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Friday, 2 June 2023

प्रकृति का सानिध्य, ज्ञान सरोवर!! माउंट आबू की यात्रा मीडिया महासम्मेलन एवं मेडिटेशन रिट्रीट 2023 भाग 5 नीलम भागीनीलम Bhagi

 







जहां ट्रांसपोर्ट सेवा दी जाती है, वहां सड़क के दोनों ओर बैंच लगे हैं। जिस पर  लोग वाहन के इंतजार में बैठ जाते हैं। मैं भी वहां जाकर बैठ जाती हूं। ऊपर पेड़ों की घनी छांव है। जिधर देखो रंग-बिरंगे फूल हैं। सुंदरता के लिए वहां लगाता काम चलता है। पेड़ पौधों की सेवा करने वाले ऐसे लगन से सेवा कर रहे हैं , मानो वे उनके बच्चे हैं या  इस काम से मां प्रकृति की सेवा कर रहे हों । कोई किसी का सुपर विजन नहीं कर रहा है। आसपास की दुनिया से बेखबर, जिसका जो काम है वह कर रहा है। जिसका नतीजा यह खूबसूरत ज्ञान सरोवर है।  दूर-दूर से  यहां आए लोग हैं। जिन्हें मैं यहां आते, जाते  देख रही हूं । वाहन से उतरते हैं। इतना प्राकृतिक सौंदर्य और उसमें मानव का योगदान देखकर सबके चेहरे खिल से जाते हैं।

 अरावली पर्वत श्रंखला में 27 एकड़ भूमि पर 6 एकड़ में महान लक्ष्य  के लिए बना यह ज्ञान सरोवर अपने आप में  विस्मय विमुग्ध करने वाला है। मुझे बी. के . ज्योति पॉल का फोन आता है। ज्ञान सरोवर की कुछ जगहों का उन्होंने नाम बोला है कि मैं देखूं। पर मैं तो यहां आने वाले हजारों लोगों के चेहरे और मन से सजाया हुआ विभिन्न वनस्पतियां द्वारा यह स्थान ही नहीं छोड़ पा रही हूं। फिर भी थोड़ा सा चलती हूं। वहां की प्राकृतिक सजावट और बीच-बीच में  झूले बिल्डअप फर्नीचर बैठने को मजबूर कर देता है। थोड़ा सा वीडियो बनाती हूं https://youtu.be/QCQVtGgj3yA

और वही पेड़ों की छांव मैं बैठी रह जाती हूं। मन में आता है आज तो 5 तारीख है 9 तारीख तक रुकना  है। तब तक सब कुछ देख लूंगी। अभी तो यहां का आनंद उठा    लूं।  इतना समय बीत गया लंच का समय हो गया  चल दी। लंच गुजराती  उत्तरी भारत और महाराष्ट्र का मिलाजुला लजीज है। सौंफ और तिल से बना, मुखवास का स्वाद लेते, रूम की ओर चल दी। धूप तेज हो गई है अपने रूम की ओर  पेड़ों पर खूब लंगूर है पर किसी को कुछ नहीं कहते हैं। रूम में जाने से पहले कॉरीडोर से गुजरती हूं। वहां बहुत प्यारी हवा है।  कुर्सियां भी रखी हैं फिर वही बैठ जाती हूं। कुछ देर बैठ कर रूम में 1 घंटा सो कर, चाय के लिए जाती हूं और 4:00 बजे हारमोनी हॉल में पहुंचाती हूं। क्रमशः