शाम को मैं अंकुर के घर गई। गर्मी में शाश्वत मेरे लिए ठंडा पानी लाया। अदम्य जो अभी फर्स्ट में आया है, उसने पूछा,’’नीनो आपके लिए ब्रेकफास्ट बनाउं?’’उसका गंभीर चेहरा देखकर मुझे हंसी आ गई पर मैंने अपने पर कंट्रोल किया और कहा,’’हां, जरूर बनाओ, अरे वाह! मेरा बच्चा बनाएगा और मैं मजे से खाउंगी।’’ ये सुनते ही वह फुदकता हुआ चला गया। उसके जाते ही मैंने अंकुर से पूछा,’’ये बहुत छोटा है, गैस तो नहीं जलायेगा, चक्कू का इस्तेमाल तो नहीं करेगा!’’अंकुर हसंते हुए बोला,’’नहीं, आज इसके स्कूल की ऑनलाइन क्लास में बच्चों को ब्रेकफास्ट बनाना सिखाया है। जिसे इसने बड़ी लगन से सीखा। आज उस सैंडविच का नाम ही ब्रेकफास्ट हो गया है। वर्क फ्रॉम होम है। मैं आज किसी वजह से रूम सेे बाहर आता हूं तो पूछता है कि आपके लिए ब्रेकफास्ट बना कर लाउं।’’ मुझसे मिल कर, अब अंकुर तो जाकर अपने काम पर बैठ गया। अदम्य चेहरे से खुशी टपकाता हुआ, सैंडविच बनाकर लाया। मैंने खुशी से ताली बजाई और प्लेट उसके हाथ से ली। मैंने सैंडविच की बाइट ली, उसने साथ ही बनाने की विधि बतानी शुरू कर दी। साथ में मुझे समझाया कि नमक का बहुत ध्यान रखना है अगर मक्खन बाजार का नमक वाला है तो खीरा टमाटर पर नमक नहीं छिड़ना, अगर छिड़को तो बहुत कम। बटर घर का है यानि बिना नमक का, तब नमक स्प्रिंकल कर सकते हैं। मुझे ये सैंडविच बहुत स्वाद लगा क्योंकि इसमें इतने छोटे बच्चे की रचनात्मकता, खुशी जो मिली हुई थी। काम की अधिकता के कारण श्वेता देर से आई। जैसे ही डोर बैल बजी, अदम्य ने दरवाजा खोलते ही, श्वेता से पूछा,’’मम्मा आपके लिए ब्रेकफास्ट बनाउं।’’श्वेता ने खुशी से हां कहा। सुनते ही वह बनाने दौड़ा। सैंडविच की तस्वीरें तो हम श्वेता को भेज ही चुके थे। अंकुर भी हमारे पास आ गया। श्वेता कहने लगी,’’ मैंने इतना खुश इसे पहले कभी नहीं देखा। आज तो इसे देख कर मेरी थकान उतर गई। गुड़िया से कहूंगी कि टमाटर, खीरा काट कर फ्रिज में रख दिया करे, जब भूख लगेगी तो ब्रेकफास्ट बना कर खा लेंगे। नहीं बनाएंगे तो खीरा टमाटर हम सलाद में खा लेंगे।’’ गुड़िया डिनर लगा रही थी। श्वेता ब्रेकफास्ट खा रही थी। अदम्य ब्रेकफास्ट बनाने की रेस्पी बता रहा था और मैं मन ही मन टीचर की सराहना कर रही थी, जिसने इतने छोटे बच्चों को उनकी उम्र के अनुसार खाना बनाने की कला से परिचय करवाया।