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Tuesday, 20 February 2024

सरयू जी की ओर, श्री राम लला तीर्थ क्षेत्र अयोध्या धाम की यात्रा भाग 2 नीलम भागी

 


दूसरी सवारियां उनके बुक होटल में पहुंच  गई। होटल क्या थे! ऐसा लग रहा था इतनी श्रद्धालुओं की संख्या को देखकर, लोगों ने घरों को ही होटल में तब्दील कर दिया है। मैंने पूछा रूम का 24 घंटे का कितना रेंट है तो उसने 18 00₹ बताया। अब हमें ऑटो वाले ने पूछा," आपको कहां जाना?" मैंने फिर फोन लगाया पता चला टेंट नगर। मैंने उसे बताया। वह बोल," ₹500 लगेंगे यह हाईवे पर है। अब जाना तो है ही चल पड़े। गलियों से निकलते ही, यहां पर अयोध्या जी रोड पर आते ही बिल्कुल आधुनिक शहर जैसा यानी खूब विकास हो रहा है। कुछ दुकानों के नाम बहुत ही आकर्षक मसलन 'बेवफा चायवाला'। दूर से ही टेंट नगर नजर आने लगा। अब ऑटो वाला खुद ही बोला कि वहां से लौटते समय सवारी नहीं मिलती है। न बीच में कोई कट नहीं है, बड़ा लंबा चक्कर काट कर लौटना पड़ता है। खैर  रोड से उतरे दूर तक बसों की लाइन थी और बहुत बड़े क्षेत्र में अस्थाई निवास बना रखे थे जो  कॉलोनी की तरह लग रहा था। ऑटो वाले को पेमेंट कर ही रहे थे। इतने में तो उसका ऑटो भर गया। रिसेप्शन पर प्रवेशिका  दिखाई। उन्होंने चेक किया और बताया कि उनके यहां पर हमारा स्टे नहीं है। हमने पूछा,"अब क्या करें?"वे तुरंत हमारे साथ बाहर आए और एक शेयरिंग ऑटो सवारियां लेकर आया था। उसको उन्होंने समझाया कि हमें कहां छोड़ना है बाकि सवारियां भी बैठ गई थी। वे लोकल थी या आसपास के शहरों से आई थीं। मैं तो ड्राइवर के पास ही बैठ गई । ऑटो चल पड़ा यह सवारियां और ऑटो वाला सुदर्शन श्रीवास्तव अवधि में ऐसे बतिया रहे थे, जैसे एक ही परिवार हों। फिर वे चर्चा करने लगे कि इतनी भीड़ हमने कभी नहीं देखी! ऐसी भीड़ में तो सोना कट जाता है। मैंने पूछा," सोना कटने का क्या मतलब?" उन्होंने समझाया कि जैसे कान का कुंडल है उसे नोच लिया आदि। मैंने पूछा," ऐसा होता है!" महिला बोली," नहीं पर इतनी भीड़ में हो सकता है।"

सवारियां उतरती गई और चालक को ₹10 देती रही। अब चालक भी पता कर रहा था। मैंने भी पुलिस वाले से पूछा। उन्होंने उसे समझाया कि मणि पर्वत के पास एक और स्थाई नगर है, वहां इन्हें लेकर जाओ और बाहर की सवारी है। जरा भी बदमाशी नहीं करनी, ठीक पैसा लेना है। हम ऑटो में बैठ रहे। उसने बताया कि वह इस रूट पर नहीं चलता है इसलिए उसको पूछना पड़ रहा है। उन नगर वालों ने आप को बिठा दिया और मुझे समझा दिया, मैं चल पड़ा। खैर  भला आदमी हमें  मणि पर्वत वाले नगर में ले आया। यही हमारा स्टे था। पैसे पूछे तो उसने कहा जो आपका दिल करे। इसे सौ रुपए दिए। बहुत विशाल एरिया में अस्थाई निवास बनाया गया था। रिसेप्शन पर पहुंचते ही अंकुर को प्रवेशिका दिखाई। उन्होंने  बैठने को कुर्सी दी चाय और गर्म पानी पीने को दिया। साथ में बिस्कुट और हनुमानगढ़ का प्रसाद के लड्डू और मठरी जो खा रहे थे, हमारे आगे भी कर दिया। आप चाय पीजिए अभी बैटरी गाड़ी आ रही है, आपको लेकर जाएगी। चाय पीते ही गाड़ी आ गई जो  #स्टेटबैंकऑफ़इंडिया की तरफ से सप्रेम भेट थी। उसने दूसरे रिसेप्शन पर पहुंचा दिया। वहां चाबी दी गई और रूम नंबर बता दिया और एक स्वयंसेवी  मुझे छोड़ने गए। बंदर वहां  घूम रहे थे पर किसी को कुछ नहीं कह रहे थे बिल्कुल मर्यादित बंदर!  मुझे बताया  कि तीन तरह का खाना है पहले पंडाल में दिल्ली पंजाबी का, दक्षिण भारत और राजस्थान का। चाय और रस हर वक्त मिलते हैं। रूम में पाश्चत्य  शैली और भारतीय शैली दोनों तरह का टॉयलेट था। मैं फ्रेश होकर 12:00 बजे ब्रेकफास्ट के लिए गई  तो वहां लंच शुरू हो गया था। लंच करके लौटी, दिल्ली से अनु उसकी मम्मी इस रूम में आ गई।  मैं सो गई। सोकर उठी  तो माइक पर अनाउंसमेंट हो रहे थे क्योंकि दिल्ली से आस्था गाड़ी आ चुकी थी और भी लोग आए थे। उन्हें बताया जा रहा था कि कहां जाएं, खूब रौनक हो गई। मैं बाहर आ गई और चाय पीकर सरयू जी जाने को चल दी। बैटरी गाड़ी ने जैसे ही गेट पर उतारा। भीड़ में जोर जोर से आवाज आने लगी नीलम जी, नीलम जी जैसे मुड़ कर देखा जयप्रकाश गुप्ता जी (धर्म यात्रा महासंघ)  अपने साथियों नरेंद्र बिंदल, सुनीता बिंदल, कमल जैन, संतोष जैन और शीतल प्रसाद जी के साथ  राम लला के दर्शन को आएं हैं। इनके ग्रुप के साथ मैंने नेपाल और बैजनाथ की यात्रा की थी। अब सरयू जी यात्रा इन साथियों के साथ शुरू हो गई। बाहर आते ही एक शेयरिंग ऑटो मिल गया। सब उसमें लद गए और हम सरयू जी ओर चल पड़े।

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क्रमशः