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Thursday 2 June 2016

अनोखा मध्य प्रदेश लेडिज़ वेटिंग रूम Ladies Waiting room Madhya Pradesh Part 8 Neelam Bhagi




अमरकंटक एक्सप्रेस में टू ए.सी. में शाम 6.35 पर हमारा शहडोल के लिये रिर्जेवेशन था। शुक्ला जी ने समझाया कि आप अमरकंटक के लिये पाण्ड्रा रोड पर उतरना। हम पचमढ़ी से तीन बजे आकर  पिपरिया स्टेशन के महिला प्रतीक्षालय में बैठ गये। बाथरूम में गये, तो वहाँ फर्श पर पानी भरा हुआ था। महिलाएँ तो कहीं भी फारिग़ नहीं हो सकती हैं न, इसलिये मजबूरी में वो उसका उपयोग कर रहीं थी। वहाँ की परिचारिका उनींंदी सी कुर्सी पर बैठी थी और सिर उसने श्रृंगार मेज पर टिका रक्खा था। लेकिन ड्रेसिंग टेबल का शीशा बिल्कुल साफ था। तीन घण्टे बैठना था। मैंने उससे पूछा,’’क्या टॉयलेट ऐसे ही गंदे रहते हैं।’’जिसके जवाब में उसने कहा,’’दीदी मेरी बारह घण्टे की ड्यूटी है। बड़ी लम्बी ड्यूटी है।’’हम भी चुपचाप बैठ गये। इतने में दो लड़कियाँ आकर हमसे दूर बैठ गई। उनके हाथ में पुलिस में भर्ती के एन्ट्रेंस इग्ज़ाम की कोई पुस्तक थी। वे दोनों दीन दुनिया से बेख़बर उसी को सॉल्व करने में लगी रहीं। अचानक अनाउन्समैंट सुनकर परिचारिका बोली,’’लड़कियों तुम्हारी गाड़ी आने वाली है।’’वे किताब, कापियाँ झोले में ठूंसते हुए दौड़ीं। ये काम उसका नहीं था, तब भी उसने किया। अब मुझे परिचारिका भली लगी। मैंने उससे पूछा,’’आपको कैसे पता इनकी गाड़ी आने वाली है। उसने जवाब दिया,’’ ये डेली हैं न, इसलिये इनकी गाड़ी याद हो जाती हैं। लड़की की जात हैं, घर पर माँ के साथ भी काम में हाथ बटवाना होता है। इंहा ये पढ़ने में मशगूल हो जाती हैं। हम ध्यान रख लेते हैं। जो भी लड़कियाँ पास हो जाती हैं। हमें मिलने भी आती हैं।’’फिर  उसने हमसे पूछा,’’आप कहाँ जा रही हो?’’हमने कहा,’’शहडोल, वहाँ से अमरकंटक।’’सुनते ही वह उठ कर चल दी। आते ही बोली,’’आप न पाण्ड्रा रोड उतरना वहाँ से अमरकंटक जाना।’’महिलायें आती कुछ देर बैठती, गाड़ी के आते ही चल देतीं। यहाँ मैने किसी भी महिला को खाली नहीं देखा। किसी की गोद में बच्चा या पेट में बच्चा या कुछ पढ़ने को, जिसे वह बैठते ही पढ़ने लग जाती।
   एक महिला ने आते ही परिचारिका के आगे ड्रेसिंग टेबल पर पर्स रक्खते हुए कहा,’’आज तो गाड़ी एक घण्टा लेट है।’’साथ ही उसने पर्स से कंघा निकाल कर बालों को सुलझा कर, उन्हें कस कर अनुशासन में बांधा। क्या मज़ाल जो एक भी बाल बंधन से बाहर आने की गलती करे। फिर उसने चेहरे को एक क्रीम से साफ किया। अब उस पर दूसरी क्रीम लगा कर मसाज़ करने लगी। इतने में एक दूसरी लड़की आई, उसने उसे मसाज करते ध्यान से देखा और बोली,’’बी, आप गलत मस़ाज कर रहीं हैं। इससे आपकी स्किन लटक जायेगी।" वह पर्स रख कर उसके चेहरे की मालिश करने लगी। अब महिला वेटिंगरूम, ब्यूटीपार्लर में तब्दील हो गया। मसाज करवाते हुए वह बोली,’’हमारे पास सबके लिए समय है पर खुद के लिये बिल्कुल नहीं है। गाड़ी जब भी लेट होती है। तो ही कुछ कर पाती हूँ।’’मैंने पूछा,’’आप नौकरी करती हैं?’’वह बोली,’’ मेरा नाम अफसां(चमकदार मांग भरने की) बी है। मैं वन खेड़ी में महिला और बाल विकास विभाग में नौकरी करती हूँ।’’मैंने उसकी दिनचर्या पूछी। अफसां बी ने बताया कि वह सुबह साढ़े पाँच उठती है। सात बजे इटारसी से पिपरिया के लिये गाड़ी लेती है। आठ बजे पिपरिया पहुँच कर, वनखेड़ी के लिये बस लेती है। शाम चार बजे फिर यही चक्कर शुरू। अगर कभी लेट हो जाती हूँ, तो वहीं रूक जाती हूँ।’’मैंने पूछा कि शाम को घर जाकर भी सब करना पड़ता होगा।’’वो बोली,’’अभी तो नहीं, क्योंकि मेरी माँ का इंतकाल हो गया। भाई और शादी के लायक बहन हैं। पति का भोपाल में बिजनेस है। बहन की शादी तक इटारसी में हूँ। मेरी ग्यारवीं और बारहवीं में पढ़ने वाली दो बेटियाँ भी मेरे साथ हैं। मैंने पूछा,’’अगर आपको बेटियों के लिये बहुत अच्छा लड़का मिलता है, तो आप  बेटी की शादी करेंगी या उसे पहले आत्मनिर्भर बनायेंगी।’’वे बोली,’’पहले आत्मनिर्भर फिर शादी।’’ बड़ा अच्छा लगा उनसे बात करके । वे अपनी गाड़ी के लिये चल दी। मसाज़ करने वाली का नाम डॉली था। मैंने पूछा,’’तुम इनके साथ नहीं गई। वो बोली,’’ मैं वन खेड़ में घर पर पार्लर चलाती हूँ। एक एन.जी.ओ. में सिलाई और पार्लर का काम सिखाती हूँ। यहाँ कभी कभी पार्लर में प्रैक्टिस के लिये आती हूँं। वेटिंग रूम में कभी मुलाकात हो जाती है। हमारा समय हो गया, हम भी लगेंज़ उठा कर प्लेटफार्म की ओर चल दिये। क्रमशः