

हमारे शहर में कोई अपने खाने की डिश के आगे अमृतसरी शब्द लगा ले, मसलन अमृतसरी नान, कुलचे, छोले, मच्छी, पाय, मटन टिक्का, चिकन तंदूरी, कुल्फी आदि तो वहां लोग एक बार तो खाने जरुर जाते हैं। आगे उसका स्वाद ग्राहकों को खींचेगा। अब तक मैं यहां शादियों में ही आई थी। गोल्डन टैंपल का कड़ा प्रशादा ही खाया है ऐसा स्वादिष्ट की लिख नहीं सकती। बाहर खाने का मौका ही नहीं मिला। नीरज की शादी में अमृतसर से जालंधर बारात गई थी। वहां लाजवाब खाने थे। तड़के वहां से चले अमृतसर पहुंचे नाश्ता बनने में समय लगता, तो बाजार से तंदूरी भरवां कुलचे, छोले, चटनी आ गई। ऐसे लजी़ज कुलचे!! और यहां के खाने की बातें चल पड़ीं। मैंने तभी सोच लिया था कि अब मेरी अमृतसर की यात्रा खाऊ यात्रा होगी। हमारे यहां खेती होती थी इसलिये पंजाबी में कहते हैं ’दब के बाओ, ते रज के खाओ’(खूब मेहनत करो और छक कर खाओ) इसने ही अमृतसर के खाने को देश दुनिया में मशहूर कर दिया। पंजाबी खाना और पंजाबी गाना दुनिया के किसी भी कोने में मिल जाता है। अमृतसर को भारत का ’कलनरी कैपिटल’ भी कहते हैं। स्वर्ण मंदिर के आसपास सब शाकाहारी भोजनालय हैं। जहां ट्रैडिशनल पंजाबी खाना, सरसों दा साग के साथ मक्का की रोटी, छोले के साथ आलू पनीर के भरवां कुल्चे आदि।









अगर अमृतसर के पापड़, वडीयां आपके पास हैं तो अम्बरसर की याद आपके साथ है|
समाप्त

2 comments:
अमृत सर के नान का स्वाद कभी भूला नहीं जा सकता आपने फिर से याद दिला दिया
Hardik dhanyvad
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