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Wednesday, 10 October 2018

या देवी सर्वभूतेषु सृष्टि रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः। नवरात्र नीलम भागी Navratra Neelam Bhagi




                                                   जबसे मैंने होश सम्भाला है, अपनी अम्मा के पास एक भजनों की कापी जो अब डायरी में तब्दील हो गई है, उसे देखा है। यह नवरात्रों में हमेशा बाहर नज़र आती है और इसमें नवरात्रों में भजनों में इजा़फा हो जाता । अम्मा को चिकनगुनिया हुआ था। जिसका असर ये हुआ कि 95 वर्षीय अम्मा, अब नवरात्रों के र्कीतन में नहीं जा पातीं। मेरी तरफ देखती रहतीं हैं कि मैं जाऊँ और आकर ,उन्हें आँखों देखा हाल सुनाऊं। मैं जाती हूं और कुछ अम्मा की प्रिय भजन गायिकाओं के विडियों बना लाती हूं। वे उसे देखती हैं फिर दिन भर भजन गुनगुनातीं हैं। हमारे सेक्टर में तीन शिफ्ट में नवरात्र का र्कीतन होता है। 11 से 1 बजे, 3 से 5 बजे और मंदिरों में कहीं दोपहर में तो कहीं सायं 6 से 8 बजे तक। इन शुभ दिनों में घरेलू और कामकाजी लोगो को अपनी सुविधानुसार  पूजा  भजन में जाने का मौका मिल जाता है। मेरी अम्मा इन दिनों बहुत व्यस्त रहतीं थीं। हर जगह बुलावे पर कीर्तन में जो जाना होता था। डायरी पकड़े यहाँ से वहाँ जातीं थी। नवमीं के दिन बड़ी उदासी से घर आतीं और अपनी डायरी सम्भाल के रख देतीं, अगले नवरात्र के  इंतजार में। जब मैं इस सेक्टर में आई थी ,तब से आशा जी  अपने यहाँ महीने के पहले मंगलवार को 11से 1 कीर्तन रखतीं आ रही हैं। इस तरह महिलाएं एक जगह मिलती हैं । समापन  के बाद बतियातीं हैं। इस दिन का सबको इंतजार रहता है। कुछ सालो बाद, मैंने अम्मा से पूछा कि आप लोगो का र्कीतन कैसा चल रहा है? वे बोलीं कि सबकी उम्र बढ़ गई है, अब ढोलक नहीं बजती, जो नई बहू बेटियाँ आ रहीं हैं वे ढोलक बजाना नहीं जानती हैं। जैसे मैं अम्मा का भजन सत्संग का लगाव, देखती वैसे ही औरों का भी होगा। ये सोच कर मैंने एक ढोलक वाला ढूंढा। उसे कहाकि तुझे घरेलू महिलाओं के साथ ढोलक बजानी है। वो सुर में गायें, बेसुरा गायें, तुझे उनके साथ ताल मिलानी है। साउंड सिस्टम उन्होंने अपना ले रखा है। वो तुरंत राजी हो गया क्योंकि प्रोफैशनल के साथ बजाने में तो वो दस कमियां इसमें निकालते यहां तो जैसे मर्जी ढोलक पर थाप दो। आशा जी को बताया, वे बहुत खुश हुईं। तब से वही ढोलक वाला ढोलक बजा रहा है और र्कीतन बढ़िया चल रहा है। पिछले साल रात को मनपसंद किताब मिल गई। मैं उसे पढ़ने में लीन थी। अम्मा ने देखा कि किताब के कारण मैं रात को भी कम सोई हूं। 12 बजे उनसे नहीं रहा गया वे बोलीं,’’एक बजे र्कीतन में आरती होगी। मैं जल्दी से भार्गव परिवार के घर गई। वहाँ श्रद्धा भक्ति से महिलाएं गा रहीं, नाच रहीं थीं। भजन के बाद एक ही बात दोहरातीं आज पहला नवरात्र हैं न, गला खुला नहीं हैं, धीरे धीरे खुल जायेगा। मैं वीडियो , तस्वीरें लेती हूं। समापन पर सबने अम्मा के बारे में पूछा। घर आकर अम्मा ने मोबाइल में वीडियो और तस्वीरें देखीं। फिर अपनी इच्छा बोली कि उनके मरने के बाद उनके भजनों की डायरी आशा को दे देना। तूं तो किताब पढ़ने के चक्कर में नवरात्र भी भूल गई। कोविड काल में पहले नवरात्र की पूजा अर्चना कर के अम्मा कह रही थी कि  मेरे 92 वें साल की उम्र में कोरॉना से बचाव के लिए, सब घर में परिवार के साथ नवरात्र की पूजा अर्चना कर रहे हैं। अगले नवरात्र पर सब पहले की तरह मनाएंगे, कीर्तन, जागरण और माता की चौंकिया होंगी। 
   आज 2 साल बाद नवरात्र का पहला कीर्तन डॉ बबीता शर्मा ने अपने घर सेक्टर 50 में करवाया।  हम गए और सभी महिलाएं बहुत खुश थी और एक ही बात बोल रही थी कि दो साल बाद हम इस तरह बैठे हैं और अपना भजन भूल जाती थी फिर  मोबाइल में से निकालती। कोई किसी को गाने को नहीं कह रहा था। पर एक के बाद एक भजन छोड़ रही थी। अपने आप उठ उठ के नाच रही थी और सब ने बहुत आनंद से कीर्तन किया और करोना को कोसा।