Search This Blog

Showing posts with label Culnery Capital of India. Show all posts
Showing posts with label Culnery Capital of India. Show all posts

Thursday 2 July 2020

अमृतसरी नाम!! और यहां का खान पान! Amritsari Khana अमृतसर यात्रा Amritsar Yatra भाग 15 Neelam Bhagi नीलम भागी


हमारे शहर में कोई अपने खाने की डिश के आगे अमृतसरी शब्द लगा ले, मसलन अमृतसरी नान, कुलचे, छोले, मच्छी, पाय, मटन टिक्का, चिकन तंदूरी, कुल्फी आदि तो वहां लोग एक बार तो खाने जरुर जाते हैं। आगे उसका स्वाद ग्राहकों को खींचेगा। अब तक मैं यहां शादियों में ही आई थी। गोल्डन टैंपल का कड़ा प्रशादा ही खाया है ऐसा स्वादिष्ट की लिख नहीं सकती। बाहर खाने का मौका ही नहीं मिला। नीरज की शादी में अमृतसर से जालंधर बारात गई थी। वहां लाजवाब खाने थे। तड़के वहां से चले अमृतसर पहुंचे नाश्ता बनने में समय लगता, तो बाजार से तंदूरी भरवां कुलचे, छोले, चटनी आ गई। ऐसे लजी़ज कुलचे!! और यहां के खाने की बातें चल पड़ीं। मैंने तभी सोच लिया था कि अब मेरी अमृतसर की यात्रा खाऊ यात्रा होगी। हमारे यहां खेती होती थी इसलिये पंजाबी में कहते हैं ’दब के बाओ, ते रज के खाओ’(खूब मेहनत करो और छक कर खाओ) इसने ही अमृतसर के खाने को देश दुनिया में मशहूर कर दिया। पंजाबी खाना और पंजाबी गाना दुनिया के किसी भी कोने में मिल जाता है। अमृतसर को भारत का ’कलनरी कैपिटल’ भी कहते हैं। स्वर्ण मंदिर के आसपास सब शाकाहारी भोजनालय हैं। जहां ट्रैडिशनल पंजाबी खाना, सरसों दा साग के साथ मक्का की रोटी, छोले के साथ आलू पनीर के भरवां कुल्चे आदि। भरावां दा ढाबा, पाल दा ढाबा, आहूजा की लस्सी ,हिन्दू कॉलेज और दुर्गियाना मंदिर के पास, कटरा शेर सिंह में ज्ञान हलवाई की मैंगो, केसर लस्सी, नमक मंडी में राधू राम के कुलचे छोले, छोलेयां वाले कुलचे, कटरा आहलुवालियां में गुरदास राम की देसी घी की जलेबियां,  शर्मा स्वीट शॉप की कुरकुरी जलेबियां, नावल्टी स्वीट्स का गाजर का हलुआ, हॉल बाज़ार का ’फ्रूट क्रीम और कुल्फा’, कान्हा स्वीट्स की पिन्नी, केसर का ढाबा, कुंदन दा ढाबा, मक्खन का ढाबा, मामे दा ढाबा पर भेजा फ्राई, हाथी गेट के पास पाया कीमा परांठा, बीरा चिकन कॉर्नर पर चिकन तंदूरी टिक्का, कीमा नान , रोज़ गार्डन के पास’सी.ब्लॉक मार्किट के पास, आदर्श मीट शॉप पर ’मटन चॉप’। वहां से लौटने के बाद अंकूर यहां के नानवेज की तारीफ करते हुए नहीं थकता और मैं शाकाहारी खाने की। लेकिन मीठे और लस्सी की दोनो तारीफ करते हैं। कुछ पुरानी गलियों में हलवाई आज भी लुचियां, हलवा कतलंबा बनाते हैं और जिन्होने उसे खाया है। वे यहां आने पर, जरुर खाने जाते हैं। और चाट!!
अगर अमृतसर के पापड़, वडीयां आपके पास हैं तो अम्बरसर की याद आपके साथ है|
समाप्त