9 अप्रैल को पता चला कि हेमू को बुखार है। कोरोना की दूसरी लहर का भय तो फैल ही रहा था। पर इसका तो वैक्सीनेशन हो चुका था। साधारण बुखार समझ कर हमने दवा आदि के लिए फोन किया। वह बोला कि उसका वैक्सीनेशन बहुत पहले हुआ था। उन्हीं डॉक्टर से इलाज चल रहा है। टैस्ट हुआ है अभी रिर्पोट नहीं आई। जो दवा मंगवाता ला देते। खाना वगैरहा नॉक करके दरवाजे से बाहर रख देते, वह उठा लेता। रिर्पोट न आने से कोरोना की आशंका से भयभीत थे। मुझे भी पता नहीं क्या हो रहा था? थकान बहुत लगने लगी थी, शरीर में दर्द रहता। अंजना के बेटे का 17 अप्रैल तक लॉ के पेपर थे। वह उसमें व्यस्त और दिन में चार बार बना कर हेमू के लिए खाने को लेकर दो माले ऊपर जाना। रात को उसका फोन अंजना को आया। वह बोला,’’आंटी आज तो घर में आग लगने से बच गई। मैंने गैस पर दूध रखा। दूध जल के पतीला काला हो गया। मुझे जरा भी गंध नहीं आई।’’ये सुनते ही अंजना ने कहा कि तुम दिन भर अंदर बंद रहते हो। अपने घर से किसी को बुला लो, तुम अपना दरवाजा खुला रखना, उसे सामने रुम दे देगें, वह तुम्हें दूर से देखता तो रहेगा।’’ उसने जवाब दिया,’’आंटी 6 दिन तो निकल गए और 14 दिन का होम क्वारेंटाइन होता है।’’ उसने पूछा,’’तुम्हारी रिर्पोट पॉज़िटिव है!!’’उसने जवाब दिया,’’रिर्पोट नहीं आया है। आजकल पॉजिटिव बहुत आ रहा है। हमने इसलिए बोला।’’खै़र जब रिर्पोट आई तो वह पॉजिटिव थी। अंजना ने सुनते ही उसके घर फोन किया कि आप यहां आइये। आप ये तो देखते रहेंगे कि इसकी हालत में सुधार है या बिगड़ रही है।’’उसका भाई बोला कि हेमू गुस्सा कर रहें हैं। वे कह रहें हैं कि वो मैनेज़ कर लेंगे। हम परेशान न होंए।’’अंजना ने हेमू के दोस्त संतोष से फोन पर कहा,’’इसके घर से किसी को बुलाओ। कोई इसके पास होना चाहिए। मेरे बेटे के इग्जाम हैं। घर में सीनियर, सुपर सीनियर सिटीजन हैं। पूरा घर टैंशन में है कि इसे कोई देखने वाला नहीं है। बिमारी ही ऐसी है। मेड को घर में कोराना का बताया, वह भी 3 मई तक छुट्टी पर है। काम और बढ़ गया।’’ कुछ देर में संतोष डिस्पोजेबल प्लेट कटोरों का बंडल दे गया।
मेरी 92वें साल में चल रही अम्मा आजकल पूजा पाठ से पहले, सुबह पूरी अखबार चाट जाती हैं। घर में कोरोना आने के कारण उसकी खबरें और बांचने लगी। मसलन ’होम आइसोलेशन में अचानक तबियत बिगड़ी, दो दिन बाद शव मिला’ ऑक्सीजन और बैड की कमी आदि। ये सुनते ही अंजना ने फिर उसके भाई को फोन किया कि कब पहुंच रहे हो? वो बोला,’’देखते हैं।’’परेशान तो वो भी होंगे, हमारी भी मजबूरी थी। हमने सोचा कि रात को पटना से राजधानी पकड़ कर सुबह कोई आ जायेगा। पर कोई नहीं आया। परेशान सी अंजना मुझसे बोली,’’मैं दलिया हेमू के रुम के आगे रख आई हूं। दरवाजा खटखटाया उसने नहीं खोला। मैंने हेमू को फोन किया, उसने कॉल नहीं ली। मैंने मैसेज किया ,ब्लू टिक नहीं। संतोष को फोन किया। उसने कहा,’’ मैं भी करता हूं।’’ थोड़ी देर में हेमू का कमज़ोर आवाज में फोन आया,’’जी आंटी दलिया ले लिया हूं।’’ सबने चैन की सांस ली। थोड़ी देर में संतोष का फोन आया। उसने कहा,’’हेमू के भइया पटना से फ्लाइट पकड़ कर रात 11 बजे यहां पहुंच जायेंगे। हेमू को नहीं बताइएगा।’’ सुन कर मन को शांति मिली कि अब कुछ ही घण्टों की बात है।
इस एपिसोड के बाद मैंने महसूस किया कि मेरी तबियत तो बहुत अजीब हो रही है। नीलम भागी क्रमशः