मैं सोमवार को
अपने समय से दो घण्टे पहले ही सोकर उठ गई। इस भय से कि अगर ये न आई तो! काजल के
एरिया में देखा, अभी वह नहीं आई
थी। जैसे ही मैं कॉफी बनाने लगी, दरवाजा खुला
सामान से लदी, ये अंदर आई। मुझे
किचन में देख लगेज वहीं छोड़कर, बोली,’’ दीदी आप क्यों करने लगी? आप बैठिये’’ और तुरंत कॉफी
बनाने में लग गई। मेरे मुँह से एकदम निकला,’’तूं भी तो थकी आई है। थोड़ा आराम कर ले। मेरी नींद जल्दी खुल
गई, दोबारा सोती न रह जाउं
इसलिये कॉफी पीने की सोचने लगी।’’ ये कह कर मैं
डाइनिंग टेबल की चेयर पर बैठी, निगाहें मेरी
उसके सामान पर गड़ी थीं। वह बोली,’’ समर के जाने के
बाद मैं रैस्ट कर लूंगी’’ और तुरंत काम में
लग गई। मुझे तो उसकी आवाज में, चाल में खुशी
छलकती नजर आ रही थी। इसके सामान पर बिजनेस
क्लास के बाली के कार्ड लगे थे। मैं अभी उस हवाई यात्रा के र्काड को घूर ही रही थी
कि वो मेरे लिये कॉफी भी ले आई। मैं कॉफी ले कर अपने रूम में चली गई। मैंने सोच ही
रक्खा था। अब जो घट रहा था उसे देखने के अलावा, मेरे पास कोई चारा ही नहीं था। मन ही मन मैं उसके लिये प्रार्थना
भी करती रही कि भगवान इस भली लड़की का, भला ही करना। क्या पता इस हिरनी जैसी आँखों वाली, काले घने लंबे बालों वाली, हमारी काजल किसी के दिल में बस गई हो! बाल भी सीधे
और कलर करवा आई थी। जिसे ढीले से क्लिप से बांध रक्खा था। सब कुछ वैसा ही चला। रात
आठ बजे डयूटी खत्म होते ही वो एकदम अपने एरिया में चली गई, कुछ देर बाद जब वो तैयार होकर निकली तो मैं देखती रह गई ।
शॉर्ट, स्लीवलैस टॉप और खुले बाल
पर्स लिये महकती हुई निकली। शू रैक यहाँ बाहर रहता है। इसलिये इसके फुटवियर मैं
नहीं देख पाई। उसके जाते ही मैंने सोच लिया कि एग्रीमेंट पूरा होते ही इसका
इण्डिया का टिकट कटवा दूंगी, साथ ही हिसाब कर
दूंगी। कोई ऊंच नीच हो गई तो झुग्गियों का हुजूम आकर वहाँ माँ का जीना हराम कर
देगा। उसके जाने के बाद मुझे नींद नहीं आई। दो घण्टे बाद वो आ गई। दिल्ली से छोटा
तो सिंगापुर है और हमारा घर सेन्ट्रल प्लेस में है जिस कोने से भी आओ समय कम लगता
है। अब मैं चैन से सोई। बाली से लौटी काजल के बदले रंग ढंग से मुझे एक ही चिंता
खाये जा रही थी कि जरूर कुछ घटा है। ये नादान प्रैगनैंट न हो जाये। क्या करूँ?
असलियत जानने के लिये बस एक उसकी कॉपी का सहारा
है। रात को दो घण्टे के लिये जाती है। अगर उस समय मैं चैकिंग कर रही हूँ और ये
तुरंत आ जाये तो। इश्क के तेज बुखार में डूबी लड़की, कुछ पलट के जवाब न दे दे। ये डर मुझे सताता था। इस समय तो
अपनी इज्जत अपने हाथ में है। उससे ज्यादा मुझे नमन की तरफ से परेशानी थी कि उसने
मुझे चोरी से उसकी डायरी पढ़ते देख लिया तो वो मेरे बारे में क्या सोचेगा? हमारे घर में तमीज़ पर बहुत ध्यान दिया जाता है।
किसी की डायरी पढ़ना बद्तमीजी होती है। मैं उसकी नज़रों में बद्तमीज दिखना नहीं
चाहती थी। अब तो इसके ऑफ का इंतजार था। जिस दिन उसका ऑफ था। उस सण्डे मैं जल्दी उठ
गई। नाश्ता बना कर, सबके उठते ही
मैंने उन्हे खिला पिला कर नमन से कहाकि बच्चों को खेलने ले जाओ और स्वीमिंग करवा
कर ही लेकर आना, तब तक मै घर के
काम खत्म कर लूंगी। सब चले गये और सब के जाते ही मैं काजल के रूम में गई। कॉपी
वैसे ही रक्खी थी। शायद काजल को भी यकीन था कि इस एरिया में कोई नहीं आता। जल्दी
से पेज खोला, रोज की घटनाएं
नहीं थी। बाली से लौट कर उसने अपनी डायरी सखी को बताया था कि दिल्ली से सिंगापुर
के साढ़े पाँच घण्टे इकोनामी क्लास के, सफर में कितना कष्ट है। मुश्किल से समय कटता है। सीट में टाँगे मोड़ने की जगह
भी नहीं होती है। बिजनेस क्लास का सफर लॉरेंस के साथ कितना आरामदायक वाह वाह। उम्र
में बड़ा है तो क्या कितना नेक इनसान है जितना समय इसके साथ बीतेगा, जिंदगी अच्छे से कटेगी। मेरा मन था कि एक बार
इकनॉमी क्लास का भी राउण्ड लगा आऊं पर दोनो क्लास के बीच में पतली सी चेन थी. मैं
जैसे ही वहां जाकर खड़ी हुई तुरंत एयरहोस्टेज आकर पास खड़ी होकर पूछने लगी कि मुझे
मदद चाहिए। मैं आकर अपनी सीट पर बैठ गई। लॉरेंस एकदम परेशान होकर पूछने लगा कि
मुझे क्या तकलीफ है? उसे मेरे चेहरे
पर मुस्कान न देख कर चिंता हो जाती है। प्लेन जैसे ही उड़ान भरने लगा, मैंने डर से उसकी बांह पकड़ ली। उसने मुस्कुरा
कर मेरी ओर देखा और कहा कि कुछ नहीं होगा मैं हूं न। मैंने उसका हाथ छोड़ दिया,
उसके साथ दो घण्टे तो पलक झपकते ही बीत गये। एक
बजे रात हम होटल में पहुँच गये। रूम पहले से बुक था। रिसेप्शन पर लॉरेंस ने पूछा,’’तुम्हें अलग रूम तो नहीं चाहिये।’’ मैं बोली,’’नहीं मुझे अकेले डर लगता है। आपके साथ ही रहूंगी’’ चाबी लेकर हम रूम में पहुंचे। साथ ही हमारा
सामान पहुँच गया। कमरे का इंटीरियर देखने लायक था, डबल बैड, बड़ा सोफा भी था।
जिस पर मैं आराम से सो सकती थी। और लॉरेंस से कैसा डर! उस जैसा संयमी पुरूष तो
दुनिया में हो ही नहीं सकता। लॉरेंस ने डिनर के लिये पूछा, मैंने मना कर दिया क्योंकि फ्लाइट में खा तो रक्खा था। उसकी
मेरा इस तरह ख्याल रखने की भावना ने मेरा मन मोह लिया था। हर वक्त मेरे लिए कुछ
करके उसे खुशी मिलती है। उसने बैड की ओर इशारा करके कहाकि मैं चेंज करके आता हूँ।
तुम रैस्ट कर लो। चाहे तुम पहले चली जाओ। मैं बोली,’’आप ही जाइये न।’’ बाथरूम का दरवाजा बंद होते ही, मैं उस झकाझक
सफेद चादर वाले बैड पर लेटी, वो तो इतना
मुलायम कि मैं तो उसमें धंस गई। मैं उस पर खूब उछली, अलटी पलटी और टी. वी पर म्युजिक चैनल चला कर, धुन के साथ मुलायम गद्दे पर खूब झूमी। लॉरेंस
बाथरूम में पता नहीं कितना लम्बा चेंज कर रहा था। मैं भी उछल कूद मचा कर शांत होकर
लेटी हुई टी. वी. देखने लगी।
क्रमशः
2 comments:
नीलम जी कहानी बड़े सुंदर ढंग से बढ़ रही है लेकिन सच्चाई के पास है
धन्यवाद
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