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Saturday, 16 May 2020

भारत से सिंगापुर यात्रा भाग 1 Singapore Yatra Part 1 Bharat Se Singapore Neelam Bhagi नीलम भागी




ये मेरी तीसरी विदेश यात्रा थी पर इस बार मैं अकेली और पहली बार सिंगापुर जा रही थी। 6 जनवरी थी। कड़ाके की ठंड थी। सिंगापुर में तो मुंबई जैसा मौसम रहता है। गर्म कपड़े ले जाने नहीं थे।पर नौएडा से अपने को ठंड से बचाने के लिए शरीर पर लादने तो जरूरी थे। दोपहर बारह बजे की फ्लाइट थींु सुबह सात बजे घर से निकली ताकि ऑफिस टाइम में जाम में न फस जाउं। दिल्ली इंदिरा गांधी एयरर्पोट के टर्मिनल 3 में प्रवेश करते ही मैं सिंगापुर एयरलाइंस का काउंटर लगेज़ चैक इन के लिए पढ़ ही रही थी कि वहीं खड़े एक व्यक्ति ने मुझसे पूछा,’’सिंगापुर एयरलाइंस।’’मेरे हाँ करते ही उसने सामने लाइन में लगने का इशारा किया। मैं लाइन में लग गई। जैसे ही मेरा नम्बर आया, मुझसे पासर्पोट ,वीजा, टिकट आदि मांगा। मैंने दिया। उन्होने मेरे पेपर लौटाए। साथ ही मुझे बैग़ेज़ चैक रिसिप्ट और र्बोडिंग पास और एक फोर्म भरने के लिए दिया। सबसे ज्यादा प्रभावित मुझे इस बात ने किया कि जो भी पेपर मुझे दिया आगे क्या करना है उसके बारे में समझाया। सभी कार्यवाही पूरी करने के बाद मैं बोर्डिंग के लिए गेट न0 10 पर जाकर बैठ गईं। बोर्डिंग के समय भी सब मजे़ से सीटों पर बैठे थे। एक व्यक्ति एक सीट दिखाता, मसलन 47 से 51 उसी सीट नम्बर की सवारियां उठती और चल पड़ती। इससे भीड़ भी नहीं लग रही थी और बाकि सवारियाँ सॉरी और एक्सक्यूज़ मी कहने से बच गई। प्लेन में कैबिन क्रू आपकी मदद के लिए तत्पर। मैं अपनी सीट पर खड़ी होकर हैंडबैग को उठा ही रही थी। इतनी देर में तो दुबली सी दिखने वाली एयरहोस्टेज़ ने उसे उठा कर रख भी दिया और मेरा पर्स लेकर अगली सीट के नीचे मेरे पैरों के पास एडजस्ट भी कर दिया। मेरी साथ की सीट पर बैठी महिला ने आगे न्यूजीलैंड जाना था, उसने एयरहोस्टेज़ को एक दूसरा बोर्डिंग पास दिखा कर कई प्रश्न पूछे। उसने ध्यान से सुने और इंतजार करने को बोलकर चली गई और जब आई तो सभी प्रश्नों का जवाब लेकर आई और उस महिला को समझाया। समय पर विमान ने उड़ान भरी। अन्दर एयरहोस्टेज़ का फुर्तीलापन देखने लायक था। उनकी सर्विस में कोई कमी नहीं थी। यहाँ मुझे एक एयरलाइन्स का वाक्या याद आता है। एक लड़के के कई बार वाइन माँगने पर, एयरहोस्टेज़ ने वाइन के बदले नसीहत देते हुए कहा,’’शर्म नहीं आती, दिन के साढ़े तीन बजे कोई इतनी शराब पीता है।’’ यहाँ कोई जितनी बार भी माँगे शराब मांगने पर शराब ही मिल रही थी न कि उपदेश। विमान के लैंड करने पर सब कुछ बदल गया था जैसे देश ,समय, मौसम, तापमान बिना कुछ किये थकी हुई सवारियाँ आदि। अगर कुछ नहीं बदला था तो वो था एयरहोस्टेज़ का चेहरा, उनकी चेहरे की मुस्कान और ताज़गी वैसी ही रही जैसी उड़ान भरने के समय थी। खैर.....
    मुस्कुराकर ही उन्होंने हमें विदा किया। एयरर्पोट पर एराईवल के निशान के अनुसार मैं चलती रही, किसी से कुछ पूछना नहीं पड़ा। इमीग्रेशन फॉर्म भर कर , लगेज़ लिया जैसे ही पीठ घुमाई। शीशे के बाहर अमन और अर्पणा खड़े हाथ हिला रहे।क्रमशः