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Wednesday, 27 December 2023

सनसेट पॉइंट! माउंट आबू की यात्रा भाग 12 मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 नीलम भागी

पांडव भवन से दो किमी दूर और नक्की झील के दक्षिण-पश्चिम में स्थित सूर्यास्त बिंदू से डूबते हुए सूर्य के सौंदर्य को देखने हम चल पड़े । नक्की झील के बाजू में अच्छी बनी साफ़ सुथरी सड़क से पैदल, खच्चर या धकेलने वाली गाड़ी से जाया जा सकता है। हम बहुत  लेट थे। धकेल में तो मैं बिल्कुल ही नहीं बैठ सकती थी। श्रद्धा थकी सी चल रही थी। अमित और प्रवीण भाई तेज़ी से सनसेट प्वाइंट की ओर चल दिए। मैं तो वैसे ही पता नहीं क्या देखती हुई, स्लो मोशन में हो जाती हूं। यहाँ से दूर तक फैले हरे भरे अरावली पर्वतमाला के दृश्य आँखों को शांति पहुँचाते हैं। सूर्यास्त के समय आसमान के बदलते रंगों की छटा देखने सैकड़ों पर्यटक यहाँ आते हैं। प्राकृतिक सौंदर्य का नैसर्गिक आनंद देनेवाली यह झील चारों ओऱ पर्वत शृंखलाओं से घिरी है। यहाँ के पहाड़ी टापू बड़े आकर्षक हैं। जैसे-जैसे शाम होती जा रही है, वैसे ही खाली ठेले वालों से भी मोलभाव शुरू हो जाता है।  सनसेट पॉइंट को कुछ लोग हनीमून प्वाइंट भी कह रहे थे। जो नौजवान जोड़े थे, उनमें महिला धकेल का मोल भाव कर रही थी लेकिन पुरुष बैठने को राजी नहीं होता क्योंकि उससे कम उम्र का लड़का ही तो धकेल रहा था। महिला ने शॉर्ट पहना हुआ था और उसमें बैठकर अपना वीडियो बनाने लगी और साथ में उसको कहे जल्दी चलो, मेरा वीडियो लंबा हो जाएगा। और सूखा सा लड़का पूरी ताकत लगाकर मोहतरमा को सनसेट दिखाने ले जा रहा था। पति तो बहुत दूर रह गया था। रास्ते में खाने-पीने का भी सामान खूब बिक रहा था। अचानक चलते-चलते मेरे दिमाग में आया यह तो ढलान है। मैं अभी गई तो लौटते समय तो चढ़ाई होगी। मेरे लिए तो मुश्किल हो जाएगा और मैं वापस हो ली। 

https://youtu.be/u_HiJHaE3SQ?si=-saxcawELnsYCnI_

वही झील के किनारे उसकी सुंदरता और पर्यटकों को देखते हुए लौट पड़ी। श्रद्धा के मिलने पर हम दोनों बैठ गईं। अमित और प्रवीण भाई के इंतजार में। झील को विभिन्न रंगों में जल फव्वारा लगाकर आकर्षक बनाया गया है। जिसकी धाराएँ ८० फुट की ऊँचाई तक जाती हैं। झील में नौका विहार की भी व्यवस्था है। झील के किनारे  शाम के समय घूमने और नौकायन के लिए पर्यटकों का हुजूम उमड़ा हुआ है। दोनों के आते ही हम गाड़ी के लिए चल दिए। मई के महीने में भी मौसम बहुत अच्छा था । गाड़ी आ गई और अब हम ज्ञान सरोवर पहुंच गए। क्रमशः 







Friday, 22 December 2023

पीस पार्क से दिलवाड़ा जैन मंदिर माउंट आबू की यात्रा भाग 9 नीलम भागी




  पीस पार्क से हम, स्थापत्य कला के उत्कृष्ट नमूने, अद्भुत कारीगरी के विशाल दिव्य दिलवाड़ा जैन मंदिर की ओर अच्छी और साफ़ सुथरी सड़क पर जा रहे थे। अचानक हमारी गाड़ी रोक कर ड्राइवर ने कहा," मैं आपको यहां मिल जाऊंगा।"  मैंने  पूछा," दिलवाड़ा का मंदिर किधर है?" उसने बिल्कुल एक साधारण से भवन की ओर इशारा कर दिया। पर्यटकों की भीड़ के पीछे  हम भी उस ओर चल पड़े। प्रवीण भाई ने हमसे मोबाइल ले लिए। चप्पल उतार कर हम लाइन में लग गए। सबसे ज्यादा हमारी चेकिंग मोबाइल के लिए हो रही थी। जिसका कारण मंदिर में प्रवेश करते ही लग गया। अंदर जाते ही जालीदार नक्काशी से बने तोरण देखते ही मैं तो विस्मय विमुग्ध हो गई शिल्प का बेजोड़  खजाना!

दिलवाड़ा  मंदिर, पाँच मंदिरों का एक समूह है। प्रत्येक मंदिर एक प्रांगण के अंदर घिरा है। विमल शाह, वस्तुपाल और तेजपाल ने ऋषभ नाथ, नेमिनाथ, पारसनाथ और 24वें तीर्थंकर महावीर 1582 में निर्माण काल है। ये राजस्थान के सिरोही जिले के माउंट आबू नगर में स्थित हैं। इन मंदिरों का निर्माण ग्यारहवीं और तेरहवीं शताब्दी के बीच हुआ था। यह शानदार मंदिर जैन धर्म के र्तीथकरों को समर्पित हैं। ऐसा भी कहा जाता है कि इतनी बारीक  नक्काशी का कारण, कारीगरों को मेहताने में  पत्थर तराशने में जो धूल निकलती थी, उसके वजन के बराबर मिलता था। इन विश्व प्रसिद्ध मंदिरों को जरूर देखने जाना चाहिए। एक मंदिर से दूसरे मंदिर में नंगे पांव जाने में मई के महीने में मेरे पांव झुलस रहे थे। अगर जुराबें  पहनने की परमिशन हो तो गर्मी में पहन कर जाए। ख़ुद भी तस्वीरें न ले। कोई लेता दिखे तो उसे मना करें। यह आबू रोड स्टेशन से 30 किमी दूर है। मंदिर से बाहर की दुकानो में राजस्थानी पोशाकें, पगड़ियां, जूतियां, ज्वैलरी  आदि बिक रही थी। क्रमशः 









Thursday, 21 December 2023

गुरु शिखर चोटी से पीस पार्क माउंट आबू की यात्रा भाग 8 नीलम भागी

 


गुरु शिखर चोटी से अब हम पीस पार्क #PeacePark की ओर चल पड़े। 8 मई का दिन, गर्मी बढ़ने लगी थी। चटक धूप थी। मार्ग में कटीले पेड़ पौधे नागफनी कैक्टस आदि लगे हुए थे। बहुत अच्छी पत्थर काट के सीढ़ियां बस्ती को जाती दिखती थीं।   अच्छे स्लोगन लिखे हुए थे। शूटिंग प्वाइंट पर भी पर्यटक थे। पीस पार्क की सुंदरता देख कर आश्चर्यचकित थी। हरियाली और फूल, चमकदार स्वस्थ पौधे , नाम को सार्थक कर रहे थे "पीस पार्क"। घूमते हुए एक ऐसा स्थान आया जो दीवारों रहित, चारों ओर  से लताओं से ढका था। बीच में बैठेने का स्थान, वहां चाय, कॉफी, नींबू पानी फीका मीठा रखा था । उस लता कुंज में बैठकर पीते  ही स्फूर्ति आ गई। पर वहां बैठना बहुत अच्छा लग रहा था। मैं तो उसे जगह को ऑक्सीजन चैंबर कहूंगी ।पीस पार्क को निहारते हुए बाहर निकले तो वहां बांसुरी वादक अपनी मस्ती में बांसुरी बजा रहा था। क्रमशः








Thursday, 18 May 2023

माउंट आबू की यात्रा मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 भाग 1 नीलम भागी Neelam Bhagi

 


मेडिटेशन मुझसे नहीं होता था। कितने  आयोजनों में गई, जहां  मेडिटेशन कराया जाता है पर मेरा ध्यान कहीं ना कहीं भटकता था। 'नोएडा मीडिया क्लब' में  ब्रम्हाकुमारीज द्वारा प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की गई। बी. के. मेधा दीदी और बी. के. सुशांत दोनों को सुना।  मेधा दीदी ने मेडिटेशन  कराया। मेरा पहली बार ध्यान लगा। समापन पर मेरी तंद्रा टूटी। बी.के. मेधा दीदी ने करोना के बाद शांतिवन माउंट आबू में होने वाले सितंबर 2022 के मीडिया सम्मेलन में, हमें आमंत्रित किया। उससे पहले उन्होंने  सेक्टर 26 नोएडा में आयोजित एक दिवसीय मीडिया कॉन्फ्रेंस में आमंत्रित किया। वहां गई, मुझे बहुत अच्छा लगा। समापन तक मैं वहां रही। माउंट आबू जाने के लिए  रजिस्ट्रेशन कराया। ट्रेन में टिकट बुक करवाली लेकिन जाने से पहले मेरी बहन को कैंसर डायग्नोज हो गया। मैंने मेधा दीदी को फोन पर न जाने की असमर्थता जताई। उन्होंने कहा कि आप वहां जाइए, आपको अच्छा लगेगा, मन बदलेगा पर मैं नहीं गई। 20 अप्रैल को मेधा दीदी का इन्विटेशन मैसेज था।


माउंट आबू में होने वाली 5  से 9 मई, ज्ञान सरोवर माउंट आबू राजस्थान में आयोजित मीडिया कॉन्फ्रेंस ब्रह्माकुमारीज़ का। एक लिंक भेजा था, जिसे भर कर भेजना था।   ब्रह्माकुमारीज़ के द्वारा 5  से 9 मई 2023 तक "राष्ट्रीय विकास के लिए मीडिया की जिम्मेदारी" पर पांच दिवसीय मीडिया सम्मेलन और ध्यान रिट्रीट का आयोजन किया जा रहा था। राजयोग एजुकेशन एंड रिसर्च फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित यह सम्मेलन ब्रम्हा कुमारियों के ज्ञान सरोवर, माउंट आबू के हार्मनी  हॉल में आयोजित किया जा रहा था।

 माउंट आबू अध्यात्मिक स्थान के रूप में विश्व भर में प्रसिद्ध है और लोग यहां दूर-दूर से अध्यात्मिक आनंद और योग के लिए  आते हैं।  मुझसे जो जानकारी मांगी गई, मैंने दिए गए लिंक पर भेज दी। 23 अप्रैल को सुबह, मुझे मेल द्वारा मेरा रजिस्ट्रेशन नंबर आ गया।  मैंने राजधानी में 4 मई का रिजर्वेशन करवाया, लौटने का 9 और 10 अप्रैल का करवाया जो दोनों वेटिंग में 8 नंबर था।  और मैंने जाने की तैयारी कर ली। यहां पहली बार मैं जा रही थी पर मन में बहुत सा उत्साह था। उत्साह का एक कारण यह भी था की गाड़ी से उतरते ही पिकअप था इसलिए कोई चिंता नहीं थी। नई दिल्ली से 7.55 की गाड़ी थी, जिसने  सुबह 5:30, आबू रोड पर पहुंचना था। समय से काफी पहले स्टेशन पर पहुंच गई। बी- 12  डिब्बा  स्टेशन से  बहुत दूर था। जब मैं वहां पहुंची।



ढेर सारे सामान के साथ एक लड़का मुझसे आकर बोला," प्लीज आप मेरे सामान का ध्यान रखना मैं और सामान   ले आऊं।" मैंने कहा," ठीक है।" वह चला गया काफी देर हो गई, मुझे उसके सामान के पास खड़े हुए। गाड़ी चलने का समय हो गया। मेरे पास तो हल्का सा लगेज था। दूर से उसे आता देख, मैं डिब्बे में चढ़ने लगी। अभी भी वह खूब सामान लेकर आया  मैं डिब्बे में चढ़ गई। क्रमशः