चंद्रहिया गांधी उद्यान विशाल भूखंड पर है जिसमें काम चल रहा था। तरह तरह के पेड़ लगे थे। निर्माण के साथ साथ पौधों को देखभाल की भी जरूरत है। वहाँ बकरी भी पौधे खा रही थी। माननीय मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार जी के पौधे से पत्ते गायब थे। वहाँ एक डण्डी थी। शायद उस पौधे के पत्ते बकरी खा गई होगी। लेकिन माननीय पूर्व उपमुख्यमंत्री श्री तेजस्वी प्रताप यादव जी का पौधा हरे हरे पत्तों के साथ था। जबकी दोनों पौधों के साथ र्बोड लगा हुआ है। बकरी तो जानवर है उसे क्या कह सकते हैं। हम अब बहुत सुन्दर रास्ते से केसरिया की ओर चल पड़े। जो मोतिहारी से 35 किलोमीटर दूर साहेब चकिया र्माग पर लाल छपरा चौक पर केसरिया में बौद्ध स्तूप स्थित है। 1998 में पुरातत्ववेता के अनुसार यह बौद्ध स्तूप दुनिया का सबसे ऊँचा स्तूप है। यह पटना से 120 किमी और वैशाली से 30 किमी दूर है। उनके अनुमान के द्वारा से मूल रूप से इसकी ऊँचाई 150 फीट थी। 1934 में आये भूकंप से 123 फीट है। भारतीय पुरातत्व के अनुसार यह विश्व का सबसे ऊँचा बौद्ध स्तूप है। जो 14000 फीट में फैला है।
जावा का बोरेबुदूर स्तूप 103 फीट है। जबकि केसरिया 104 फीट है। दोनों ही स्तूप छह तल्ले वाला है। विश्व धरोवर में शामिल सांची के स्तूप की 77.50 फीट ऊँचाई है। दुनियाभर के पर्यटक यहाँ आते हैं।भगवान बुद्ध जब महापरिनिर्वाण ग्रहण करने कुशीनगर जा रहे थे। तो वे एक दिन के लिए केसरिया ठहरे थे। जिस स्थान पर वे ठहरे थे। उसी स्थान पर कुछ समय बाद सम्राट अशोक ने इस स्तूप का निर्माण करवाया था।
बाबा केशरनाथ महादेव मंदिर भी पूर्वी चंपारण में स्थित है। यह शिवलिंग 1969ई0 में नहर की खुदाई के दौरान मिला था। श्रावण मास के सोमवार और शुक्रवार को यहाँ मेला लगता है। नेपाल से भी बड़ी संख्या में लोग पूजा अर्चना करने यहाँ आते हैं।
लौरिया गाँव जो अरेराजा अनुमंडल में स्तंभ है। वह 36.5 फीट ऊँचा स्तंभ है। जो बलूआ पत्थर से बना है। कहते हैं 249 ईसा पूर्व सम्राट अशोक ने इसे बनवाया था। इस पर सम्राट अशोक ने अपने छह आदेश लिखवायें हैं। आधार का व्यास 41.8 इंच है और शिखर का 37.6 इंच, जमीन से वजन लगभग 34 टन है। और कुल वजन 40 टन है। इन सब स्थानों पर जाने के रास्ते हरियाली से भरे हुए हैं। सड़क के दोनो ओर छाया दार पेड हैं और अच्छी बन रही सड़कें हैं। जिससे इन स्थानों पर जाना बहुत अच्छा लग रहा था।़