हैरिटेज 1881,
हारबर सिटी माल, दो माँ दो बेटियाँ हाॅन्ग कोन्ग यात्रा पर भाग 6
नीलम भागी
बाहर आते ही रात
होने के कारण हमने अपने होटल के नज़दीक रहने का प्रोग्राम बनाया, साथ ही गर्म कपड़े खरीदने का भी। नवम्बर जा रहा
था, यहाँ सर्दी बहुत कम पड़ती
है लेकिन लोगों ने स्मार्ट गर्म कपड़ों से सर्दी के खिलाफ़ पूरी मोर्चाबंदी कर
रक्खी थी। दो ट्रेन बदल कर हम स्टेशन से बाहर नक्शा देखते हुए हैरिटेज़ 1881 पहुँचे। सफेद और नीले ,सिल्वर और हरे रंग से बच्चों की पसंद की सजावट देखतेे बनती
थी, वैसा ही म्यूजि़क बज रहा
था। बच्चों की आँखों में चमक देखने लायक थी। देख कर ऐसा लगता था कि अभी अभी सजाया
गया है पर ऐसा नहीं था। वहाँ लिखा था छुएं नहीं, फोटो और विडियोग्राफी कर
सकते हैं। मैंने गीता से कहा,’’अगर छुओगी तो ये भगा देंगे।’’ और दुनिया के
लोगो ने अपने बच्चों को न जाने कैसे समझाया होगा ! पता नहीं, बच्चे नाच रहे थे, ऊपर जा रहे थे, नीचे उतर रहे थे पर कुछ भी छू नहीं रहे थे। परिवार के लोग बच्चों के उस समय की
खुशी को कैमरे में कैद कर रहे थे। जमीन पर भी नक्शा खुदा था। बैठने की कोई जगह
नहीं थी। बच्चे तो थक ही नहीं रहे थे। क्रिसमस और नया साल आने वाला था। जगह जगह
सजावटें शुरू हो चुकी थी। जैसे ही हमने प्रैम खोली गीता उस पर बैठ गई। हम चल पड़े
हारबर माॅल की ओर, यहाँ गोल्डन और
सफेद सजावट मन मोह रही थी। घूमने से गीता शायद ज्यादा समझदार हो गई, यहाँ भी नाचती कूदती फिर रही थी पर हमारी आँखों
से दूर नहीं हो रही थी। अब हम माॅल में गये, दुनिया के नामी ब्राण्ड के यहाँ लगभग सभी शो रूम थे। देर
बहुत हो गई थी इसलिये आधे से ज्यादा बंद हो चुके थे। ज्यादातर शो रूम टू साइड ओपन
थे, जो उस समय कांच के
दरवाजों से बंद थे। यहाँ बहुत भीड़ थी। हांगकांग में नकली उत्पादों की बिक्री के
प्रति कड़े कानून हैं। नकली उत्पादों की बिक्री करने वालों की दुकाने बंद कर दी
जाती हैं। यहाँ अल्कोहल और तम्बाकू को छोड़ कर सभी सामान टैक्स फ्री है। इसलिये
इसको विश्व के सबसे ज्यादा पंसद किए जाने वाले शापिंग डेस्टिनेशन में माना जाता
है। ज्यादातर दुकाने क्रेडिट कार्ड स्वीकार करती हैं। यहाँ साल में दो बार एक तरह
का शाॅपिंग फैस्टिवल चलता है। सर्दियों में दिसम्बर से फरवरी के बीच और गर्मियों
में जुलाई से सितम्बर के बीच। हांगकांग टूरिज्म बोर्ड ऐसे विक्रेताओं को सम्मानित
करता है, जो पर्यटकों को डिस्काउंट
के साथ अच्छी क्वालिटी का सामान भी उपलब्ध कराते हैं। ये विशेषता, साइट सीन और सुरक्षित माहौल पर्यटकों को
आकर्षित करता है। यहाँ आपके बजट और टेस्ट के अनुसार हर तरह के माॅल हैं। घूमते हुए
हमें एक बहुत बड़ा प्ले स्टेशन दिखा, यहाँ राइड और खेलने के पैसे थे। लेकिन उन पर बैठने और देखने के कोई पैसा नहीं।
गीता पैसा, टिकट और निशाना लगाना,
गाडियाँ चलाना कुछ नहीं भी जानती इसलिये वह तरह
तरह की जानवरों की शक्ल की गाडि़यों पर ही बैठ कर बहुत खुश थी। मैं एक कुर्सी पर
बैठ कर उसकी खुशी देखती रही। उत्तकर्षिनी से मैंने कहा कि वह शाॅपिंग कर आये,
गीता तो यहाँ से जायेगी नहीं। वह भी घूम कर,
थक कर आ कर बैठ गई। उसके बाद मैं भी घूम आई।
मैं भी बुरी तरह से थक कर लौट आई पर गीता नहीं थकी। बड़ी मुश्किल से उसे लेकर आये।
उत्तकर्षिनी टैक्सी के लिये जि़द करने लगी पर
मैं नहीं मानी क्योंकि मैं हांग कांग से अच्छी तरह परिचित होना चाहती थी। वो सोचती
थी कि माँ थक गई होंगी। लेकिन मेरा मानना है कि गाड़ी से गुजरने में और पैदल चलने
में फर्क होता है। इसलिये हम पैदल चल दिये। चलते हुए हमें M.&H. Store मिल गया और हमने शाॅपिंग करनी शुरू कर दी। रात
एक बजने को था, हम होटल की ओर चल
पड़े। रास्ते भर देखते रहे कि जो रैस्टोरैंट मिलेगा, वहाँ से खाना पैक करवा लेंगे। एक रैस्टोरैंट देखते ही
उत्तकर्षिनी बोली,’’माँ, आप गीता के साथ बाहर खड़ी हो जाओ, मैं आपके लिये अपने सामने कुछ वैज़ बनवा लेती
हूँ।’’ नई जगह में मुझे वैसे भी
सड़क किनारे खड़े रहना बहुत पसंद है। ज्यादातर वहाँ से गुजरने वाले गीता को बुला
कर जाते। उत्तकर्षिनी ने आकर कहा,’’माँ, थोड़ा समय लगेगा। होटल यहाँ से पास ही है। आप
गीता को लेकर चली जाओ।’’ रात एक बजे विदेश
में ढाई साल की गीता को लेकर मैं होटल की ओर पैदल चल पड़ी। क्रमशः
2 comments:
Nice...
Dhanyvad
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