अब मेरी सोच की दिशा बदल गई कि रिर्पोट कब आयेगी? बुखार कम होते ही मैं अपने जीवन में जितने बुखार हुए हैं उनसे इस बुखार की तुलना करने लगी। हमेशा बुखार में दादी, अम्मा, पिताजी कोई भी अपना उल्टा करके हाथ की चार अंगुलियां माथे या गर्दन पर लगा कर बाकियों को बुखार है बताते, फिर थर्मामीटर से टैम्परेचर लिया जाता। ज्यादा होने पर बर्फ की पट्टियां माथे पर रखी जातीं। अब अपने टैम्परेचर का ध्यान खुद ही रखना। ज्यादा होने पर गोली खानी है। समय और टैम्परेचर लिखना है क्योंकि अनिल और अंकुर का फोन आता कब लिया? कितना था? बताना जो पड़ता नही ंतो सब परेशान! पहले के दूसरे बुखारों में कोई तबियत पूछने आता तो मैं मरीज़ा चुप लेटी रहती, दूसरा मेरी तकलीफ़ का वर्णन करता। बड़े दुलार से थोड़ा थोड़ा करके उनकी मर्जी का खिलाया, पिलाया जाता और साथ में एक डॉयलॉग चलता रहता ’खाले, बुखार में यह खाना अच्छा होता है। न खाने से बहुत कमजोरी आ जायेगी। फिर ठीक कैसे होगी?’ पर ये दुखदायी बिमारी समारोह तो जबरदस्ती देश दुनिया को मनाना पड़ रहा है। मुझसे पूछा जाता कि मैं क्या खाउंगी? मेरी तो खाने की कोई इच्छा ही नहीं होती थी। दिमाग में कोरोना जो बैठा हुआ था। मैं कहती,’’जो बनेगा खा लूंगी।’’कभी कहती तो वही बनता और तुरंत गर्मागर्म दिया जाता। मुंह का स्वाद इतना गंदा कि कुछ भी अच्छा नहीं लगता पर कोई नखरे देखने वाला नहीं, न ही कहेगा ’खाले’। पीठ में भयानक दर्द रहता, ऐसे लगता था कि कभी सीधे नहीं बैठ पाउंगी। थोड़ा सा खाकर लेट जाती, दिमाग में आता न खाने से कमजोरी बढ़ जायेगी फिर ठीक कैसे होउंगी! फिर बैठ कर खाती। डॉक्टर ने नारियल पानी पीने को कहा। गेट के आगे से साइकिल रिक्शा पर नारियल बेचने वाला तेजी से निकला।
मैंने पूरी ताकत से अंदर से आवाज लगा कर उसे रोका, नही ंतो वह चला जाता। मेरी आवाज से घर के लोग भी क्या हुआ? करते हुए बाहर आ गए। मैंने कहा,’’नारियल पानी लेना है। पहले तो सबने नारियल वाले को टोका कि भइया तुम बेचने आते हो या ब्लॉक में राउण्ड लगाने! उसने कहा,’’जी जब से करीना की बिमारी आई है, माल की बहुत र्शाटेज हो गई है। मैं ठेला रोके बिना आवाज़ लगाता जाता हूं। जिसे लेना है वो मुझे आवाज़ लगाता है। तब रुकता हूं। जिनके घर में करीना है उन्होंने रोज का नारियल बंधवा लिया है। उनको 80रु का एक, वैसे 100रु का एक, जहां ठेला खाली उसी समय घर चला जाता हूं। क्योंकि सरकार कह रही है घर में रहने से करीना की बिमारी नहीं होगी। हमने भी रोज का बंधवा लिया 80रु दे दिए। ये पीना अच्छा लगा क्योंकि इसका स्वाद हमेशा जैसा लगा, स्ट्रा से फटाफट पिया और लेट गई। हमेशा गर्म पानी पीने के कारण, नारियल पानी और ओ.आर.एस रुम टैम्परेचर पर पीने से अच्छा लग रहा था। काफी समय तक पेट भरा लगा। 18 अप्रैल को दोपहर को अंकुर ने बताया कि रिर्पोट पॉजिटिव हैं। डॉक्टर को दिखा दी है। वह दवाइयां लेकर आ रहा है। दवाइयों के साथ प्रिस्क्रिप्शन का भी प्रिंट आउट था। अब वह दवा के बाद गोलियों की गिनती भी पूछता ताकि मैं कोई गोली मिस न कर दूं। दूसरे दिन 12.30 बजे डॉक्टर से विडियो मीटिंग थी। अंकुर ने समझाया कि उसके दोस्त के मम्मी पापा की यही रिर्पोट थी अब वे दोनो ठीक हैं। जो भी तकलीफ़ है छिपाना नहीं। आज कोरोना दवा खाने का दूसरा दिन था, पर तबियत जैसी थी, वहीं रुक गई न कम हुई न बड़ी। टैम्परेचर लगातार था। डॉक्टर ने सुनकर कहा कि बुखार की गोली बुखार होने पर 7 घण्टे बाद ले सकती हो। नीलम भागी
क्रमशः