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Saturday, 18 May 2019

अहमदाबाद से पॉइचा स्वामीनारायण मंदिर नीलकण्ठ धाम Poincha Swaminarayan Mandir, Neelkanthdham Gujrat Yatra Part 13 Neelam Bhagi गुजरात यात्रा भाग 13 नीलम भागी

नीलम भागी
सायं साढ़े सात बजे हमने अहमदाबाद की सीमा में प्रवेश किया। बस में बैठे इस महानगर से परिचय कर रहे थे। बड़े बड़े जगमगाते मॉल, बहुमंजिलें इमारतें, मल्टीस्टोरी हाउसिंग कॉम्पलैक्स, फ्लाइओवर बने हुए और नये बन भी रहे थे। और पुराने भवनों की भी अपनी विशेषता थी। हम गुजरात विद्यापीठ के गैस्ट हाउस में ठहरे। सुबह हमें स्टैचू ऑफ यूनिटी के लिये निकलना था। इसलिये जल्दी सब डिनर के लिये चल दिये। उस दिन 10 तारीख और रविवार था। अब पता चला कि सोमवार को स्टैचू ऑफ यूनिटी मेंं मेंटेनेंस कार्य के कारण, दर्शकों के लिये अवकाश रहता है। अब 11 को क्या करें? स्टैचू ऑफ यूनिटी तो जरूर जाना है। 12 तारीख को सुबह जाकर शाम को आ नहीं सकते क्योंकि सायं 5 बजे हमारी राजधानी में सीट बुक थी और 14 को 4 बजे की फ्लाइट बुक थी। जिन साथियों ने गाड़ी से जाना था, उनकी गाड़ी छूट जाती। यात्रा से थके हुए थे। सब सो गये। सुबह उठने पर भी विचार विर्मश चलता रहा। फिर यह तय हुआ कि लंच करके पॉइचा में नीलकण्ठ धाम जायेंगे। वहाँ रात्रि विश्राम करके सुबह सुबह स्टैचू ऑफ यूनिटी चल देंगे। स्टैचू ऑफ यूनिटी भी अच्छी तरह देखा जायेगा और गाड़ी भी पकड़ी जायेगी। हमने और कुछ साथियों ने फ्लाइट से जाना था इसलिये हमने द्वारका जी का प्रोग्राम बना लिया था क्योंकि अहमदाबाद भी नहीं देखा गया था। त्यागी जी ने द्वारका की ट्रेन के लिये ऑन लाइन बुकिंग शुरू कर दी। सभी गाड़ियाँ फुल। हमें 12 तारीख को सायं 4 बजे अहमदाबाद से एक गाड़ी में स्लीपर में सीटें मिलीं। द्वारका जी पहुँचने का समय रात बारह बजे था। लंच लगते ही सबसे पहले हमने लंच किया और बस में बैठ गये। अब फिर खूबसूरत रास्तों से हमारी बस चल पड़ी। रास्तें में चाय के लिये रूके। वहाँ का आर्कषण था ’चारपाइयाँ, खरगोश और बत्तखें’। 
अब एक ही चिंता थी कि वहाँ रहने की जगह मिल जायेगी क्या! लगभग 170 किमी की यात्रा करके हम 105 एकड़ में नर्मदा के किनारे बने स्वामीनाराण मंदिर नीलकंठ धाम पहुँचे। रात हो चुकी थी, मंदिर जगमगाती रोशनी में नहा रहा था। देवेन्द्र वशिष्ठ और उनके सहयोगी तो ठहरने की व्यवस्था करने चले गये। हम तस्वीरें लेने में लग गये। कमरे सब बुक थे। हमें एक बडा हॉल 45 गद्दे और 45 तकिये मिल गये। जगह मिलते ही सबने चैन की सांस ली। अब बस से सामान उतार कर, साफ सुथरे हॉल में रख कर हम मंदिर घूमने चल दिये क्योंकि रात 9.30 पर मंदिर के द्वार बंद हो जाते हैं। इसे तो धाम के साथ पिकनिक स्पॉट भी कह सकते हैं। देवेन्द्र वशिष्ठ सबसे पहले सबको फूड र्कोट लेकर गये। कई तरह के खाने के स्टॉल थे। मसलन साउथ इण्डियन, र्नाथ इण्डियन, पंजाबी, गुजराती, फास्ट फूड आदि। रेट लिस्ट लगी थी। कूपन एक ही जगह मिल रहे थे। पैसा दो कूपन लो। स्टॉल से खाने को लो। सैल्फ सर्विस। सफाई की उत्तम व्यवस्था, सब डस्टबिन का प्रयोग कर रहे थे। डिनर के बाद सब घूमने लगे। बच्चे वहाँ बहुत खुश नज़र आ रहे थे। कई तरह के जोन थे। र्पाक, बच्चों के खेल, प्रदर्शनी हॉल, हारर हाउस, मिरर हाउस, एम्यूजमैंट र्पाक, साइंस सिटी और मनपसंद साफ सुथरा खाना। भजन कीर्तन तो चल ही रहा था। बहुत खूबसूरत धाम है, तीर्थ यात्रा भी और पिकनिक भी। घूम कर थक गये तो हॉल में आ गये। सबने लाइन से गद्दे तकिये लगा लिये। मैं नीचे नहीं बैठ सकती इसलिये दीवार के साथ पाँच गद्दे रक्खे थे। मैं उन पर लेट गई। बराबर में अंजना ने अपना सिंगल गद्दा लगा कर कहा कि बेफिक्र होकर सो। नींद में गिरोगी तो मेरे गद्दे पर। मैं आराम से सोई। सुबह 6 बजे स्टैचू ऑफ यूनिटी के लिये निकलना था। 4 बजे से सब एक दूसरे से पहले स्नान, ध्यान, योगा में लग गये । हम दोनो सोती रहीें और आँख खोल कर देख भी लेंती कि हमें स्नान का मौका मिलेगा कि नहीं, फिर सो जातीं। बस लग गई। हम कल वाले कपड़ों में सोई थीं, वैसे ही उठ कर लगेज़ उठाया और बस में बैठ गईं। क्रमशः