कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष प्ंाजाबी विकास मंच ने वैसाखी और निर्जला एकादशी का आयोजन नहीं किया। लेकिन फेसबुक की मैमोरी ने पिछले साल जो पंजाबी विकास मंच ने निर्जला एकादशी पर ठण्डे र्शबत की छबील लगाई थी, उसकी तस्वीरें दिखाईं तो मेरे दिमाग की मैमोरी में भी फोटो देख कर सीन याद आने लगे। उस दिन भीषण गर्मी थी। मेम्बर्स सेवा कार्य में जुट गए। सड़क से जो गुजरता उसके हाथ में शर्बत का गिलास दिया जाता। कोई प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया। गाड़ियों वालों को छोड़ कर बाकियों राहगीरा को सूती छोटे तौलिए भी दे रहे थे। बहुत विशाल आयोजन था। गर्मी की परवाह किए बिना कुछ सदस्य सड़क पर फुर्ती से शरबत पिला रहे थे। कुछ शरबत बना रहे थे, कुछ गिलास भर रहे थे। कुछ ध्यान रख रहे थे कि सड़क पर जाम न लग जाए। बड़े बड़े ड्रम रखे थे कि लोग पीने के बाद पेपर का गिलास ड्रम में डालें। जगह जगह लिख कर भी लगाया गया था कि शरबत पीने के बाद गिलास डस्टबिन में डालें। पर कुछ लोग पैदायशी ऐसे होते हैं कि उनके लिए सड़क ही डस्टबिन होती है इसलिए वे शरबत पी कर सड़क पर ही गिलास फैंक रहे थे। लेकिन सदस्य भी जैसे ही मौका मिलता, जल्दी से जूठे गिलास उठा कर ड्रम में डाल देते क्योंकि वे सड़क का सम्मान जो करते हैं। ये काम आसान नहीं था। बहुत चलती हुई सड़क थी, लाल बत्ती होने पर सावधानी से जूठे गिलास उठाए जाते। प्रचार से दूर रहने वाले जी.के.बंसल महासचिव मुझे सामने कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे। अचानक मेरी साइड में नज़र पड़ी, वे बड़े ड्रमों में जूठे गिलास भर रहे थे। जब ड्रम भर जाता तो उन कागज़ के गिलासों को बीस लीटर की मिनरल वाटर की खाली बोतल से दबाते ताकि और जूठे गिलासों के लिए जगह बन जाए। जून के महीने की धूप की परवाह किए बिना, अपने काम में लगे हुए थे। और मुझे कहीं पढ़ा पाण्डवों का राजसू यज्ञ याद आ गया। श्री कृष्ण ने उस विशाल आयोजन में सबको काम बांट दिए। अपनेे लिए कोई काम ही नहीं रखा। पर उस समय सब हैरान हो गए, जब भगवान कृष्ण को सबने जूठी पत्तलें उठाते देखा। युधिष्ठर के मना करने पर कृष्ण का जवाब था कि जिसको जो काम सौंपा था वो अपना काम कर रहा है न। मैंने अपने लिए ये काम रखा था इसलिए मुझे भी मेरा काम करने दो। सदस्य पसीने से तर सेवा कर रहे थे। गुरिन्दर बसंल कचरा प्रबंधन कर, सड़क का सम्मान कर रहे थे। साधूवाद पंजाबी विकास मंच के लिए।
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Sunday, 26 July 2020
ऐसे भी होता है!! सड़क का सम्मान Aise Bhi Hota Hei!! Sarak Ka Samman Neelam Bhagi नीलम भागी
कोरोना महामारी के कारण इस वर्ष प्ंाजाबी विकास मंच ने वैसाखी और निर्जला एकादशी का आयोजन नहीं किया। लेकिन फेसबुक की मैमोरी ने पिछले साल जो पंजाबी विकास मंच ने निर्जला एकादशी पर ठण्डे र्शबत की छबील लगाई थी, उसकी तस्वीरें दिखाईं तो मेरे दिमाग की मैमोरी में भी फोटो देख कर सीन याद आने लगे। उस दिन भीषण गर्मी थी। मेम्बर्स सेवा कार्य में जुट गए। सड़क से जो गुजरता उसके हाथ में शर्बत का गिलास दिया जाता। कोई प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं किया गया। गाड़ियों वालों को छोड़ कर बाकियों राहगीरा को सूती छोटे तौलिए भी दे रहे थे। बहुत विशाल आयोजन था। गर्मी की परवाह किए बिना कुछ सदस्य सड़क पर फुर्ती से शरबत पिला रहे थे। कुछ शरबत बना रहे थे, कुछ गिलास भर रहे थे। कुछ ध्यान रख रहे थे कि सड़क पर जाम न लग जाए। बड़े बड़े ड्रम रखे थे कि लोग पीने के बाद पेपर का गिलास ड्रम में डालें। जगह जगह लिख कर भी लगाया गया था कि शरबत पीने के बाद गिलास डस्टबिन में डालें। पर कुछ लोग पैदायशी ऐसे होते हैं कि उनके लिए सड़क ही डस्टबिन होती है इसलिए वे शरबत पी कर सड़क पर ही गिलास फैंक रहे थे। लेकिन सदस्य भी जैसे ही मौका मिलता, जल्दी से जूठे गिलास उठा कर ड्रम में डाल देते क्योंकि वे सड़क का सम्मान जो करते हैं। ये काम आसान नहीं था। बहुत चलती हुई सड़क थी, लाल बत्ती होने पर सावधानी से जूठे गिलास उठाए जाते। प्रचार से दूर रहने वाले जी.के.बंसल महासचिव मुझे सामने कहीं दिखाई नहीं दे रहे थे। अचानक मेरी साइड में नज़र पड़ी, वे बड़े ड्रमों में जूठे गिलास भर रहे थे। जब ड्रम भर जाता तो उन कागज़ के गिलासों को बीस लीटर की मिनरल वाटर की खाली बोतल से दबाते ताकि और जूठे गिलासों के लिए जगह बन जाए। जून के महीने की धूप की परवाह किए बिना, अपने काम में लगे हुए थे। और मुझे कहीं पढ़ा पाण्डवों का राजसू यज्ञ याद आ गया। श्री कृष्ण ने उस विशाल आयोजन में सबको काम बांट दिए। अपनेे लिए कोई काम ही नहीं रखा। पर उस समय सब हैरान हो गए, जब भगवान कृष्ण को सबने जूठी पत्तलें उठाते देखा। युधिष्ठर के मना करने पर कृष्ण का जवाब था कि जिसको जो काम सौंपा था वो अपना काम कर रहा है न। मैंने अपने लिए ये काम रखा था इसलिए मुझे भी मेरा काम करने दो। सदस्य पसीने से तर सेवा कर रहे थे। गुरिन्दर बसंल कचरा प्रबंधन कर, सड़क का सम्मान कर रहे थे। साधूवाद पंजाबी विकास मंच के लिए।
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