कांग्रेस यादव ने हरियाली से घिरी कच्ची पगडंडी से कुछ दूर जाने पर ई रिक्शा रोक कर कहा,’’चलिए।’’ हम उसके साथ साथ पैदल चल पड़े। मैं कहीं भी जाती हूं तो मुझे वहां गाइड, पंडाजी, पुजारी जी कि कहानी सुनना बहुत अच्छा लगता है। इनका उस स्थान के बारे बताना और बहुत अच्छे ढंग से प्रचलित कहानियां सुनाना, बहुत रोचक होता है। जिससे वह स्थान मेरे मन में बस जाता है। देखिए अब हमें कांग्रेस यादव न लाता तो हम तो हरिला जोड़ी जा ही रहे थे। हमारे सहयात्री रवीन्द्र कौशिक भी वैद्यनाथ बाबा का रावण के साथ लंका नहीं जा सकने के रहस्य की कहानी बता रहे हैं, उन्हें सब सुन रहे हैं। अब यहां कांग्रेस यादव उस जगह से संबंधित दंतकथा सुनाने लगा उसे मैं सुन रही हूं। वह बताने लगा जब रावण को बहुत जोर की सूसू लगी तो वो बाबा बैद्यनाथ को हाथों में लिए हुए विमान से उतरा। धरती पर रख नहीं सकता था फिर बाबा लंका नहीं जाते। और शंकर जी के समाये हुए शिवलिंग पकड़े वह पेसाब नहीं कर सकते। वहां उसे एक ग्वाला दिखाई दिया। रावण उसके पास गए और कहने लगे,’’तुम शिवलिंग को तनिक पकड़ लो तो हम सू सू कर आवें। बहुत जोर की लगी है। इन्हें नीचे नहीं रखियेगा।’’ ग्वाले ने रावण से ले लिया और कहने लगा कि इतने भारी शिवलिंग को मै ज्यादा देर तक हाथों में पकड़े नहीं रह सकता इसलिए जल्दी निपट कर आइए। इधर रावण का पेशाब बंद होने का नाम ही नहीं ले रहा था। सब विष्णु जी की लीला करवा रही थी। भगवान विष्णु ग्वाले के रुप में जो थे। उन्होंने चिताभूमि पर वैद्यनाथ को रख दिया। रावण जब लौटा तो देखा शिवलिंग की स्थापना तो धरती पर हो चुकी है। फिर भी उसने शिवलिंग को उठाने की बहुत कोशिश की पर नहीं उठा सका। रावण उन्हें लंका नहीं ले जा सका। हम सब कुछ देर वहां रुके। वहां रहने वाले कुछ लोग भी आकर खड़े हो गए। पूनम अग्रवाल पता नहीं कितनी चॉकलेट टॉफियां लाईं हैं जो वहां सबको बांटने लगीं। अनिल कुमार अग्रवाल ने रुपये दिए बच्चों ने बड़ों को नहीं पकड़ाए। पर तुरंत गायब! मैंने ध्यान दिया कि बच्चों के तन पर केवल अधोवस्त्र ही थे जिस पर जो बड़ी जेबें हैं,
उन्होंने रुपये फुर्ती से जेब के हवाले कर दिए। दो रिक्शा जो आगे निकल गईं थीं वो इस प्वाइंट को नहीं देख पाईं। जो भी भाड़ा तय हुआ होगा सबका एक ही रेट होगा।
अगर
कांग्रेस यादव हमें न दिखाता तो!! हमें क्या पता चलता! तीर्थस्थलों और पर्यटन स्थलों पर वाहन चालक को कांग्रेस यादव की तरह होना चाहिए। बाहर से आने वालों को उस शहर के बारे में सब कुछ नहीं पता होता है। अब वह बताने लगा कि कार्तिक पूर्णिमा को दूर दूर से लोग यहां स्नान करने आते हैं। इस खूबसूरत जगह की हम तस्वीरें लेने लगे।
जब हम ई रिक्शा पर बैठ गए। तो प्रवीण ने उसे कहा,’’अब तुम सबसे आगे अपनी रिक्शा रखोगे। रिक्शा हरिला जोड़ी की ओर जा रही है और मेरे दिमाग में आगे की कहानी चल रही है। क्रमशः