महानदी के तट से पुराने शहर कटक से गुजरते हुए, प्राचीन मंदिर चंडी देवी की ओर जा रहे थे। दुकान बाजार सामान से लगे हुए थे, खूब चहल पहल थी। मंदिर पर पहुंच गई तो अपनी आदत के अनुसार पहले मंदिर में न जाकर, आसपास देखने लगी और जो नियम कायदे लिखे हुए हैं, उन्हें पढ़ने लग गई । जूता रखने की व्यवस्था थी। जूते उतारे। जैसे ही मंदिर में प्रवेश किया, देवी के आगे पर्दा कर दिया गया। वहां का जो भी म्यूजिक था ड्रम आदि बजने लगा। कौन सी पूजा थी! नहीं जानती लेकिन शायद भोग लग रहा था। पर वहां पर बहुत ही अलग सा माहौल था। श्रद्धालु हाथ जोड़ खड़े थे, मैं भी खड़ी हो गई। यहां पर खड़े हुए कुछ भी याद नहीं आ रहा था, हमारे बाजू में कौन खड़ा है! बस मन में श्रद्धा भाव था। यह भी प्रश्न नहीं उठ रहा था कि कितनी देर में दर्शन होंगे!
और हमें मां के दर्शन हुए। देवी के एक हाथ में पासा, दूसरे में अंकुशा, तीसरे में अभया, चौथे में बारा। यहां भुवनेश्वरी मंत्र, से मां के भुवनेश्वरी रूप की पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा और काली पूजा को यहां मेले जैसा माहौल होता है। अश्वनी कृष्ण अष्टमी के अंधेरे पखवाड़े से, अश्वनी शुक्ल नवमी विजयदशमी को प्रतिदिन विशेष पूजा के साथ 16 दिन का यह उत्सव संपन्न होता है।
मंदिर के बारे में दंत कथाएं मशहूर हैं स्वर्गीय हंसा पांडा मंदिर के संस्थापक थे। इस क्षेत्र में जब यह भूमि खाली थी, वे अपनी भेेड़ बकरियां चरा रहे थे। थक कर सुस्ताने के लिए इस स्थान पर बैठे हुए थे। उन्हें विशेष अनुभूति महसूस हुई। उन्होंने उसी रात सपने में देवी को देखा और वैसी अनुभूति फिर महसूस हुई। वे कनिका के राजा के पुरोहित थे। अगले दिन वे राजा के पास गए, उन्हें अपने मन का हाल बताया। राजा ने तुरंत वहां खुदाई करवाई और अन्य सामान के साथ यह देवी की मूर्ति मिली, जिस स्थान पर यह मंदिर है। माना जाता है कि मध्यकाल में यह चंडी राजवंश की कुलदेवी थी। गैर हिंदू हमलावरों के कारण राजा उन्हें धरती में स्थापित कर, पूरी चले गए। आज देवी अपने स्थान पर स्थापित हैं। वार्षिक दुर्गा पूजा और काली पूजा के उत्सव पर तो देश दुनिया से लोग आते हैं और वैसे भी प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ रहती है।
वैसे मंदिर खुलने का समय सुबह 6:00 से शाम 6:00 तक है। लेकिन तू दुर्गा पूजा और काली पूजा के समय मंदिर आधी रात तक खुलता है। दूर-दूर से दर्शनार्थी मां के दर्शन करने आते हैं। मंदिर में फोटोग्राफी मना है इसलिए यहां देवी को मन की आंखों से दिल में उतारा है। यहां खड़े रहना बहुत अच्छा लग रहा था। मानसिक संतोष मिल रहा था। काफी देर रुकने के बाद हम चले।
मंदिर का पता स्टेडियम रोड तुलसीपुर कॉलोनी कटक उड़ीसा
क्रमशः