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Friday, 30 August 2019

सपना भी आप ही हैं, हकीकत भी आप हैं उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 14 नीलम भागी


मैंने काजल को मैसेज किया कि वह यहाँ से जाने के बाद अपने बारे में डिटेल में फुरसत में बताये। कोई जल्दी नहीं है, नई नवेली बहू हैं न, अभी कहाँ उसके पास समय होगा? नहीं, काजल के पास अपनी दीदी के लिए समय है। उसने कुछ मिनटों में अपनी डायरी सखी के पेजों की फोटो खींच कर मुझे भेज दी। अपनी दीदी से इतना प्यार! मैं भी उसी वक्त उसके लिखे वाक्यों को भुक्खड़ों की तरह निगलने लगी। वह लिखती है, हवाईजहाज के उड़ान भरते ही मैं भी सपनों की उड़ान भरने लगी। अब मेरे सपने अपनी कुल जमापूंजी, अपने कौशल और फ्लैट के आसपास ही थे। दिल से मैं वापिस सिंगापुर नहीं लौटना चाहती हूँ। एक बार जी जान से कोशिश करके अपने देश में सैटल होना चाहती हूँ। अब मुझे कई घरों में जाकर खाना बनाने जाना भी पसन्द नहीं आ रहा है। मेरे दिमाग में यही सब चल रहा है। ये सोच कर मैंने विचार करना बंद कर दिया कि इण्डिया जाकर ही परिस्थितियों के अनुसार योजना बनाउंगी और स्क्रीन पर फिल्म लगा कर समय काटने लगी। दो देशों की यात्रा की हुई मै क्या अपने देश में घर पर अकेली नहीं जा सकूंगी भला? ये सोच कर मैंने कालू को एयरपोर्ट आने से मना कर दिया। पैसा समय की बचत करते हुए मैं मैट्रो से अपने फ्लैट पर पहुँच गई। खाली फ्लैट में सिर्फ मेरा लगेज़ था पर मन खुश भी बहुत था कि इस 2 बी. एच. के. को अपनी मर्जी से सजाउंगी। माँ को भी कह दिया कि आप लोग मिलने मत आना दिल्ली, मैं ही गाँव में मिलने आउंगी। कालू को कह कर मैंने पेंटर को बुला लिया मेहनताना, सामान लाना सब कालू भाई के जिम्मे लेकिन  रंग सिंगापुर में दीदी के घर जैसे मैंने मेरी मर्जी के करवाये। काम होने के बाद फ्लैट बहुत ही खूबसूरत लगने लगा। अक्टूबर की शुरुवात थी। दो पंखे ड्रॉइंग रुम में और एक बैडरुम में लगवाया और कुछ किचन का सामान रक्खा। मैं किसी की सेवाएं नहीं ले रही थी इसलिए कालू और उसकी पत्नी काम पर जाने लगे। एक चटाई जाते ही खरीद ली, जो मेरे सोने और बैठने के काम आती थी। सबसे खुशी की बात, दीदी का घर मेरे घर से डेढ़ किलोमीटर दूर था। दीदी का सामान अम्मा को देने गई तो पापा से मैंने कहा कि मुझे एक कम्प्यूटर खरीदवा दो। बच्चों के जाने के बाद उन्होंने ऊपर घर किराये पर लड़कोंं को उठा दिया है। उनमें एक कम्प्यूटर इंजीनियर है, उससेे मेरी बात करवाई। उसने मेरी जरुरत पूछी और सस्ते में एसेम्बल करवा दिया। कमरे के एक कोने में कम्प्यूटर टेबल चेयर लग गई। विमल भी आया हुआ है। मैं घर बनाने में जुटी हुई हूं। वो मिलने मिलाने में लगा है, मुझसे मिलना चाह रहा है। मैं दूध की जली हुई, छाछ को भी फूंक कर नहीं, उबाल कर पी रहीं हूं। मैंने सोचा कि कम पैसों में घर फर्नीश कर लेती हूं। अम्मा के घर लड़को के लिए बाहर से टिफिन आते देख, मैंने टिफिन का काम करने की योजना भी बना ली। काम चल गया तो यहीं सैटल नहीं, तो फर्नीश घर को भाड़े पर उठा कर सिंगापुर, किश्तें तो चुकानी हैं न। विमल होटल में काम करता है। उसे मैंने फोन पर अपनी योजना बताई। वह दिल्ली का पढ़ा, बढ़ा मुझे मार्किट की जानकारी देने लगा और मिलने को उतावला है। हमने चांदनी चौक पर मिलना तय किया। जब मैं पहुँची तो उसको इंतजार करते पाया। देखने में मेरे भाइयों की तरह साधारण कद काठी का पर पढ़ा लिखा होने से प्रभावशाली और हंसमुख है। उसने मुझे ध्यान से देखते हुए कहा कि यहाँ से फतेहपुरी तक पुरानी मशहूर खाने पीने की दुकाने हैं। अपने कोर्स के दिनों में मैं यहाँ स्वाद लेने आता था ताकि अपने बनाये व्यंजनों में यही स्वाद दे सकूं। अब हम एक सिरे से खाना शुरु हुए एक प्लेट लेते, दोनों खाते क्योंकि हमें ज्यादा वैरायटी जो खानी थी। जो भी खाते उसके बारे में एक दुसरे से प्रश्न करते। पेट बुरी तरह से भर गया। हमने कई तरह के नमकीन मिठाई थोड़ी मात्रा में ली। उसने खारी बावली दिखाते हुए बताया कि यहाँ हर तरह के खाने में उपयोग होने वाला सामान मिलता है। चलते समय मैंने उसे कहाकि चलों मैं तुम्हे अपनी मेहनत का फल दिखाती हूं। और ऑटो बुला कर घर की ओर चल पड़ी। एक प्रश्न मेरे मन में बार बार उठ रहा था कि मेरे घर में भाई खा पीकर बर्तन छोड़ कर उठ जाते थे और जिन घरों में मैं काम करती थी वहाँ भी बेटों से कैरियर और कोर्सेज़ की बाते की जातीं थी। उनके जूठे बर्तन, माँ बहने ही उठाती थीं। ऐसे में विमल का खाना बनाना, मुझे अजीब लगा। मैंने पूछ ही लिया। विमल ने बताया कि उनका वन रूम सेट घर था। सामने ही वह माँ को खाना बनाते ध्यान से देखता था, कभी कुछ बनाता तो उसका स्वाद बहुत अच्छा होता। मम्मी पापा ने उसका शौक देख कर बारहवीं के बाद उसे इस कोर्स में डाल दिया। तब तक घर  आ गया। फ्लैट में प्रवेश करते ही, विमल ने मुझसे पूछा कि मैंने कहाँ से कोर्स किया है? मैंने जवाब में कहा," मैं समाज के उस वर्ग से हूं जहाँ बेटियां पैदा होते ही रसोई बनाना सीख जाती हैं।" वह घूम घूम कर फ्लैट देखने लगा और मैं कॉफी बनाने लगी। कॉफी पीते हुए उसके प्रश्नों के जवाब में मैंने उसे अपनी जीवन यात्रा सुना दी। सुनने के बाद उसने कहा कि कल वह दस बजे पर्दों के लिए टेलर लेकर आयेगा, उसके बताये नाप के परदे का कपड़ा खरीदेगें और फर्नीचर खरीदेगे। खाना बाहर ही खायेंगे। वह चला गया। सुबह दस बजे वह दर्जी को लेकर खड़ा था। दर्जी नाप बताता जा रहा था, वह नोट करता जा रहा था। दर्जी के जाते ही  कॉफी पीते हुए वह फर्नीचर के बारे में मुझसे सलाह करता जा रहा था। पहले हम फर्नीचर पसंद करने गए । वो होटल लाइन का है इसलिए उसकी पसंद में मैं कमी निकाल ही नहीं सकती थी। पर्दे चादर खरीदने के बाद खा पी कर हम लौटे। जल्दी सिलने के लिए टेलर कपड़ा ले गया और फर्नीचर आना शुरु हो गया। मैं तो दर्शक थी फर्नीचर उसने बहुत सुन्दर तरीके से लगाया। पर्दे लगते ही रंगों के सही चुनाव के कारण सादगी से सजा घर भी बहुत सुन्दर लग रहा था। घर को निहारते हुए, मैंने विमल से कहा,’’आपकी पसंद बहुत अच्छी है।’’वह बोला,’’ मेरे घर वाले भी यही कहते हैं जब मैंने शादी के लिए उन्हें अपनी पसंद की लड़की का वीडियो दिखाया था।’’ पता नहीं ये सुन कर मैं क्यों उदास हो गई! मैंने बड़ी मुश्किल से अपने को संयत किया और पूछा,’’मुझे नहीं दिखाओगे अपनी पसंद की लड़की।’’उसने रैसिपी समझाते हुए मेरा वीडियो मेरी आँखो के सामने कर दिया। मेरे मुंह से एकदम निकला,’’ ये तो मैं हूँ।’’ मुझसे मोबाइल लेकर बोला,’’ तुम्हीं तो हो मेरी पसंद, अगर तुम भी मुझे पसंद करती हो तो मैसेज कर देना।।’’ और तुरंत चला गया। जाते ही उसने पासपोर्ट की कॉपी भेजी और अपनी इन्क्वायरी करवाने को कहा। मैं तुरंत अम्मा पापा के पास गई। सारी बात बताई। तीन दिन बाद उन्होंने कहा कि ठीक लोग हैं। मैंने सहमति भेज दी। विमल तो पता नहीं उड़ कर आ गया। उसने कहा कि कल ही र्कोट मैरीज के लिए एप्लीकेशन लगानी है। सादा  विवाह होगा, बाद में उसके घर वाले छोटी सी पार्टी रक्खेंगे। गाँव से अम्मा पिता जी को भी बुला लिया। दोनो के घर वाले आपस में मिले और शादी तय हो गई फिर शादी हो गई। विमल ने कहा कि इस बार का कांट्रैक्ट वो पूरा करेगा। मैं भी अपना काम शुरु करुँगी। पढ़ कर मन शांत हो गया था। मैंने उसकी शादी में कुछ नहीं दिया। मैं बहुत खुश थी। मैंने अम्मा को फोन किया कि काजल के फ्लैट की जो भी पेमैंट बची है। उसका पेमैंट मैं करूंगी। नमन ने सुना तो वो भी बहुत खुश हुए और बोले,’’काजल के कारण हमने कभी घर की चिंता नहीं की। जो सेवा उसने हमें दी है उसके आगे तो ये पेमेंट कुछ भी नहीं है। ’’ अब मेरे आँसू लगातार बह रहे थे। ये आँसू थे बहकी हुई काजल के व्यवहार  के आगे कुछ न कर पाने के, ये आँसू थे तन और मन से लुटी हुई काजल के दुख के समय जो मैंने सम्भाले हुए थे,  अब निकल रहे थे और विभिन्न देशों की मेरी सहयोगी महिलाओं ने ऐसे समय में काजल को सम्भालने में मेरी मदद की थी ये आँसू उनके लिए भी आभार स्वरुप निकल रहे थे। 
समाप्त

     
ेद

Monday, 26 August 2019

मीठी मीठी सी उलझन लिये, कोई आया धड़कन कहती है उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 13 नीलम भागी


काजल का चैनल बहुत सबक्राइबस होने लगा। लोग व्यंजन से सम्बन्धित प्रश्न पूछते वो सब का जवाब देती थी। उसके दर्शक बहुत बढ़ गये।  एक दिन पूनम मुझसे बोली,’’दीदी, मैं काजल को अकेला नहीं छोड़ूंगी। जब आप लोग घर में होते हैं, उस समय मैं पार्टटाइम काम कर आया करुँ? मैं आपसे कुछ नहीं लूंगी। बस इस समय काजल को कोई टैंशन नहीं होनी चाहिए शायद वो जानती थी कि काजल के फ्लैट की किश्तें जा रहीं हैं।’’मैंने कहा,’’ठीक है।’’उसकी इस बात ने मुझे सोचने को मजबूर कर दिया कि दिल्ली की काजल और नार्थ ईस्ट की पूनम, परदेस ने इनको कितना एक कर दिया है। खून का संबंध न होते हुए भी भारतीयता का रिश्ता तो है न। हमारे ऑफिस लंच टाइम में काजल के व्यंजन ही चर्चा का विषय होते थे क्योंकि वह कामकाजी महिलाओं के अनुकूल होते थे। विदेशी साथिने काजल के लिए अपने गॉड से एक ही प्रार्थना करतीं थीं कि उसको एक अच्छा सा ब्वॉय फै्रंण्ड मिल जाये नहीं तो वह सपने देखना बंद कर देगी। उसको तो सोशल मीडिया में सभी धूर्त नज़र आयेंगे। आज जब मैंने उन्हें पूनम के बारे में बताया तो तकरीन सभी ने मुझसे उसका मोबाइल नम्बर लिया। हमारे घर पहुँचते और वीक एंड पर पूनम भी घण्टों के हिसाब से डोमैस्टिक हैल्प के लिए जाने लगी थी। 
 विमल नाम का लड़का उसकी हर डिश बनाता और जो भी उसमें बदलाव करता तो काजल को बताता। दोनो के विचारों का खूब आदान प्रदान होता । काजल दूध की जली हुई थी इसलिये छाछ को फूंक फूंक कर पी रही थी। इस बार मैंने भी उस पर नज़र रक्खी हुई थी। विमल काजल की बनाई डिश में जो भी चेंज करता काजल वैसे ही बना कर, डिनर में वो डिश हमें परोसी जाती। मैं तारीफ़ करती तो सना के आने पर उसको भी बनाया जाता। विमल के बताये तरीके से मसलन गट्टे को ही उसने सोयासॉस, विनेग़र, चीली सॉस, टोमैटो सॉस और कॉर्न फ्लोर के साथ उसका चायनीज़ स्नैक्स और मंचुरियन की तरह दो व्यंजन बना दिये। जब काजल ने उसकी बताई विधि से बनाया तो उसका स्वाद लाजवाब था। अब काजल सबसे पहले विमल के ही कमेंट पढ़ती थी। इस शनिवार उसने विमल के बताये चेंज से ही सभी एपिसोड बनवाये। उसने बनाते हुए  कहा  कि  बारीक कटे लहसुन को खाने के तेल में भूने फिर उसमे मोटा कटा प्याज सुनहरी होने तक भूने, उसमें हल्दी र्मिच पाउडर, गट्टा और नमक डाल कर तेजी से मिलायें आँच बहुत मंदी कर उसमें विनेरगर(सिरका),  सोयासॉस और टोमैटोकैचप मिला कर गैस बंद कर दें और इसमें बारीक कटा हरा प्याज और हरी मिर्च से सजा दें। इसे सर्विंग डिश में निकाल कर रख दिया। अब गट्टे की चाइनीज सब्जी के लिए कड़ाही में उसने बारीक कटे लहसुन को खाने के तेल में भूना फिर उसमे बारीक कटा प्याज सुनहरी होने तक भूना, उसमें हल्दी र्मिच पाउडर और नमक डाल कर तेजी से मिलाया आँच बहुत मंदी कर उसमें विनेरगर(सिरका),  सोयासॉस और टोमैटोकैचप मिलाया। थोड़ा सा कॉर्नफ्लोर पानी में घोल कर ग्रेवी के अनुपात में डाल कर उबाल आते ही गट्टे डाल कर गैस बंद करदी। इसी तरीके से विमल द्वारा भेजे और भी कई व्यंजन बनाये। इनको बनाते हुए उसके चेहरे से मुस्कुराहट फूट फूट कर निकल रही थी। उसकी बॉडी लैंग्वेज़ देख कर मुझे और सना को आंतरिक खुशी मिल रही थी। धीरे धीरे उन दोनों की दोस्ती हो गई। वह जर्मनी में कुक था। अब एक महीने के बाद वह दिल्ली जा रहा था। काजल ने भी घर जाने की इच्छा की। हमने टिकट बनवा दिया। काजल भी ठीक हो चुकी थी। जाने से पहले मैंने काजल को अपने पास बिठा कर समझाया कि अगर कोई तुझे पसंद करे, और तू भी यदि उसको पसंद करती हैं तो जो भी तेरे मन में प्रश्न हों, उसके आगे रखना और उसके जवाब से तूु संतुष्ट हो, तब उसके बारे में सोचना। जो कुछ भी वह तेरे बारे में वो जानना चाहेगा, तूं उससे कुछ भी छिपाना नहीं। कोई शर्म की बात नहीं कि तूं और तेरी मां झाडू पोछा बरतन करते थे। जो भी तुझे पसंद करेगा वो आज की काजल को पसंद करेगा। महानगर में तेरा खुद का घर है। अच्छा इनसान कम भी कमाता हो तो भी अपने खुद के घर में गुजारा हो जाता है। उसने मेरी बातों को ध्यान से सुना। सुबह उसकी फ्लाइट थी। इस बार उसने किसी के लिए गिफ्ट नहीं लिए। सुबह उसे एअरर्पोट छोड़ने गई तो पूछा कि दिल्ली से तूं गाँव जायेगी? वो बोली,’’नहीं, उसने घर वालों से कह कर, अपना फ्लैट खाली करवा रक्खा था। उसके भाई ने पूछा था कि उसके आने से पहले वह घर में डिस्टैम्पर पेंट करवा रक्खे।’’ काजल ने साफ मना कर दिया था कि वह आकर स्वयं अपनी पसंद का करवायेगी। जाने से पहले उसने मेरा हाथ पकड़ा और बड़े भोलेपन से मेरे चेहरे को देखने लगी। मैंने कहा कि तुझे जब भी मेरी सलाह की जरुरत होगी, मैं तेरे साथ रहूगी, पहुंंचते ही मुझे खबर करना। पहली बार अकेली जा रही है न और उसके गाल पर प्यार से चपत लगा कर, आँखों में आए आँसूओं को छिपाकर मैं पार्किंग की ओर चल दी।   क्रमशः

Friday, 23 August 2019

मुश्किल नहीं है कुछ भी अगर ठान लीजिए उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 12 नीलम भागी


 कॉफी ब्रेक के लिये हम बैठे, पूनम कॉफी बनाने लगी। इतने में मुझे सलोनी का फोन आया। सलोनी हमारे ऑफिस में बहुत प्रैक्टिकल गर्ल के रुप में मशहूर है। वो न जाने कैसी कैसी वाहियात बातें लाकर, हम सब का दिल दुखाया करती है। इस समय उसका फोन आना मुझे जरा भी अच्छा नहीं लगा। ख़ैर बात तो करनी थी और मैंने की। वो मुझे मेरी हमदर्द बन कर समझाने लगी कि मैं काजल का इण्डिया का टिकट कटा दूं। कांट्रैक्ट खत्म होने पर तुम्हारे घर से तो वह बुलबुल बन कर चहकती हुई गई थी। जो उसके साथ हुआ है वो तुम्हारी वजह से तो नहीं हुआ है। उसने आशिक़ी करने से पहले तो तुमसे सलाह नहीं ली थी न! अब तुम क्यों उसके लिए हलक़ान हो रही हो? उसकी बातों से गुस्सा तो मुझे बहुत आ रहा था। मन कर रहा था कि उसे जवाब दूं कि मानवीय संवेदना भी कोई चीज है पर मैं चुप लगा गई। इस समय किसी भी वाद विवाद में पड़ने से जरुरी मेरे लिए काजल का स्वस्थ होना था। हां हूं करके सलोनी को निपटाया। किचन में जाकर देखती हूं काजल सेकण्ड शिफ्ट की तैयारी में पूरी लगन से लगी हुई थी। ये देख कर मुझे बहुत अच्छा लगा। सना ने काजल से कहा कि आराम से कॉफी पियो और सोचो जो बना रही हो केवल उसके बारे में। कॉफी खत्म होते ही काजल ने सना से कहाकि वह तैयार है। सना ने काजल के माइक लगा कर साउण्ड चैक की और उसके लाइट कैमरा एक्शन बोलते ही काजल ने फ्रिज से दहीं और दो कटोरियां गटटे की निकालीं। दहीं को उसने फेंटा उसमें स्वादनुसार आधा सादा नमक और आधा काला नमक मिलाया और दो सर्विंग बोल में डाला कर उसमें से एक में गटृे डाल दिए। कैंची से दो सूखी लाल मिर्च मोटी मोटी काटीं। एक फ्राइंग पैन में जीरा काली मिर्च भूनी और ठंडा होने पर उसमें जरा सी हींग डालकर पीस कर उसे एक गट्टे वाले रायते में मिला दिया उसे पौदीने के पत्ते से सजा कर फ्रिज में रख दिया। उसी पैन में थोड़ा सा देसी घी डाल कर गैस पर रख कर उसमें सरसों डाल दी जब सरसों फूटफूट कर रोने लगे(सरसों के लिए ऐसा बोलने पर हम सब हंस दिए ) तो उसमें कटी हुई लाल मिर्च डाल, एकदम अलटपलट कर कढ़ी पत्ता डालकर भूनते ही गैस बंदकर उसमें गट्टे डाल कर ढक दें ताकि बघार गट्टे में रच बस जाये। और क़ैंची से मोटी लाल मिर्च काटने का कारण बताया जो ज्यादा तीखा नहीं खातें हैं वे उसे खाते समय निकाल सकते हैं। ठंडा होने पर इसे दहीं में डाल कर इसे कढ़ी पत्ते से सजा कर फ्रिज में रख दें और रख दिया। और साथ ही एक कटोरी गट्टे की और निकाल लाई उसे तेज गर्म कूकिंग ऑयल में डाल कर आँच कम कर दी जब उनका रंग हल्का बादामी हो गया तो उसे कढ़ाही से निकाल कर उसमें चाट मसाला मिलाकर ठंडा होने दें। अब इस तेल में जीरा डाल दें , जीरा भुनते ही उसमें चार लौंग, दो टुकड़े फुलचक्री, एक कुटी हुई मोटी इलायची और यदि लहसुन खाते हैं तो चार कलियां लहसुन को लम्बाई में चार चार टुकड़ों में काट कर डाल दें जब सुनहरा हो जाये तो इसमें बारीक कटा प्याज डाल कर सुनहरा होने तक भूनें जब प्याज भुन जाये तो इसमें बारीक कटा टमाटर डाल दें जब मसाला घी छोड़ दे तो उसमें पिसी हल्दी, मिर्च, धनिया डाल कर थोड़ा चला कर जिस पानी में गट्टे उबाले थे उसी पानी को इसमें ग्रेवी बनाने के लिए डाल दें। अब फ्रिज से आखिरी बचे गट्टे और सलाद से सजी प्लेट ले आई। गट्टे को सर्विंग बोल में डाल कर उस पर ग्रेवी डाल कर बारीक कटे हरे धनिये से सजा दिया। सलाद प्लेट में तले गट्टे बीच में रख दिए। अब गट्टे के पाँचों व्यंजन उसने डाइनिंग टेबल पर सजाये। उसकी प्रैजेन्टेशन देख कर हम तालियां बजाने को मज़बूर हो गये। मेरी आँखों से पानी बहने लगा। मैं वहाँ से हट गईं। मुंह धोकर लौटी तो सना ने काजल को गले से लगा रक्खा था। मुझे देखते ही बोली,’’अब चलती हूँ जाकर एडिटिंग भी करनी है। आज की छुट्टी काजल डियर के नाम।’’ और साथ ही पैक अप करती जा रही थी। मैंने पूनम से कहा कि पाँचों डिश सना के लिए पैक कर दो। पूनम ने बड़ी फुर्ती से पैकिंग की। हमने उसे बहुत कहा कि लंच करके जाये। पर उसे जल्दी थी। काजल और पूनम उसे पार्किंग तक छोड़ कर आईं। सना ने घर पहुँचने के दो घण्टे के बाद पहला एपिसोड भेज भी दिया। उसे देख कर काजल के चेहरे पर बहुत प्यारी मुस्कान आई। मैंने उसका यू ट्यूब चैनल बना कर उसका लिंक उसे और सहेलियों, कूलीग और नमन को दिया। नमन ने भी अपने सभी साथियों को दिया। जितना ज्यादा हम सोशल मीडिया में भेज सकते थे भेजा शेयर कििया। सबसे ज्यादा मुझे खुशी इस बात से हुई कि मेरे और नमन के कूलीग ने भी आगे लिंक भेजा। शाम तक पाँचों व्यंजनो के एपिसोड आ गये और काजल अपने मन पसंद काम में लग गई। शनिवार सना आती और शूट करती। और मुझे उसके मानसिक स्वास्थ में तेजी से होते सुधार को देख कर खुशी मिलती। ऑफिस में लंच करते समय मैंने सना से कहा,’’सना तुम मेरे लिये कितना कर रही हो।’’ जवाब में सना बोली,’’ये मै तुम्हारे लिये नहीं कर रही हूँ। ये मैं एक तन और मन से लुटी हुुई भोली बच्ची के लिये कर रही हूँ। जिसे अपनी गृहस्थी से उबे प्रौढ़ ने बहकाया और अपना समय पास किया। काजल ने तो उससे प्यार किया है न! सब कोरस में बोली,’’उसका पता लगाना मुश्किल नहीं था। पर उस धूर्त का करते क्या?’’ इश्क में बेवफाई करने वालों पर मुकदमा नहीं चलता। हमें इस समय काजल को ठीक करना है ताकि वो नई जिंदगी शुरू करे।’’सब को काम मिल गया था काजल के व्यूवर्स देखने का।     क्रमशः          
             
 

Saturday, 17 August 2019

मन का था बैरी काला, दिल जिसे दे डाला उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 11 नीलम भागी



सुबह मैं उसके साथ ही उठी। वो मुझे मना करती रही लेकिन मैं उसके साथ ही काम में लगी रही। उसकी सहेली पूनम से मैंने फोन पर जल्दी आने को कह दिया था। मेरे ऑफिस जाने से पहले वो आ गई। मैंने उसे फिर से समझाया कि काम हो चाहे न हो इसे अकेले नहीं छोड़ना है। शाम को समर सो कर उठेगा तो तीनों ईस्ट कॉस्ट पार्क जरूर जाना है। समुद्र के किनारे इसका मन बदलेगा। काजल की उजड़ी सी शक्ल देख कर वह भी दुखी हो गई थी। वह काजल से बोली,’’मैडम बहुत अच्छी हैं। जब तक मुझे काम नहीं मिलता, उन्होंने मुझे तेरे पास रहने की परमीशन दे दी है।’’ काजल उसे टुकुर टुकुर देखती रही। लंच में मैंने अपनी सहेलियों को काजल के बारे में बताया, सभी को उससे बहुत हमर्ददी हुई, सब उसकी चिंता करने लगी. काजल से समझ समझ कर पूनम ने सब काम सम्भाल लिया। अगले दिन ऑफिस जाते ही सहेलियों ने काजल के बारे में पूछा। लंच में भी यही चर्चा कि काजल को नॉर्मल कैसे किया जाये. खाली रहने से यह डिप्रेशन में चली जायेगी। कोई ऐसा काम जिसे यह ख़ुशी से करती हो. मैंने बताया कि इसको कुकिंग का शौक है। सबने सलाह दी इसे उसी में व्यस्त किया जाये। सना को फोटोग्राफी और वीडियोग्राफी का शौक है। वो समय मिलने पर इसकी कार्यशाला भी अटैण्ड करती है। सना ने कहाकि हम इसके कुकिंग के वीडियो बनाते हैं। मैंने घर जाते ही काजल से कहा,’’शनिवार को सना तेरे हाथ की गट्टे की सब्जी खाने आयेगी। गट्टे की तूं जितनी वैराइटी बना सकती है, बनाना। तेरी कूकिंग की वीडियोग्राफी भी करेगी क्योंकि सब तुझसे कुकिंग सीखना चाहती है। मैं तेरे बनाए खाने की तारीफ जो करती हूं ना इसलिए। किसी सामान की कमी है तो लिस्ट दे देना। मैं लेती आउँगी। सब पहले स्टैप वाइस लिख लेना ताकि उस समय कुछ भूले न। किचन के एक हिस्से में उस समय जो चाहिये होगा, पहले से पास में रख लेना।" साथ ही मैंने उसे एक नया डायरी पैन पकड़ाया। अगले दिन लंच समय में मैंने फोन पर पूनम से काजल के बारे में पूछा,’’उसने बताया कि आज किचन और डायरी में व्यस्त है। सुनते ही मेरी साथिने बहुत खुश हुई। शनिवार दस बजे सना ने आना था। मैंने से कहा,’’ काजल अच्छे से तैयार हो जा, सना को कुछ पता नहीं है, नही तो वो क्या सोचेगी?’’ इधर काजल तैयार हुई उधर सना भी आ गई, आते ही उसने लाइट कैमरा सब सैट करना शुरू कर दिया। फर्श पर निशान लगा दिये कि काजल को कहाँ कहाँ खड़े होकर करना है, बोलना है और बाकि निर्देश दिये।
उसने ऐसी डिश बनानी शुरु की जिसको बनाने का सामान तकरीबन हर रसोई में होता है। देखने वाला चाहे तो तुरंत बना सकता है क्योंकि उसे इनग्रीडेंट के लिए बाजार नहीं दौड़ना पड़ेगा। एक्शन से पहले मैंने उसे गले लगाया तो वह दो मिनट तक मेरे कंधे पर सर रक्ख कर चुपचाप खड़ी रही। सना ने उसे बड़े प्यार से मुझसे अलग किया। सना ने उसको समझाया कि कैमरा दर्शक है जो तुम्हें देख रहें हैं। ऐसे बनाना, समझाना कि ये लोग तुम्हें देख सुन कर वैसे ही बना लें। लाइट कैमरा एक्शन शुरु होते ही उसने पहली लाइन बोली कि यह डिश रसोई में हमेशा उपलब्ध इंनग्रीडेंट से बनाउंगी। इसकी वैराइटी में स्टीमिंग, सौटे और डीप फ्राइंग आप अपने स्वाद, सेहत और वेट के अनुसार चुनाव कर सकते हैं। जुबान और हाथ उसके फुर्ती से चल रहे थे। काजल ने नाप से बेसन, नमक और अजवायन लिया और गूंधना शुरु किया साथ ही दर्शकों को बताती जा रही कि इसे सख्त मांड़ना है। हाथों में आप चिपकने पर थोड़ा थोड़ा घी या तेल लगा सकते हैं। बेसन या चने का कुछ भी बनायें तो उसमें अजवायन डालेंगे तो उसका स्वाद बढ़ेगा ही। बेसन तैयार होते ही चौड़े पतीले में पानी डाल कर उबलने को गैस पर रख दिया। बेसन की छ इंच की मोटी अंगुलियों की मोटाई में गट्टे बनाने लगी। जब पानी उबलने लगा। तो उसमें एक एक करके गट्टे डाल कर ढक दिया। दस मिनट बाद गैस बंद कर दी और गट्टे पानी से निकाल कर गट्टे प्लेट में रख दिए। थोड़ा ठंडा होने पर गट्टों के आधा आधा इंच के टुकड़े काट दिये और उन्हें पाँच भागों में बांट दिया। अब बोली,’’पाँचों व्यंजन अभी बनाने हैं तो इन्हें बाहर ही रहने दें। अन्यथा चारों को फ्रिज में रख दें। जरुरत के समय निकालती रहें।’’ कहते हुए उसने फ्रिज में रख दिये। इस समय उसके आस पास कहीं लॉरेंस नहीं दिख रहा था। धीरे धीरे उसकी आत्मा से लॉरेंस का प्रेत उतरता जा रहा था और उस पर उसकी खाना बनाने की कला का निखार आता जा रहा था। वह पूरी तरह अपने हुनर में खोई हुई थी। दो बच्चों के साथ सारे घर का काम करते हुए, इसने कैसी कैसी खाने की विधियाँ, समय बचाते हुए इज़ाद कीं हैं। मैं भी इस समय दर्शक की तरह मंत्र मुग्ध सी देख रही थी। और मुझे तो ये पता था कि इसकी अंगुलियों से स्वाद टपकता है। 
  अब उसने गट्टा कड़ी के लिये दहीं फेंटी और उसमें बेसन मिलाया। कड़ाही में तेल डाला उसमें मेथी और साबूत लाल मिर्च डाली। मिर्च सिंकते ही उसे तेल से बाहर निकाल लिया। मेथी में जीरा भूना जल्दी से हल्दी और धनिया डाल कर बेसन वाला नमकीन मट्ठा डाल कर कड़छी से चलाती जा रही ताकि उसमें गांठें न पड़ जायें और बताती जा रही कि कुछ लोग मिर्च नहीं खाते इसमें मिर्च तलने से उसका फ्लेवर आ जाता है। परोसते समय कढ़ी में साबूत तली मिर्च डाल दें। जो मिर्च खाते हैं वो फोड़ कर मिला लेंगे और तली मिर्च का इसमें स्वाद लाजवाब होगा। कढ़ी में उबाल बैठने के बाद आँच धीमी करके उसे कढ़ने दिया और बारीक बारीक हरा धनिया काटने लगी। दस मिनट बाद गैस बंद कर एक चम्मच पानी में हींग थोड़ी सी घोल कर कढ़ी में मिला कर उसे ढक दिया। डोंगे में गट्टे रक्खे। उस पर कढ़ी डाल कर धनिया और तली लाल मिर्च से सजा दिया। अगर और चटपटी करनी है तो देसी घी में थोड़ा जीरा भूनकर गैस बंद कर उसमें लाल मिर्च पाउडर डाल दें। इसे भी कढ़ी में ऊपर से डाल सकते हैं। उसे साइड में रख बोली,’’ये लो फैट गट्टा कढ़ीतैयार हो गई।’’ इसे बनायें खायें और खिलायें। क्रमशः

Saturday, 10 August 2019

तुझे देखा तुझे चाहा तुझे पूजा मैंने , बस इतनी ख़ता है मेरी उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 10 नीलम भागी



छ घण्टे पहले की स्वप्न सुन्दरी की सुन्दरता, दिल पर लगी चोट ने सोख ली थी। कौन आया है? ये देखने के लिये सब कमरे से बाहर आये। शायद उसकी हालत देख कर, बच्चे भी वहीं रूक गये। नमन वापिस रूम में जाकर अपना वॉलेट, मोंबाइल, गाड़ी की चाबी ले आये और बच्चों को लेकर बाहर चले गये और मुझे मैसेज कर दिया कि इसे अकेले नहीं छोड़ना, खाना सब बाहर से आयेगा। मैं भी यही चाहती थी कि इस समय उसके साथ मैं अकेली रहूँ। मैंने उसे कहा,’’ काजल चेंज कर लो, मैं कॉफी लाती हूँ।’’ वह भारी कदमों से अपने एरिया में जाने लगी, तो मैंने कहा,’’दरवाजा बंद मत करना। यहाँ कोई नहीं आयेगा।’’सुबह जाने की खुशी में वो बिना ब्रेकफास्ट के चली गई थी। इस हालत में भला उसने कुछ खाया होगा! न न न. मुझे डर था कि कहीं बेहोश न हो जाये। साथ ही उसे पानी का गिलास दिया। जब कॉफी बन गई साथ ही मैंने आमलेट ब्रैड तैयार कर ली। जब वो आई नही तब मैंने आवाज लगाई। वो बेजान सी आकर कालीन पर मुहं नीचे करके बैठ गई। मैं उसका नाश्ता और दो कप कॉफी लेकर उसके बराबर बैठ गई। मैंने कॉफी का घूट भरा और उसके सिर पर हाथ फेर कर खाने का आग्रह किया। वह तो ऐसे रोई कि उसके विलाप से मेरे घर की दीवारें हिल गईं। मैं उसे कंधे से लगा कर, उसकी पीठ पर हाथ फेरती रही और वह आंसुओं का सैलाब निकालती रही। जब उसके आंसू सूख गये। तो मैंने उसके मुँह में अपनी कसम देकर आमलेट का टुकड़ा डाला। अब वह धीरे धीरे, बेमन से चबाने लगी। मै बोली,’’काजल मैं तुझे बचपन से जानती हूँ। तूं बहुत भली लड़की है। तेरे साथ कोई इनसान बुरा कर ही नहीं सकता, सिवाय शैतान के और शैतान के लिये भला क्यों रोना? अभी तूं इकीस्वें साल में चल रही है। मेरी सत्ताइसवें साल में शादी हुई थी। तूं पच्चीसवें में कर लेना, अपनी दीदी से दो साल पहले तब तक तूं अपने ब्वायफैंड को अच्छी तरह समझ भी लेगी। ’’किसे समझ लूंगी दीदी?’’ कह कर वह फिर फूट फूट कर रोने लगी। अब वह जल्दी चुप होकर दयनीय नजरों से मेरी ओर देखने लगी।
उसे मैंने थोडी आवाज बदल कर कहा,’’ खाना खत्म करो।और मैं उसकी कॉफी फिर से गर्म करने चली गई और अपने लिये चाय बनाने लगी। उस समय मेरे मन पर बचपन में पढ़ी एक कहानी ने बहुत असर किया था वह याद आई। वो कहानी थी, एक बिजड़ा और बिजड़ी(विवर र्बड) थे। दोनों अच्छे मौसम में अपना घोंसला बुन रहे थे। उसी पेड़ पर एक बंदर खूब मस्ती कर रहा था। उन भले पक्षियों ने बंदर को समझाया कि तुम्हें भगवान ने हाथ पैर दिये हैं। तुम भी ठंड बरसात से बचने के लिए अपना कोई बसेरा बना लो। बंदर ने उन्हें डाँट कर चुप करा दिया। सर्दियों की बरसात थी। दोनों पक्षी घोंसले में अपने बच्चों के साथ मौसम का आनन्द उठा रहे थे। अचानक उनकी नज़र ठंड से दांत किटकिटाते,  भीगे बंदर पर पड़ी। बिजड़े को उस समय उपदेश देने का दौरा पड़ गया वह बोला,’’मैंने समझाया था कि अपना घर बना ले। तूने मेरी एक नहीं सुनी। अब धक्के खा रहा है न। इस ठण्ड से तूं मर भी सकता है। मुझे देख, मैं इस समय अपने परिवार के साथ मौसम का आनन्द उठा रहा हूँ।’’ सुनते ही बंदर ने उसका घोंसला तहस नहस कर, उसे बेघर कर दिया। मैंने तब से अपनी आदत बना ली थी कि कभी किसी को परेशानी की अवस्था में उसकी गलतियां नहीं बताउंगी। बल्कि परेशानी दूर करने में मदद करूँगी। कॉफी उसे देकर उसके पास बैठ गई। चुप्पी तोड़ते हुए मैंने कहा,’’मुझे उससे मिलवा, मैं उससे बात करती हूँ।’’ काजल ने जवाब दिया,’’दीदी, लॉरेंस सिंगापुर से जा चुका है।’’मैंने पूछा,’’तुझे बता कर गया है।’’ वह बोली,’’नहीं।’’ अब वह खुली कि बाली से आने के बाद मैं उसके फ्लैट पर ही जाती थी। रात को उसने मुझे रैस्टोरैंट में बुलाया। हमने डिनर किया। हमारा तय था कि आज से मैं उसके फ्लैट में शिफ्ट हो जाउँगी फिर शादी करके आपको सरप्राइज देंगे। आज जब मैं सामान लेकर उनके कौण्डों में गई तो उसके घर का मेरे पास र्काड तो था नहीं। हमेशा की तरह मेन गेट पर पहुँच कर मैंने फोन किया,’ दिस नम्बर नॉट एग्जिस्ट।मैंने इंटरकॉम से करवाया। सब बंद। उनमें से एक गार्ड भारतीय था नार्थ ईस्ट का था। उसने बताया कि लारेंस तो छ घण्टे पहले सामान के साथ टैक्सी में चला गया है। उसने कैमरे से देख कर मुझे टैक्सी का नम्बर दे दिया। मैंने कम्पनी से मालूम किया कि इस नम्बर की कैब कहाँ के लिये बुक हुई थी। पता चला एअरपोर्ट के लिये। अब मैं सीधी कैब लेकर एयरर्पोट गई। वहाँ से तो हर दो मिनट पर एक उड़ान जाती है। निकल गया होगा, तब भी मैं वहाँ बैठ कर सारे सोशल मीडिया पर उसे खोजती रही, कोई फायदा नहीं, वो हट चुका था। मेरी यहाँ बनी सहेलियाँ खुद लोगो के घर में रहती हैं। मैं कहाँ जाती? आपके पास आने की हिम्मत ही नहीं हो रही थी। कब तक वहाँ बैठी रहती। मैं डर रही थी कि आप मुझे बुरा भला कहोगी। आपने तो..... फिर रोने लगी। मैंने उसे कहा,’’हाँ, मैं तुझे डाँटूंगी, अगर तूं उस धोखेबाज के लिये आँसू बहायेगी तो। इसे एक बहुत बुरा सपना समझ कर भूलने की कोशिश कर।’’ मैंने टी.वी. पर पिक्चर लगा दी। उसे वहीं लेटने को कह दिया आप भी वहीं उसके पास लेट गई। वो फिल्म देखते देखते सो गई। मैंने चैन की साँस ली और नमन को मैसेज किया कि जब ये सोकर उठेगी,  तब मैसेज करूँगी,  तब आना इसके लिये सोना बहुत जरूरी है। इसको इमोशनल डिस्ऑर्डर है। टी.वी. बंद करके,  इसके बारे में सोचने लगी। इसको अकेला छोड़ नहीं सकती। मेरी कम्पनी साल में कुल दस छुट्टियाँ देती है। मैंने उसकी सहेली को फोन किया कि काजल यहीं रहेगी। तुम हमारे घर में रह कर नया काम ढूंढ लो। बस काजल को अकेले नहीं छोड़ना। जब तक तुम यहाँ रहोगी, उसका पेमेंट भी मैं तुम्हे करूंगी। वो तुरंत राजी हो गई। अब उसके पास ही मैं भी सो गई। दो घण्टे बाद उसकी सिसकियों से मेरी नींद खुल गई। मैंने उसे समझाया कि तेरे दिमाग में जो डिबेट यानि प्रश्न उत्तर चल रहें हैं, इन्हें रोकने की कोशिश कर। उसकी कोई तस्वीर है तो दिखा उसने एक आदमी की तस्वीर दिखा दी जो लड़का तो कहीं से नहीं लगता था। साथ ही काजल सफाई देते बोली,’’दीदी उम्र ज्यादा थी पर मैंने सोचा, अच्छा इनसान है सुखी रखेगा।’’मैंने कहा कि जो गुजर गया उसे भूल जा। अपने को सम्भाल। नमन डिनर पैक करवा लाये। सबने खाया। काजल ने थोड़ा सा निगला। सोना को मैंने कहा,’’बच्चो आज खुशखबरी दीदी आप दोनो के रूम में सोयेगी।’’बच्चे खुश, उसी समय उसके हाथ पकड़ कर अपने रूम में ले गये। उसके जाते ही मैंने नमन से कहाकि बच्चों के रूम में कैमरा है। इसका ध्यान रखना है। हम भी सोने चले गये। मैं इसके बारे में सोचती रही कि इसका पहला प्यार था, जो इसने दिल की गहराइयों से किया है। इसलिये घाव भी उतना ही गहरा है। र्नामल होने में समय तो लगेगा।   क्रमशः  
           



Wednesday, 7 August 2019

आजकल शौक ए दीदार है, क्या कहूँ! आपसे प्यार है प्यार है उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 9 नीलम भागी


अब उसका हमारे घर में दिल नहीं लग रहा था। अपने में ही मस्त रहती थी। डेढ़ महीना इसका बचा था। अब वह तकरीबन रोज रात को दो घण्टे के लिये जाती थी। लेकिन ऑफ में वह शनिवार रात को ही चली जाती। रविवार देर रात को आ जाती। हमने भी सोच लिया कि अब हम जान पहचान की लड़की नहीं लायेंगे। या बच्चों को डे केयर में रख कर पार्ट टाइम मेट रक्खेंगे। ये सब काजल के जाने के बाद ही करेंगे। क्योंकि हमें ये सब देखने की आदत नहीं है। सब कुछ वैसा ही चलता रहा, काजल अपनी ड्यूटी अच्छे से करती रही। हर काम गाते गुनगुनाते करती थी। पैर उसके जमीन पर नहीं पड़ते थे बस वह पंखों के बिना उड़ती चलती थी और आठ बजने का इंतजार करती थी। हमारी हाँग कांग जाने की तैयारी उसने बड़ी खुशी से दौड़ दौड कर की। हमें उसने खुशी में उठा कर घर से बाहर नहीं फैंका बस। हम काजल के हवाले अपना घर करके चल दिए और हम इस बात से बिल्कुल बेफिक्र थे कि लॉरेंस हमारे घर में, हमारे पीछे नहीं आ सकता। हमने काजल को लौटने की फ्लाइट का समय बता रक्खा था। लौट कर आते ही घर पर काजल ने डिनर बना रखा था। हमने डिनर किया और सोने चले गये। और काजल घूमने. एक दिन मामूली सी बात, अजीब घटना में तब्दील होने लगी। नमन डिनर देखने से पहले बोले,’’और काजल रानी डिनर में क्या खिला रही हो?’’उसने बड़ी तल्ख आवाज में जवाब दिया,’’खिलाना क्या वही घास फूस।’’मैं हैरान होकर नमन के चेहरे के भाव पढ़ने लगी। जवाब में नमन ने कहा कि काजल तुम तो घास फूस में भी ऐसा स्वाद डाल देती हो कि ऑफिस में मिलने वाले  लंच को मैं निगलता हूँ।’’ साथ ही मेरी ओर आँख दबा दी कि मैं गुस्से में कुछ बोल न पड़ूं। पहले कभी नमन वैसे ही डाइनिंग टेवल तक जाते हुए, ऐसे ही बोल पड़ते कि आज डिनर में क्या है? तो काजल किचन से ही मैन्यू बोलती आती थी। आज कैसे बदल गई ये लड़की! बच्चे उसे हांग कांग, मकाउ के बारे में बताते, वो कहीं खोई होती, बस हां हूँ करती रहती। मैं तो मन ही मन सोचती रही कि कांट्रैक्ट समाप्त होने पर पहले उसकी इच्छा जानूंगी अगर रहना चाहेगी तो उसे इस तरह मना करूंगी, उस तरह मना करूंगी आदि आदि। पर उसकी तो नौबत ही नहीं आई.
शनिवार हम हमेशा की तरह देर से सोकर उठे। नमन बच्चों को लेकर स्विमिंग पूल चले गये। काजल ने नाश्ता बनाया। रसोई समेट कर घर के काम फुर्ती से निपटा कर, अपने एरिया में चली गई। कुछ देर बाद बिल्कुल सजी धजी, सामान के साथ बाहर आई। मुझसे बोली,’’दीदी, मेरी दो सहेलियाँ कल आपके पास आ जायेंगी। आप बात करके जो ठीक लगे, उसे रख लेना। मैं जा रहीं हूँ। मैंने पूछा,’’कहाँ।’’बोली ऐसे थोड़ी दीदी, मिठाई के साथ आपको खुशखबरी दूंगी क्योंकि आपका आर्शीवाद भी तो लेना है मुझे।’’कहते हुए उसने मेरे पैर छुए, साथ ही बच्चे आ गये। उन्हें बाय करके इतराती हुई निकल गई। मैं तो उसके चहरे से टपकती खुशी के कारण, उसका इस समय रूप देख कर हैरान थी। ऐसा चेहरे पर ग्लो कोई सौन्दर्य प्रसाधन नहीं ला सकता।  मैं उसका खिला चेहरा देखती रही। आज उसके चेहरे पर अद्भुत लुनाई थी जो दुल्हन बनने से पहले साधारण नैननक्श की लड़की को भी असाधारण बना देती है। काजल तो बहुत ही खूबसूरत है।   मेरे करने को उसने कुछ भी काम नहीं छोड़ा था। कल उसकी सहेलियों ने आ ही जाना था। मैंने उनमें से ही सलैक्ट करना था। मेरे रोम रोम से उसके लिये आर्शीवाद निकल रहा था। बच्चे बार बार पूछ रहे थे दीदी कहाँ गई? मैं उनका मन बना रही थी कि कल दूसरी दीदी आयेगी। सामने उसका कार्ड भी रक्खा था। अब वो पराई सी लगने लगी। कार्ड के बिना जब वो आना चाहेगी तो सिक्योरिटी साथ आयेगी या हमसे परमीशन लेगी फिर कैमरे में उसकी शक्ल दिखायेंगे। हमारे हाँ कहने पर वो इस घर में आ पायेगी। जाते समय कोई नहीं देखता। मैं उसके एरिया में गई, लॉरेंस के गिफ्ट सब ले गई थी। बाकि सब छोड़ गई शायद सहेली के लिये। मैंने कॉपी ढूंढी वो नहीं मिली। मैं सोचती रही कि नई लड़की न जाने कैसी होगी ? अब इंतजार था काजल का, देखो वह कैसा सस्पैंस देती है? इस सस्पेन्स का मैं बेसब्री से इंतजार कर रही थी. छे घण्टे बाद डोर बैल बजी। मैंने दरवाजा खोला, सामने गार्ड था उसके पीछे बदहवास सी सामान समेत काजल खड़ी थी। मैं काजल का हाथ पकड़ कर अंदर ले आई फिर उसका सामान अंदर रक्खा। दरवाजा बंद किया। फिर उसका सामान उसके एरिया में रख आई। काजल का जहाँ मैंने हाथ छोड़ा था। वो वहीं स्टैचू की तरह खड़ी रही। मैं समझ गई कि इसे गहरा आघात लगा है। क्रमशः

ख़िल उठी वो कली, पाया रूप नया उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 8 Neelam Bhagi नीलम भागी


लॉरेंस बाथरूम में पता नहीं कितना लम्बा चेंज कर रहा था। मैं भी उझल कूद मचा कर शांत होकर लेटी हुई टी. वी. देखने लगी। आखिरकार बाथरूम का दरवाजा खुला, उसने ताजी शेव की हुई थी, जिसके आफ्टर शेव लोशन की महक ने कमरा भर दिया और काले नाइट सूट में लॉरेंस प्रकट हुआ। मैंने पहली बार उसे इस रूप में देखा और उसे देखती की देखती रह गई। शायद मुझे ऐसा करता देख कर ही, उसने अपना मुंह टी. वी. की ओर कर लिया और मुझसे बोला,’’तुम भी चेंज कर आओ।         
  मैं तो फटाफट चेंज कर आई थी। मुझे देखते ही लॉरेंस एक दम बैड के किनारे हो गया और एक तकिया दूसरे किनारे पर करके बोला,’’आओ।’’मैं मंत्रमुग्ध सी वहाँ जाकर बैठ गई। उसने तो मेरी तरफ देखा भी नहीं क्योंकि उसका ध्यान तो टी. वी. पर था। अब मैं भी टी.वी. देखते देखते वहीं पसर गई और एक चादर डाल कर, लेटे लेटे टी. वी. देखने लगी। कमरे में ए.सी.का तापमान बहुत कम 18 डिग्री था। मैं सीधी लेटे लेटे थक गई थी इसलिये लारेंस की तरफ पीठ करके करवट से लेट गई। चादर ए.सी. की ठण्डक नहीं झेल पा रही थी। लॉरेंस को न जाने कैसे पता चला, उसने मेरे ऊपर कंबल फैला दिया और वैसे ही मुझसे दूरी बना कर लेट गया। कुछ देर तक टी. वी. देखता रहा फिर कमरे की लाइट ऑफ कर दी और टी.वी. का वाल्यूम बंद कर दिया। कमरे में र्सिफ टी. वी. स्क्रीन की रोशनी थी जो मेरी सांसो के साथ घट बढ़ रही थी। अचानक कमरे के मौन को लॉरेंस की गंभीर आवाज ने भंग करते हुए मुझसे पूछा,’’काजल, तुम जिंदगी भर के लिये मेरे साथ रहना पसंद करोगी।’’ अरे! उसने तो वही पूछा जो मैं चाह रही थी पर मेरे मुंह से जवाब नहीं निकला। फिर उसने कहा कि तुम्हारे चुप रहने को मैं हां समझूं क्योंकि तुमने न भी तो नहीं किया है। कुछ देर बाद उसने मेरे बालों को सहलाना शुरू किया। मुझे अच्छा लग रहा था। अब वह मेरे पास खिसक आया और धीरे धीरे मुझे सहलाता रहा। मुझे कुछ भी बुरा नहीं लग रहा था। क्योंकि मैने तो उसके साथ रहने की मौन स्वीकृति दे दी थी। उसका स्पर्श मुझे अच्छा लग रहा था। धीरे धीरे लॉरेंस मुझमें समाता जा रहा था। मुझे तकलीफ हो रही थी पर मैं लॉरेंस की खुशी के लिये मुंह से सी भी नहीं कर रही थी क्योंकि मैं उसे प्यार जो करती थी। एक बार भी हाय हू करती तो लॉरेंस हट जाता, मुझे कष्ट तो वह दे ही नहीं सकता था न। उसकी खुशी के लिये मैं सब कुछ सह सकती हूँ। इस सर्मपण के बाद वह गहरी नींद सो गया। अब टी.वी. भी बंद हो चुका था। मैं उठ कर टॉयलेट गई। शीशे में अपने आप को देखा। जब लॉरेंस को मन सौंपा था तब भी मुझे अपना चेहरा अलग लगा था। और अब तन और मन दोनों सौंप कर मैं अपने आप को बदला महसूस कर रहीं हूं। आकर मैं उसकी कस कर बांह पकड़ कर उसके बराबर लेट जाती हूं और मैं भी नींद के आगोश में चली गई थी, ऐसी नींद मुझे पहले कभी नहीं आई थी।
सुबह ब्रेकफास्ट के लिये लारेंस ने तैयार होकर मुझे जगाया। वह बोला,’’बेबी, ब्रेकफास्ट करके फिर सो जाना।’’ बड़ी मुश्किल से मैं उठी तैयार होकर लॉरेंस की बांह में बांह डाल उसके सहारे से चली। बहुत बड़ी जगह में इंटरनैशनल बुफे लगा था। कूकिंग काउण्टर भी बने हुए थे। हम आमने सामने बैठ गये। उसने मुझे कहा,’’बेबी जो खाना हो ले आओ या मुझे कहो मैं ले आता हूँ।’’ जवाब में मैं बोली,’’जो लाओगे मैं खा लूंगी पर मै नहीं उठूंगी।’’ लारेंस मुस्कुराते हुए उठा, वह बहुत सोच सोच कर कई वैराइटी थोड़ी थोड़ी लाया। तब भी बहुत खाना था। उसका कहना था कि वह चौथाई वैराइटी भी नहीं ला पाया। आमने सामने हम, बीच में मेज पर खाना लगाने में वेटर ने भी हमारी मदद की और हमारे पास खड़ा, हमारे आर्डर भी पूरे कर रहा था। मैं खा रही थी और आसपास नजरे दौड़ा कर सैलानियों को देख रही थी। ज्यादातर वहाँ हनीमून पर आये जोड़े थे। ये देख मुझे लॉरेंस पर और भी प्यार आने लगा। वो इसलिये की हमारा कोई संस्कार तो हुआ नहीं था। तभी उसने दोनो बार संबंध बनाते हुए प्रिकॉशन का इस्तेमाल किया। गर्म कॉफी पीकर भी मैं चुस्त नहीं हुई। अब हम फिर रूम में आ गये। लॉरेंस ने प्लानिंग कर ली कि कहाँ कहाँ घूमने जाना है। मैंने कहाकि मैं बस सोउंगी। सुनकर वह मुस्कुराया और बोला,’’तुम सोओ मैं स्पा के लिये जाता हूँ।’’ और वो चला गया। मैं फिर सो गई।
    पता नहीं वो कब लौटा। जब उसने मुझे जगाया तो वह तैयार था। मुझसे बोला,’’तैयार हो जाओ घूमने चलते है। मैं अनमनी सी तैयार हुई। फिर उसने मेरा कूकिंग का शौक जान कर कहा कि यहाँ कूकिंग की कक्षाएं चलती हैं। तुमने कोई डिश सीखनी हो तो! मेरा जवाब न में था। चावल के खेतों से घिरा उबुद, केमपूहन रिज वॉक करीब एक किलोमीटर पैदल चलने का ट्रैक है जहाँ हरा भरा जंगल और चावल के खेत देखने लायक है। मैं तो इतने में ही बहुत थक गई थी। बाहर ही खाना खा कर होटल आये। मै लॉरेंस से भविष्य की प्लानिंग करना चाहती थी लेकिन वो थोड़े समय में बाली घुमाना चाहता था। वो घुमाता रहा, मैं घूमती रही। वो दर्शनीय स्थलों के बारे में बताता रहा और मैं सुनती रही। बस दो ही बातें मुझे याद रहीं कि यहाँ मंदिर हैं और रामायण का मंचन होता है। हमारे लौटने का समय हो गया। इस बार लॉरेंस से अलग होते हुए मुझे  बहुत कष्ट हो रहा था। उसने कहा कि शाम को मिलते हैं। अब तो शाम का इंतजार रहता है। यह पढ़ कर मेरी चिंता दूर हुई। भगवान का लाख लाख धन्यवाद् किया.   क्रमशः

Monday, 5 August 2019

तेरे दिल के पास मैं रहूँगा जिन्दगी भर उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 7 नीलम भागी




मैं सोमवार को अपने समय से दो घण्टे पहले ही सोकर उठ गई। इस भय से कि अगर ये न आई तो! काजल के एरिया में देखा, अभी वह नहीं आई थी। जैसे ही मैं कॉफी बनाने लगी, दरवाजा खुला सामान से लदी, ये अंदर आई। मुझे किचन में देख लगेज वहीं छोड़कर, बोली,’’ दीदी आप क्यों करने लगी? आप बैठिये’’ और तुरंत कॉफी बनाने में लग गई। मेरे मुँह से एकदम निकला,’’तूं भी तो थकी आई है। थोड़ा आराम कर ले। मेरी नींद जल्दी खुल गई, दोबारा सोती न रह जाउं इसलिये कॉफी पीने की सोचने लगी।’’ ये कह कर मैं डाइनिंग टेबल की चेयर पर बैठी, निगाहें मेरी उसके सामान पर गड़ी थीं। वह बोली,’’ समर के जाने के बाद मैं रैस्ट कर लूंगी’’ और तुरंत काम में लग गई। मुझे तो उसकी आवाज में, चाल में खुशी छलकती नजर आ रही थी।  इसके सामान पर बिजनेस क्लास के बाली के कार्ड लगे थे। मैं अभी उस हवाई यात्रा के र्काड को घूर ही रही थी कि वो मेरे लिये कॉफी भी ले आई। मैं कॉफी ले कर अपने रूम में चली गई। मैंने सोच ही रक्खा था। अब जो घट रहा था उसे देखने के अलावा, मेरे पास कोई चारा ही नहीं था। मन ही मन मैं उसके लिये प्रार्थना भी करती रही  कि भगवान इस भली लड़की का, भला ही करना। क्या पता इस हिरनी जैसी आँखों वाली, काले घने लंबे बालों वाली, हमारी काजल किसी के दिल में बस गई हो! बाल भी सीधे और कलर करवा आई थी। जिसे ढीले से क्लिप से बांध रक्खा था। सब कुछ वैसा ही चला। रात आठ बजे डयूटी खत्म होते ही वो एकदम अपने एरिया में चली गई, कुछ देर बाद जब वो तैयार होकर निकली तो मैं देखती रह गई । शॉर्ट, स्लीवलैस टॉप और खुले बाल पर्स लिये महकती हुई निकली। शू रैक यहाँ बाहर रहता है। इसलिये इसके फुटवियर मैं नहीं देख पाई। उसके जाते ही मैंने सोच लिया कि एग्रीमेंट पूरा होते ही इसका इण्डिया का टिकट कटवा दूंगी, साथ ही हिसाब कर दूंगी। कोई ऊंच नीच हो गई तो झुग्गियों का हुजूम आकर वहाँ माँ का जीना हराम कर देगा। उसके जाने के बाद मुझे नींद नहीं आई। दो घण्टे बाद वो आ गई। दिल्ली से छोटा तो सिंगापुर है और हमारा घर सेन्ट्रल प्लेस में है जिस कोने से भी आओ समय कम लगता है। अब मैं चैन से सोई। बाली से लौटी काजल के बदले रंग ढंग से मुझे एक ही चिंता खाये जा रही थी कि जरूर कुछ घटा है। ये नादान प्रैगनैंट न हो जाये। क्या करूँ? असलियत जानने के लिये बस एक उसकी कॉपी का सहारा है। रात को दो घण्टे के लिये जाती है। अगर उस समय मैं चैकिंग कर रही हूँ और ये तुरंत आ जाये तो। इश्क के तेज बुखार में डूबी लड़की, कुछ पलट के जवाब न दे दे। ये डर मुझे सताता था। इस समय तो अपनी इज्जत अपने हाथ में है। उससे ज्यादा मुझे नमन की तरफ से परेशानी थी कि उसने मुझे चोरी से उसकी डायरी पढ़ते देख लिया तो वो मेरे बारे में क्या सोचेगा? हमारे घर में तमीज़ पर बहुत ध्यान दिया जाता है। किसी की डायरी पढ़ना बद्तमीजी होती है। मैं उसकी नज़रों में बद्तमीज दिखना नहीं चाहती थी। अब तो इसके ऑफ का इंतजार था। जिस दिन उसका ऑफ था। उस सण्डे मैं जल्दी उठ गई। नाश्ता बना कर, सबके उठते ही मैंने उन्हे खिला पिला कर नमन से कहाकि बच्चों को खेलने ले जाओ और स्वीमिंग करवा कर ही लेकर आना, तब तक मै घर के काम खत्म कर लूंगी। सब चले गये और सब के जाते ही मैं काजल के रूम में गई। कॉपी वैसे ही रक्खी थी। शायद काजल को भी यकीन था कि इस एरिया में कोई नहीं आता। जल्दी से पेज खोला, रोज की घटनाएं नहीं थी। बाली से लौट कर उसने अपनी डायरी सखी को बताया था कि दिल्ली से सिंगापुर के साढ़े पाँच घण्टे इकोनामी क्लास के, सफर में कितना कष्ट है। मुश्किल से समय कटता है। सीट में टाँगे मोड़ने की जगह भी नहीं होती है। बिजनेस क्लास का सफर लॉरेंस के साथ कितना आरामदायक वाह वाह। उम्र में बड़ा है तो क्या कितना नेक इनसान है जितना समय इसके साथ बीतेगा, जिंदगी अच्छे से कटेगी। मेरा मन था कि एक बार इकनॉमी क्लास का भी राउण्ड लगा आऊं पर दोनो क्लास के बीच में पतली सी चेन थी. मैं जैसे ही वहां जाकर खड़ी हुई तुरंत एयरहोस्टेज आकर पास खड़ी होकर पूछने लगी कि मुझे मदद चाहिए। मैं आकर अपनी सीट पर बैठ गई। लॉरेंस एकदम परेशान होकर पूछने लगा कि मुझे क्या तकलीफ है? उसे मेरे चेहरे पर मुस्कान न देख कर चिंता हो जाती है। प्लेन जैसे ही उड़ान भरने लगा, मैंने डर से उसकी बांह पकड़ ली। उसने मुस्कुरा कर मेरी ओर देखा और कहा कि कुछ नहीं होगा मैं हूं न। मैंने उसका हाथ छोड़ दिया, उसके साथ दो घण्टे तो पलक झपकते ही बीत गये। एक बजे रात हम होटल में पहुँच गये। रूम पहले से बुक था। रिसेप्शन पर लॉरेंस ने पूछा,’’तुम्हें अलग रूम तो नहीं चाहिये।’’ मैं बोली,’’नहीं मुझे अकेले डर लगता है। आपके साथ ही रहूंगी’’ चाबी लेकर हम रूम में पहुंचे। साथ ही हमारा सामान पहुँच गया। कमरे का इंटीरियर देखने लायक था, डबल बैड, बड़ा सोफा भी था। जिस पर मैं आराम से सो सकती थी। और लॉरेंस से कैसा डर! उस जैसा संयमी पुरूष तो दुनिया में हो ही नहीं सकता। लॉरेंस ने डिनर के लिये पूछा, मैंने मना कर दिया क्योंकि फ्लाइट में खा तो रक्खा था। उसकी मेरा इस तरह ख्याल रखने की भावना ने मेरा मन मोह लिया था। हर वक्त मेरे लिए कुछ करके उसे खुशी मिलती है। उसने बैड की ओर इशारा करके कहाकि मैं चेंज करके आता हूँ। तुम रैस्ट कर लो। चाहे तुम पहले चली जाओ। मैं बोली,’’आप ही जाइये न।’’ बाथरूम का दरवाजा बंद होते ही, मैं उस झकाझक सफेद चादर वाले बैड पर लेटी, वो तो इतना मुलायम कि मैं तो उसमें धंस गई। मैं उस पर खूब उछली, अलटी पलटी और टी. वी पर म्युजिक चैनल चला कर, धुन के साथ मुलायम गद्दे पर खूब झूमी। लॉरेंस बाथरूम में पता नहीं कितना लम्बा चेंज कर रहा था। मैं भी उछल कूद मचा कर शांत होकर लेटी हुई टी. वी. देखने लगी।
क्रमशः

Friday, 2 August 2019

सारे संसार का प्यार मैंने तुझी में पाया, उसने तो प्यार किया है न! Usney Toh Pyar Kiya Hai Na!! Part 6 नीलम भागी


आखिर कहाँ गई होगी? बता कर जाती तो हम रोक थोड़ी ही लेते, बस जरा मन को तसल्ली हो जाती, बड़ी बहन की तरह कुछ समझा ही देती। फिर मन को समझाया कि शुक्र है  ये तो बता गई की रात में नहीं आयेगी, सोमवार हमारे ऑफिस जाने से पहले आ जायेगी। सण्डे को दोपहर में नमन और बच्चे सो गये तो मैं पहली बार काजल के कमरे में गई। कहीं कुछ छिपाया नहीं था। मेरे दिये कपड़े घर में पहनती थी। बाकि जो कुछ रक्खा था, सब कुछ उसके पास कीमती मसलन कपड़े, परफ्यूम, मेकअप का सामान आदि था। बाथरूम में तरह तरह के शैंपू, बॉडी लोशन, शावर जैल आदि सजे हुए थे। ये सब देख मेरा तो सर घूमने लगा। ये विश्व के नामी ब्राण्ड की इसको जानकारी कहाँ से मिल रही है! कौन इसका खर्च उठा रहा है? खैर जो होगा, सामने आ जायेगा। हमारी गृहस्ती की व्यवस्था में कोई फर्क नहीं आ रहा था, सब कुछ ठीक चल रहा था। किसी और देश की मेड होती तो मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। ये अपनी लगती  थी शायद इसलिये मैं भय खा रही थी। यहाँ ये बाते आम थीं किसी की व्यक्तिगत जिंदगी में आप दख़लादांजी नहीं कर सकते। मैंने सोचा कि जब ये आयेगी तो इससे बात करके देखूंगी। फिर स्वयं ही जबाब आ गया कि जो इस पर इतना खर्च कर रहा है ये मेरे आगे डॉलर रख कर उसके पास रहने न चल दे। इसे गहरा प्रेम रोग लग गया है, इस रोग के कारण यह अब किसी की भी नहीं सुनेगी, बिल्कुल ये किसी की भी नहीं सुनेगी। जो होगा देखा जायेगा। ये सोच कर मुझे तसल्ली थी कि कम से कम आँखों के सामने तो है। दरवाजा बंद करने से पहले मेरी नजर इसके बिस्तर पर तकिये के नीचे से झांकती एक कापी पर पड़ी। मैंने उस कापी को इस कदर झपटा, जैसे कोई मुझसे पहले न उठा ले। तुरंत उसके बैड पर बैठ कर उसे पढ़ने लगी। आचार चटनियों की मेरी माँ की बताई विधियों के बाद, ये कॉपी को अपनी सहेली मान कर उस पर अपने दिल की बाते ऐसे लिख रही थी, मानों किसी से कह रही थी।  कभी पूछ रही थी ’’क्या मैं सचमुच इतनी सुन्दर हूँ! वो मेरी हर तस्वीर पर कमेंट लिखता है चारमिंग, क्यूट, स्वीट,............मेरी जिंदगी का तो अब एक ह़ी मकसद रह गया है अपनी फोटो पोस्ट करना और उसके कमेंट का इंतजार करना और अपने को खूबसूरत समझना. लॉरेंस ने मुझे लंच पर बुलाया था। उस दिन मै पूरी रात नहीं सोई थी। खूब अच्छे से तैयार होकर, मै सुबह मैरीना बे पर घूमती रही। लंच के समय उसके बताए रैस्टोरैंट में पहुँच गई थी, मैं बहुत नर्वस थी। कभी अकेले रैस्टोरैंट में गई नहीं और आज गई भी तो जीवन में पहली बार, विदेशी रैस्टोरैंट, विदेश में और वो भी विदेशी सोशल मीडिया मित्र के निमंत्रण पर। पता नहीं वो मन में मेरे बारे में क्या सोचता होगा कि मैं क्या हूँ ? क्या काम करती हूँ? धीरे धीरे मैंने डर पर जीत हासिल कर ली क्योंकि मेरी सोच बदलने लगी थी। मैं सोचने लगी कि मेरे बनाये खाने की हमेशा तारीफ होती है यानि मैं अच्छी कुक हूँ। इण्डिया में मेरा अपना फ्लैट है। अब मेरी टाँगों का कम्पन रूक गया और मेरी नजरें वहाँ लॉरेंस को ढूंढने लगी। इतने में पीछे से किसी ने मेरे कान में फुसफुसा कर अंग्रेजी लहजे में, काजल कहा और सामने आकर अपना हाथ अभिवादन के लिये आगे बढ़ाया, मैंने भी अपना हाथ, उसके हाथ में दे दिया। अंदर हमारे लिये टेबल रिर्जव थी। उसने मेरे समय पर पहुँचने का धन्यवाद किया। हम आमने सामने बैठे। उसने मेरे आगे मैन्यु रक्खा। मैंने उसे कहा कि मैं सब उसकी पसंद का लूंगी। उसने सब नानवेज आर्डर किया। दीदी का परिवार तो शाकाहारी है। इण्डिया में मैं अपने घर में मांस मछली खाती थी। अब आज खा रही थी। उसने मुझसे मेरे शौक पूछे तो मैंने बताया कूकिंग। सुनते ही लॉरेन्स ने सिंगापुर की पाक प्रणाली पर चर्चा शुरू कर दी। इनके पकवानों में चाइनीज, मलय और भारतीय तीनों संस्कृतियों का प्रभाव देखा जा सकता है। कुछ पकवानों पर एशियाई और पश्चिम का असर है। यहाँ हर बजट पर फिट बैठने का खाना है। बहुसंस्कृतियों के कारण यहाँ खाने की बहुत वैरायटी है। लॉरेंस ने बताया कि उसे खाने का बहुत शौक है। चार कोर्स में लंच किया। फिर उसने मुझसे पूछा कि कहीं घूमने चलना है या पिक्चर देखनी है। अब घूमने में मैं भला क्या बताती? अब तक मुझे तो केवल मैरीना बे और लिटिल इण्डिया ही पता था वो भी मेट लोगो से क्योंकि सण्डे ऑफ पर उन लोगों के साथ वहीं पर ही गई थी। उन्होंने भी अपनी जिन पहचान वालियों से मिलवाया था वे सब बाइयाँ ही थी। मुझे देखकर सब ने कहा था कि पता नहीं क्यूं मैं सबसे अलग लगती हूँ। इसका कारण भी उन्होंने बताया कि क्योंकि मेरे घर में कोई हरवक्त टाँय टाँय करने वाली बुढ़िया नहीं रहती है। सर मैडम सुबह जाते हैं, रात में आते हैं। पूरा दिन मैं अपनी मर्जी से रहती हूँ। चायनीज परिवारों में रहने वाली मेट तो काम करने की मशीन बन जाती हैं। क्योंकि उनका संयुक्त परिवार होता है। वहाँ तो ड्यूटी आर्वस में मोबाइल भी नहीं देख सकते। मुझे कइयों ने कहा कि जब मैं ये काम छोड़ूंगी तो उन्हें लगवा देना। मैं ख्यालों में खो गई थी और लॉरेंस जवाब के लिए मेरा मुहं ताक रहा था. ये सोच कर मैंने बोल दिया कि इण्डियन सिनेमा। लॉरेंस सुनते ही खुश होकर बोला,’’उसे भारतीय सिनेमा पसंद है। पर स्टोरी में नाच गाना हैरान करता है।’’मैंने सोचा कि हॉल में अंधेरे में ये कोई हरकत करेगा। अंग्रेजी के टाइटल वाली फिल्म थी उसने पूरे ध्यान से फिल्म देखी। कोई ओछी हरकत नहीं की। वो तो पूरा मर्यादा पुरूषोतम  है। ऐसा मुझे विश्वास हो गया। अब मैं उसे बहुत मिस करती हूँ, जब वह बुलाता दौड़ी चली जाती हूँ उसकी पढ़ी लिखी बातें मुझे बहुत प्रभावित करतीं हैं। मेरा कूकिंग का शौक जान कर वह चायनीज और मलय स्टालों में पकवानों का बनाया जाना मुझे दिखाता। उसके साथ ही मुझे पता चला कि यहाँ कि यातायात व्यवस्था बहुत उत्तम है। दीदी भइया हमेशा मुझे गाड़ी से ही ले जाते हैं। वह खाने की बातें करता। जुलाई का महीना था सिंगापुर फूड फैस्टिवल का आयोजन वहाँ की सरकार ने किया। वह खूब खाना ऑडर करता। उसके बारे में बताता रहता, मैं स्वाद और प्रैजैटेशन देखती और उसकी तस्वीर लेती हूँ। जो वह बोलता ध्यान से सुनती हूँ। उसका कहना था कि यहाँ सिंगापुर पोर्ट का एक अनुकूल रूट पर होना भी यहाँ खाने की वैराइटी में मददगार हो रहा है। हम दोनो छक कर खाते। बचा हुआ खाना वह पैक करवा लेता। पहली बार उसने मुझसे पूछा कि मैं खाना ले जाउँगी क्या? मैंने मना कर दिया। वो इसलिये कि रखना तो फ्रिज में ही पड़ेगा। नॉनवेज देखकर दीदी गुस्सा न करें इसलिये भी। जब भी जाती वो नई जगह ले जाता। बॉटानिकल र्गाडन, राष्ट्रीय स्मारक रेफलस होटल, र्गाडन बाई दा बे आदि। बाकि बचा सिंगापुर हम चाइनीज न्यूइयर पर देखेंगे। बच्चे छोटे थे दीदी मायके ससुराल देश के सिवाय कहीं नहीं गई। इस चाइनीज न्यूइयर पर हाँग काँग मकाउ जा रहीं हैं। मुझसे चलने को कह रहीं थीं। मैंने मना कर दिया। उन दिनों हम दिन भर घूमेंगे। मेरे लिये तो लॉरेंस का साथ ही दुनिया की सैर है। इस ऑफ पर उसने मुझे सरप्राइज़ आउटिंग के लिये जाने के लिये पूछा, मैंने हाँ कर दी। इतने कपड़े खरीदे कुछ पूछो मत। उसको मुझे तरह तरह की पोशाक में देखना पसंद है। देखो कहाँ जाते हैं! मैंने लॉरेंस से साफ कह दिया जहाँ मरजी ले जाओ पर मण्डे सुबह मुझे यहाँ होना है। उसने कहा ,’’ठीक है।’’ और साथ ही बाली की रिर्टन टिकट दिखा दी। कितना भला इनसान है, मैं टैंशन में न रहूँ इसलिये सस्पैंस भी खत्म कर दिया। अब बाली जाने तैयारी करती हूँ। मैने जैसें उसकी कापी रक्खी थी, वैसे ही रख दी और बाहर आकर सोच में डूब गई। पंद्रह दिन बाद चाइनीज  न्यू इयर है। मुझे आजतक इनका सिस्टम समझ नहीं आया दो दिन की छुट्टी होती है और वीकएंड साथ में जुड़ जाता है। या तो सोम मंगल को होता है। या वृहस्पति शुक्र को। वीकएंड मिला कर चार दिन का त्यौहार हो जाता है। कितना गहरा दिल लगा बैठी है ये लड़की कि सोना समर पर जान देने वाली को हाँग काँग मकाउ का लालच भी लॉरेंस के बिना बेकार लग रहा था। चलो मुझे ये पता चल गया कि यह कहाँ गई है और हाँग काँग न जाने का कारण भी। अब मुझे बेसब्री से इसके लौटने का इंतजार था।  
क्रमशः