फील्ड मार्शल और गोवाणी कन्या छात्रालय में कुलपति - उपकुलपति अभिवादन समारोह
गांधी विचार यात्रा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार राजकोट गुजरात यात्रा 5 नीलम भागी
सायं 5 बजे हम छात्रालय के प्रांगण में पहँुच गए। बापू के स्वच्छता के संदेश और अनुशासन का पूर्णतः पालन किया गया था। सब कुछ छात्राएं कर रहीं थीं। हमारे बैठते ही एक पानी दे रही थी तो पीते ही दूसरी आपके सोचने से पहले कि डस्टबिन तक जाएं, आगे खाली ट्रे कर देती। ऐसे ही चाय पिलाई गई। भवन में जाने से पहले तिलक लगाकर कार्यक्रम हॉल के रास्ते में पुष्पवर्षा की। हॉल के आगे लाइन से चप्पलें उतार कर रक्खीं थीं। हॉल खचाखच छात्राओं से भरा हुआ था। मंच पर डॉ. नितिन पेथानी सर(कुलपति श्री-सौराष्ट्र युनिवर्सिटी), डॉ. विजय देसानी सर(कुलपति श्री-सौराष्ट्र युनिवर्सिटी), डॉ. राम शरण गौड़(चेयरमैन दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी र्बोड), श्री महेश चंद्र शर्मा(पूर्व महापौर दिल्ली), श्री गौरीशंकर भारद्वाज(पूर्व एम.एल.ए.दिल्ली), श्री विनोद बब्बर(संपादक राष्ट्रकिंकर पत्रिका दिल्ली), श्री चंदुभाई कणसागरा(प्रमुख फील्डमार्शल और गोवाणी कन्या छात्रालय), श्री परसोतमभाई फल्दु(मैनेजिंग ट्रस्टी), डॉ.जे.एम.पनारा सर(कैंपस डायरेक्टर), श्री नरोतमभाई कणसागरा(ट्रस्टी श्री), श्री वसंतभाई भालोडिया(ट्रस्टी श्री), डॉ. मालती(पूर्व प्रधानाचार्या कालिंदी कॉलेज, दिल्ली)। महिला दिवस की पूर्व संध्या थी इसलिए डेलीगेशन की सभी महिलाओं यानि मुझे नीलम भागी, अंजना भागी, पूनम माटिया, अंजना अंजुम और श्को पुष्पगुच्छ और कुमकुम तिलक से स्वागत कर मंचासीन किया गया। प्रार्थना, स्वागत गीत, स्वागत, प्रवचन एवं प्रासंगिक उद्भोधन, दीप प्रज्वलन, देशभक्ति नृत्य, एवं सम्मान किया गया। डॉ. नितीन पेथानी और डॉ. विजय देसानी का उद्बोधन ग़ज़ब का था। उनके बोलने पर हॉल में सन्नाटा छा गया था। छात्राएं मंत्रमुग्ध उन्हें सुन रहीं थीं। यूनिवर्सिटी की परीक्षा शुरू होने वाली थी। वे जो भी उदाहरण दे रहे थे, वे छात्राओं को मोटिवेट करने वाले थे। उन्हे सुनकर मुझे लगता है सभी छात्राएं परीक्षा में जी जान से जुट गई होंगी। मैं यहाँ बहुत प्रभावित हुई। फोटोग्राफी, साउण्ड सिस्टम, रिकॉर्डिंग, विडियोग्राफी सब कुछ छात्राएं बिल्कुल प्रोफैशनल की तरह कर रहीं थी। डॉ. राम शरण गौड़ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस सराहनीय कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक प्रो. डॉ. यशवंत के. गोस्वामी(एन.एस.एस प्रोग्राम ऑफिसर) रहे। साफ सुथरे ओपन किचन वाले भोजनालय में भोजन करने गए। छात्राएं भोजन परोस रहीं थीं। इतनी वैराइटी!!! सात तरह के तो आचार ही थे। थोड़ी थोड़ी वैरायटी रखने पर भी थाली ओवरफ्लो हो रही थी। हर व्यंजन स्वादिष्ट और खिलाने का तरीका प्रशंसनीय। वि.वि. गैस्ट हाउस में लौटे। आते ही हम सो गईं। सुबह साढ़े सात बजे जूनागढ़ के लिए निकलना था। सुबह फिर बैड टी के लिए हमारा दरवाजा पीट कर उठाया गया। उन सज्जन ने फिर बताया कि उन लोगों ने रात को भी सैर की सुबह भी सैर की। तैयार होकर बस में बैठे जूनागढ़ जाने के लिए, समयबद्ध कार्यक्रम था। आप राजकोट में राजकुमारी उद्यान, जबूली उद्यान, वारसन संग्राहलय, रामकृष्ण आश्रम, लाल परी झील, विलास पैलेस, रणछोड़ दास आश्रम, डॉल संग्रालय देखना न भूलें। मेरे स्कूल के. वि डोगरा मेरठ के सहपाठी द्विजेन्द्र पंत ने मैसेज किया कि रसिक भाई नो चिवड़ो और काजू चटनी चख लीजिएगा। चोटिला का पेड़ा प्रसिद्ध है। गोलगप्पे के पानी में कच्चे लहसुन का स्वाद आये तो चौंकियेगा मत, यही तो विशेषता है, पर हम उत्तर भारतीयों के लिए नया है न। क्रमशः
गांधी विचार यात्रा संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार राजकोट गुजरात यात्रा 5 नीलम भागी
सायं 5 बजे हम छात्रालय के प्रांगण में पहँुच गए। बापू के स्वच्छता के संदेश और अनुशासन का पूर्णतः पालन किया गया था। सब कुछ छात्राएं कर रहीं थीं। हमारे बैठते ही एक पानी दे रही थी तो पीते ही दूसरी आपके सोचने से पहले कि डस्टबिन तक जाएं, आगे खाली ट्रे कर देती। ऐसे ही चाय पिलाई गई। भवन में जाने से पहले तिलक लगाकर कार्यक्रम हॉल के रास्ते में पुष्पवर्षा की। हॉल के आगे लाइन से चप्पलें उतार कर रक्खीं थीं। हॉल खचाखच छात्राओं से भरा हुआ था। मंच पर डॉ. नितिन पेथानी सर(कुलपति श्री-सौराष्ट्र युनिवर्सिटी), डॉ. विजय देसानी सर(कुलपति श्री-सौराष्ट्र युनिवर्सिटी), डॉ. राम शरण गौड़(चेयरमैन दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी र्बोड), श्री महेश चंद्र शर्मा(पूर्व महापौर दिल्ली), श्री गौरीशंकर भारद्वाज(पूर्व एम.एल.ए.दिल्ली), श्री विनोद बब्बर(संपादक राष्ट्रकिंकर पत्रिका दिल्ली), श्री चंदुभाई कणसागरा(प्रमुख फील्डमार्शल और गोवाणी कन्या छात्रालय), श्री परसोतमभाई फल्दु(मैनेजिंग ट्रस्टी), डॉ.जे.एम.पनारा सर(कैंपस डायरेक्टर), श्री नरोतमभाई कणसागरा(ट्रस्टी श्री), श्री वसंतभाई भालोडिया(ट्रस्टी श्री), डॉ. मालती(पूर्व प्रधानाचार्या कालिंदी कॉलेज, दिल्ली)। महिला दिवस की पूर्व संध्या थी इसलिए डेलीगेशन की सभी महिलाओं यानि मुझे नीलम भागी, अंजना भागी, पूनम माटिया, अंजना अंजुम और श्को पुष्पगुच्छ और कुमकुम तिलक से स्वागत कर मंचासीन किया गया। प्रार्थना, स्वागत गीत, स्वागत, प्रवचन एवं प्रासंगिक उद्भोधन, दीप प्रज्वलन, देशभक्ति नृत्य, एवं सम्मान किया गया। डॉ. नितीन पेथानी और डॉ. विजय देसानी का उद्बोधन ग़ज़ब का था। उनके बोलने पर हॉल में सन्नाटा छा गया था। छात्राएं मंत्रमुग्ध उन्हें सुन रहीं थीं। यूनिवर्सिटी की परीक्षा शुरू होने वाली थी। वे जो भी उदाहरण दे रहे थे, वे छात्राओं को मोटिवेट करने वाले थे। उन्हे सुनकर मुझे लगता है सभी छात्राएं परीक्षा में जी जान से जुट गई होंगी। मैं यहाँ बहुत प्रभावित हुई। फोटोग्राफी, साउण्ड सिस्टम, रिकॉर्डिंग, विडियोग्राफी सब कुछ छात्राएं बिल्कुल प्रोफैशनल की तरह कर रहीं थी। डॉ. राम शरण गौड़ ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। इस सराहनीय कार्यक्रम के संयोजक एवं संचालक प्रो. डॉ. यशवंत के. गोस्वामी(एन.एस.एस प्रोग्राम ऑफिसर) रहे। साफ सुथरे ओपन किचन वाले भोजनालय में भोजन करने गए। छात्राएं भोजन परोस रहीं थीं। इतनी वैराइटी!!! सात तरह के तो आचार ही थे। थोड़ी थोड़ी वैरायटी रखने पर भी थाली ओवरफ्लो हो रही थी। हर व्यंजन स्वादिष्ट और खिलाने का तरीका प्रशंसनीय। वि.वि. गैस्ट हाउस में लौटे। आते ही हम सो गईं। सुबह साढ़े सात बजे जूनागढ़ के लिए निकलना था। सुबह फिर बैड टी के लिए हमारा दरवाजा पीट कर उठाया गया। उन सज्जन ने फिर बताया कि उन लोगों ने रात को भी सैर की सुबह भी सैर की। तैयार होकर बस में बैठे जूनागढ़ जाने के लिए, समयबद्ध कार्यक्रम था। आप राजकोट में राजकुमारी उद्यान, जबूली उद्यान, वारसन संग्राहलय, रामकृष्ण आश्रम, लाल परी झील, विलास पैलेस, रणछोड़ दास आश्रम, डॉल संग्रालय देखना न भूलें। मेरे स्कूल के. वि डोगरा मेरठ के सहपाठी द्विजेन्द्र पंत ने मैसेज किया कि रसिक भाई नो चिवड़ो और काजू चटनी चख लीजिएगा। चोटिला का पेड़ा प्रसिद्ध है। गोलगप्पे के पानी में कच्चे लहसुन का स्वाद आये तो चौंकियेगा मत, यही तो विशेषता है, पर हम उत्तर भारतीयों के लिए नया है न। क्रमशः
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