अब उसका हमारे घर
में दिल नहीं लग रहा था। अपने में ही मस्त रहती थी। डेढ़ महीना इसका बचा था। अब वह
तकरीबन रोज रात को दो घण्टे के लिये जाती थी। लेकिन ऑफ में वह शनिवार रात को ही
चली जाती। रविवार देर रात को आ जाती। हमने भी सोच लिया कि अब हम जान पहचान की लड़की
नहीं लायेंगे। या बच्चों को डे केयर में रख कर पार्ट टाइम मेट रक्खेंगे। ये सब
काजल के जाने के बाद ही करेंगे। क्योंकि हमें ये सब देखने की आदत नहीं है। सब कुछ
वैसा ही चलता रहा, काजल अपनी ड्यूटी
अच्छे से करती रही। हर काम गाते गुनगुनाते करती थी। पैर उसके जमीन पर नहीं पड़ते थे
बस वह पंखों के बिना उड़ती चलती थी और आठ बजने का इंतजार करती थी। हमारी हाँग कांग
जाने की तैयारी उसने बड़ी खुशी से दौड़ दौड कर की। हमें उसने खुशी में उठा कर घर से
बाहर नहीं फैंका बस। हम काजल के हवाले अपना घर करके चल दिए और हम इस बात से बिल्कुल
बेफिक्र थे कि लॉरेंस हमारे घर में, हमारे पीछे नहीं आ सकता। हमने काजल को लौटने की
फ्लाइट का समय बता रक्खा था। लौट कर आते ही घर पर काजल ने डिनर बना रखा था। हमने
डिनर किया और सोने चले गये। और काजल घूमने. एक दिन मामूली सी बात, अजीब घटना में तब्दील होने लगी। नमन डिनर देखने
से पहले बोले,’’और काजल रानी
डिनर में क्या खिला रही हो?’’उसने बड़ी तल्ख
आवाज में जवाब दिया,’’खिलाना क्या वही
घास फूस।’’मैं हैरान होकर नमन के
चेहरे के भाव पढ़ने लगी। जवाब में नमन ने कहा कि काजल तुम तो घास फूस में भी ऐसा
स्वाद डाल देती हो कि ऑफिस में मिलने वाले लंच को मैं निगलता हूँ।’’ साथ ही मेरी ओर आँख दबा दी कि मैं गुस्से में कुछ बोल न
पड़ूं। पहले कभी नमन वैसे ही डाइनिंग टेवल तक जाते हुए, ऐसे ही बोल पड़ते कि आज डिनर में क्या है? तो काजल किचन से
ही मैन्यू बोलती आती थी। आज कैसे बदल गई ये लड़की! बच्चे उसे हांग कांग, मकाउ के बारे में बताते, वो कहीं खोई होती, बस हां हूँ करती रहती। मैं तो मन ही मन सोचती रही कि कांट्रैक्ट समाप्त होने
पर पहले उसकी इच्छा जानूंगी अगर रहना चाहेगी तो उसे इस तरह मना करूंगी, उस तरह मना करूंगी आदि आदि। पर उसकी तो नौबत ही
नहीं आई.
शनिवार हम हमेशा
की तरह देर से सोकर उठे। नमन बच्चों को लेकर स्विमिंग पूल चले गये। काजल ने नाश्ता
बनाया। रसोई समेट कर घर के काम फुर्ती से निपटा कर, अपने एरिया में चली गई। कुछ देर
बाद बिल्कुल सजी धजी, सामान के साथ
बाहर आई। मुझसे बोली,’’दीदी, मेरी दो सहेलियाँ कल आपके पास आ जायेंगी। आप
बात करके जो ठीक लगे, उसे रख लेना। मैं
जा रहीं हूँ। मैंने पूछा,’’कहाँ।’’बोली ऐसे थोड़ी दीदी, मिठाई के साथ आपको खुशखबरी दूंगी क्योंकि आपका आर्शीवाद भी
तो लेना है मुझे।’’कहते हुए उसने
मेरे पैर छुए, साथ ही बच्चे आ
गये। उन्हें बाय करके इतराती हुई निकल गई। मैं तो उसके चहरे से टपकती खुशी के कारण,
उसका इस समय रूप देख कर हैरान थी। ऐसा चेहरे पर
ग्लो कोई सौन्दर्य प्रसाधन नहीं ला सकता। मैं उसका खिला चेहरा देखती रही। आज
उसके चेहरे पर अद्भुत लुनाई थी जो दुल्हन बनने से पहले साधारण नैननक्श की लड़की को
भी असाधारण बना देती है। काजल तो बहुत ही खूबसूरत है। मेरे करने को
उसने कुछ भी काम नहीं छोड़ा था। कल उसकी सहेलियों ने आ ही जाना था। मैंने उनमें से
ही सलैक्ट करना था। मेरे रोम रोम से उसके लिये आर्शीवाद निकल रहा था। बच्चे बार
बार पूछ रहे थे दीदी कहाँ गई? मैं उनका मन बना
रही थी कि कल दूसरी दीदी आयेगी। सामने उसका कार्ड भी रक्खा था। अब वो पराई सी लगने
लगी। कार्ड के बिना जब वो आना चाहेगी तो सिक्योरिटी साथ आयेगी या हमसे परमीशन लेगी
फिर कैमरे में उसकी शक्ल दिखायेंगे। हमारे हाँ कहने पर वो इस घर में आ पायेगी। जाते समय कोई
नहीं देखता। मैं उसके एरिया में गई, लॉरेंस के गिफ्ट सब ले गई थी। बाकि सब छोड़ गई शायद सहेली के लिये। मैंने कॉपी
ढूंढी वो नहीं मिली। मैं सोचती रही कि नई लड़की न जाने कैसी होगी ? अब इंतजार था काजल का, देखो वह कैसा सस्पैंस देती है? इस सस्पेन्स का मैं बेसब्री से इंतजार कर रही थी. छे घण्टे बाद डोर बैल बजी। मैंने दरवाजा
खोला, सामने गार्ड था उसके पीछे
बदहवास सी सामान समेत काजल खड़ी थी। मैं काजल का हाथ पकड़ कर अंदर ले आई फिर उसका
सामान अंदर रक्खा। दरवाजा बंद किया। फिर उसका सामान उसके एरिया में रख आई। काजल का
जहाँ मैंने हाथ छोड़ा था। वो वहीं स्टैचू की तरह खड़ी रही। मैं समझ गई कि इसे गहरा
आघात लगा है। क्रमशः