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Saturday, 4 June 2016

मैं सौ साल तक कैसे जिऊँ? नीलम भागी Mei Sau Sal Tak Kaise Jiun Neelam Bhagi



मुझे आजकल एक ही चिंता हर समय सताती है, वो ये है कि मैं ऐसा क्या करुँ कि मेरी उम्र सौ साल हो। इसलिए आयु बढ़ाने के जितने भी नुस्ख़े, मुझे जहाँ से भी मिलते हैं, मैं उन्हे ले लेती हूँ और उस पर अम्ल भी करती हूं। हुआ यूं कि मैं एक महात्मा जी का प्रवचन सुनने गई थी। प्रवचन के बीच उन्होंने एक बहुत मधुर भजन गाया, जिसे सुन कर भक्तजन झूम उठे। भजन के बाद महात्मा जी ने कहा कि उन्हें देश के नामी हाॅस्पिटल के एक डाॅक्टर ने बताया है कि किन्नरों का स्वास्थ्य बहुत अच्छा रहता है क्योंकि वे जोर जोर से ताली बजाते हैं। अच्छा स्वास्थ्य होगा तो उम्र भी लम्बी होगी। मैंने महात्मा जी की ये बात गांठ में बाँध ली। भला ताली बजाने में क्या है!! सत्संग से लौटते समय मेरे कान में महाराज के भजन के बोल गूँजते रहे
’’जरा जोर से बजाओ ताली, तुम क्यों बैठे हो खाली।
 आज तुम्हारे घर आयेगी, माता शेरों वाली।"
अपनी  जोर से ताली की गूंज तो मैं सन्नाटे में ही सुन सकती हूं न! अब मैं सुबह साढ़े चार बजे पार्क में चली जाती हूं। वहाँ मैं जोर जोर से ताली पीटती हूं। सन्नाटे में ,मैं मेरी ताली की आवाज़ पर स्वयं ही मोहित हो जाती हूं। जब मेरी हथेलियाँ दुखने लग जाती हैं। तो मैं पार्क के चक्कर लगाने लगती हूं। दर्द ठीक होते ही मैं फिर ताली बजाने लगती हूं। बुरी तरह थकने पर ही मैं घर आती हूं। तब तक लोग सो रहे होते हैं। सोते रहें मेरी बला से, मुझे तो सौ साल तक जीना है और मैं जानती हूं ’नो पेन, नो गेन’।
  आज ताली पीट कर, मैं पार्क का राउण्ड लगा ही रही थी कि सामने पार्क में उत्कर्षिनी  भी प्रवेश कर रही थी। उसे देखते ही मैंने जोर से नर्सरी राइम गानी शुरु कर दी’ अर्ली टू बैड एण्ड अर्ली टू राइज़, मेक्स ए मैन हैल्दी, वैल्दी एण्ड वाइस।’ वो मुझे देख कर खुश होने की बजाय क्रोध से बोली,’’अभी ताली कौन पीट रहा था?’’ मैंने जवाब दिया कि मैं और साथ ही ताली बजाने के फायदों पर उसे निबन्ध सुना दिया। पहले वह मुझे घूरती रही फिर घूरना स्थगित कर बोली,’’देखो, सबका अपना लाइफ स्टाइल है। सात घण्टे तो सबको सोना ही है। मैं बारह बजे के बाद सोती हूं और तड़के तुम्हारी तालियाँ नींद खराब कर देती हैं। मुझे तुमसे एैसी बेहूदगी की उम्मीद नहीं थी। तुम कुछ करने से पहले ये तो सोचती कि तुम्हारी इस हरकत से किसी को परेशानी तो नहीं हो रही है। ऐसी हरकत तो जंगल में रहने वाले को शोभा देती हैं।’’
उत्कर्षिनी की बातों से मुझे बहुत शर्मिंदगी हुई। वह बोली,’’कल से मैं भी सूरज निकलने के बाद, तुम्हारे साथ ताली बजाने आया करुँगी क्योंकि उस समय लोग भी अपने रोज़मर्रा के कामों में लगे होंगे और हमारी तालियाँ भी किसी की नींद खराब नहीं करेंगी।’’उसकी  बातें सुन कर अब मैं खुशी खुशी घर वापिस आ गई। अब मेरी खुशी का कारण यह है कि मैं कल से उत्कर्षिनी के साथ जोर जोर से ताली बजाने की प्रतियोगिता करूँगी और सौ साल तक जिऊँगी।

6 comments:

Anjali Gupta said...

Interesting

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद अंजली

Anonymous said...

Very interesting blog. Thanks for sharing with us .

Neelam Bhagi said...

Dhany धन्यवाद

Kkataria said...

Yes. ताली बजाने से हाथों के सभी points activate हो जाते हैं और सहत के लिए लाभदायक है

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद कटारिया जी