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Thursday, 4 April 2019

पालतू कुत्ते और फालतू कुत्ते नीलम भागी


पालतू कुत्ते और फालतू कुत्ते
नीलम भागी

’’कुत्ते के लिए 250 ग्राम नमकपारे तोल देना।’’ जोर से खरैती लाल जी बोलते फिर मेरे चेहरे की बदली हुई  रंगत देख, धीरे से कहते, ’’बच्चे भी खा लेंगे।’’ शाम को गर्मार्गम समोसे और इमरती लेने वालों की मेरी दुकान पर भीड़ लगी होती और ऐसे में, मेरी मिठाइयों को डॉग फूड कहना, मुझे बहुत बुरा लगता था। खरैती लाल जी, दुकान के रेगुलर ग्राहक हैं, इसलिए खून का घूँट पीकर रह जाती हूं। कई बार सोचा कि खरैती लाल जी को ऐसा न करने के लिए समझाऊँ, पर वे किसी बहुत बड़े अधिकारी के चपरासी हैं, कहीं बुरा न मान जायें, इसलिए चुप लगा जाती हूँ।
खरैती लाल जी के साहब के घर में कुत्ता देख कर, लोग साहब को कुत्ता प्रेमी समझते थे। अब जिन लोगों का साहब से काम पड़ता, उनकी कुतियाओ ने बुलडॉग, एल्सेशियन, जर्मनशैपड, ग्रेहाउण्ड, पामैरियन, फॉक्सटैरियर, डॉबरमैन, लैब्राडोर, नस्ल के पिल्ले पैदा करने शुरु कर दिये। वे भेंट में साहब को कुत्ता दे जाते। साहब भी इतने कुत्तों का क्या करें? वे आगे गिफ्ट कर देते। इसी प्रोसेस के तहत खरैती लाल जी को पामैरियन कुत्ता प्राप्त हुआ था।
साहब का दिया, अंग्रेजी कुत्ता है। इसलिए उसका अंग्रेजी और किसी फिल्म में देख, नाम टफी रखा गया। टफी के लिए शैंपू, साबुन, पाउडर, बाल संवाने का ब्रुश, खाने का बर्तन और मुलायम बिस्तर आया। घर भर के लाडले टफी से, अपनी सामर्थ्य के अनुसार परिवार के सदस्य इंग्लिश में बात करते। टफी के ठाठ देख कर, आवारा कुत्ते उससे ईर्ष्या करते थे। जब वह सुन्दर सी चेन में बंधा हुआ, घूमने जाता, तो देसी कुत्ते जुलूस की शक्ल में, उसके पीछे भौंकते हुए चलते थे। अचानक टफी के ठाठ पर ग्रहण लग गया। रिटायर होते ही, खरैती लाल जी का इंतकाल हो गया। साथ ही बूढ़ा टफी अब, पालतू कुत्ते से फालतू कुत्ता हो गया। स्वामी भक्ति के कारण वह घर के दरवाजे पर बैठा रहता। अब बेमतलब भौंकने लगा। जमींन पर पड़ी रोटी खा लेता और देसी कुत्तों के झुण्ड में घूमता रहता। कुत्तों को मैं भी बहुत प्यार करती हूँ। पर घर में नहीं पालती। आवारा कुत्तों को घर से बाहर खिलाती हूँ। उनके पीने के लिए साफ पानी रखती हूँ इसलिए एनिमल लवर्स कहलाती हूं। मैं बहुत समझदार महिला हूं इसलिए उन्हें जरुरत के समय पहनाने के लिए घर में मैंने कई पट्टे भी रखे हैं। हमेशा पट्टे पहना कर रखूंगी तो लोग फालतू कुत्तों को मेरे कुत्ते समझेंगे जब यह किसी को काटेंगे तो लोग मुझसे लड़ने आएंगे।
उत्कर्षिनी घर आई ठीक उसी समय कुत्ता पकड़ने वाली गाड़ी भी मेरे ब्लॉक में आई। उत्कर्षिनी की आव भगत छोड़, मैं जल्दी से आवारा कुत्तों के गले में पट्टे डालने लगी। कुछ पट्टे मैंने उत्कर्षिनी को भी दिए और कहा’’ जल्दी जल्दी इनके गले में डालों ,पट्टे पहनकर ये पालतू कुत्ते लगेंगे वरना फालतू कुत्ते! और गाड़ी वाले इन्हे आवारा समझ कर ले जायेंगे।’’उत्कर्षिनी तो मेरी मदद करने की बजाय मुझे डाँटते हुए कहने लगी,’’तुम जैसे लोगों के कारण, अब सेक्टर में जहाँ भी देखो फालतू कुत्तों के झुण्ड नज़र आते हैं। कभी भी किसी के पीछे भागना शुरु कर देते हैं। कटने के डर से, लोग और तेजी से भागते हैं, जिससे टकराने से चोट लग जाती है। कुछ कुत्ते तो गाड़ी के ऊपर तशरीफ़ रखते हैं, कुछ नीचें। किसी कार्यक्रम के लिए कारपेट बिछते ही, उस पर ही इन्हे नींद आती है। उठाओ तो गुर्राते हैं। ये इन्हे मारने के लिए नहीं ले जा रहे। इनका ऑपरेशन करेंगे ताकि इनकी बढ़ती हुई संख्या को कम किया जाये। क्योंकि इनमें ज्योमैट्रिकल सीरीज में वृद्धि होती है।’’लगता है मुझ पर उत्कर्षिनी की डाँट का असर हो गया है।