स्थान के रूप में विश्व भर में प्रसिद्ध है और लोग यहां दूर-दूर से अध्यात्मिक आनंद और योग के लिए आते हैं। मुझसे जो जानकारी मांगी गई, मैंने दिए गए लिंक पर भेज दी। 23 अप्रैल को सुबह, मुझे मेल द्वारा मेरा रजिस्ट्रेशन नंबर आ गया। मैंने राजधानी में 4 मई का रिजर्वेशन करवाया, लौटने का 9 और 10 अप्रैल का करवाया जो दोनों वेटिंग में 8 नंबर था। और मैंने जाने की तैयारी कर ली। यहां पहली बार मैं जा रही थी पर मन में बहुत सा उत्साह था। उत्साह का एक कारण यह भी था की गाड़ी से उतरते ही पिकअप था इसलिए कोई चिंता नहीं थी। नई दिल्ली से 7.55 की गाड़ी थी, जिसने सुबह 5:30, आबू रोड पर पहुंचना था। समय से काफी पहले स्टेशन पर पहुंच गई। बी- 12 डिब्बा स्टेशन से बहुत दूर था। जब मैं वहां पहुंची।
ढेर सारे सामान के साथ एक लड़का मुझसे आकर बोला," प्लीज आप मेरे सामान का ध्यान रखना मैं और सामान ले आऊं।" मैंने कहा," ठीक है।" वह चला गया काफी देर हो गई, मुझे उसके सामान के पास खड़े हुए। गाड़ी चलने का समय हो गया। मेरे पास तो हल्का सा लगेज था। दूर से उसे आता देख, मैं डिब्बे में चढ़ने लगी। अभी भी वह खूब सामान लेकर आया मैं डिब्बे में चढ़ गई। क्रमशः