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Sunday, 29 September 2019

जीने के लिए, ऐसे सोचा ही नहीं विदेश को जानो, भारत को समझो घरोंदा Videsh Ko Jano, Bharat Ko Samjho GHARONDA Part 8 नीलम भागी


    सुबह विला में सन्नाटा छाया हुआ था। बिल्लियां भी चुपचाप घूम रहीं थीं। उत्कर्षिनी भी कह कर सोई थी कि उसे जगाना नहीं है। अकेली मैं ही बाहर फर्श से बेर सीख वाले झाड़ू से समेट कर डस्टबिन में डाल रही थी। मैं ये काम गाते गुनगुनाते कर रही थी। इण्डिया में होती तो बाई से करवाती। मेरी बाई अगर न आती तो दूसरी बाइयां खोजने में समय लगाती। खुद बहुत ही मजबूरी में झाडू लगाती। लेकिन रात की कात्या मूले ने तो मेरी सोच ही बदल दी। दस बजे के करीब कात्या मूले भी गाती हुई आई और अपनी बिल्लियों को खाना देने लगी। मुझे देखते ही बोली अभी आपको फुज़ैरा के लिए निकलना है। जाने के लिए बेटी तैयार होकर आ गई। मुझे भी बोला माँ जल्दी तैयार हो जाओ। बेटी और कात्या मूले बतियाने बैठ गई। मै साड़ी पहन कर आ गई। कात्या मूले ने मेरे इतनी जल्दी साड़ी में तैयार होकर आने पर ताली बजाई। बेटी बोली सूट पहन कर आओ। वहाँ हवा बहुत तेज चलती है। बीच पर आपकी साड़ी ऊँची ऊँची उड़ेगी। मैंने कहा बाहर के लिए तूने मुझे एक भी सलवार कमीज नहीं लाने दिया कि आप वहाँ मेरे साथ साड़ी में ही जाओगी। वो बोली मेरा र्कुता और चूड़ीदार पहन कर आओ, मैं पहन आई। गाड़ी र्स्टाट करते ही मैंने पूछा कि कात्या मूले हमारे साथ नहीं जायेगी। बेटी बोली,” माँ यहाँ कोई किसी की प्राइवेसी में खलल नहीं डालता।अंधेरा पड़ने पर हम लौटे। देखते ही कहीं जाने को तैयार, कात्या मूले ने मुझसे पूछा,” माई डियर तुमने आज दाल खाई? मैंने कहा,” डिनर में लूंगी।फिर उसने मुझसे वायदा लिया कि मैं एक घण्टा वॉक जरूर करूं। मैंने हामी भर दी। वो पार्टी के लिये चल दी। बेटी ड्राइविंग से थकी हुई थी, खाना लगा कर  उसे जगाया वो खाकर सो गई। मैं एक घण्टा सैर करके सोई। कात्या मूले रात में पता नहीं कब आई। सुबह कल जैसी ही थी। बेटी ने लंच के लिए बाहर ले जाना था और हमने पिक्चर देखनी थी। शाम को हम लौटे तो लॉन में कात्या मूले बैठी थी. उसका वीकएंड उतार पर था। मुझे देखते ही पूछा,” दाल खायी?” मैंने झूठ बोल दिया,” हाँ।मैंने बेटी से कहा था कि मेरी माँ, जाते  ही दाल का पूछेगी तूं दाल मंगा ले। बेटी बोली,” मैं यहाँ आपको दाल खिलाने नहीं लाई हूं। उसके खाने में नानवेज जरूर होता है। आप खाती नहीं हो। दाल में प्रोटीन होता है और खाने में प्रोटीन जरूरी होता है। आप से बहुत स्नेह करती है इसलिये आप का बहुत ध्यान रखती है। जब रैजीडेंशियल और कर्मशियल के चक्कर में एथॉरिटी ने आपका स्कूल बंद करवाया तो मैं बहुत खुश हुई थी। पच्चीस साल आपके झुग्गी झोंपड़ी के अनपढ माँ बाप के बच्चों को अक्षर ज्ञान कराते बीत गए। न कहीं आना हुआ न जाना, इतनी व्यस्त रही। मुझे अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। मैं भगवान का शुक्र करती हूं कि स्कूल बंद हुआ। अब मैं आपके लिये कुछ कर तो सकूंगी। लेकिन आपने स्कूल का बंद होना दिल पर लगा लिया और ठीक से खाना सोना नहीं करतीं थी। घर से फोन आने पर मुझे पता चला। मैंने कात्या मूले को बताया। उसने कहा कि माँ को यहाँ बुला लो। उनका  काम भी बंद हो गया है, जिसकी उन्हें आदत हो गई थी और तुम भी तो नहीं हो पास में, वो खाली क्या करें? तुम्हे अच्छे से सैटल देख कर उन्हें अपनी मेहनत सफल लगेगी। मैंने कहा कि मैं खुद लेकर आउंगी माँ को। इण्डिया आते ही मैं आपको डॉक्टर के ले कर गई। उसने कहा कि एक घण्टा सैर करें और व्यस्त रहें। मैंने कात्या मूले  को फोन किया उसने कहा कि हम दोनो ध्यान रखेंगे और उन्हें ठीक कर देंगे बस तुम माँ को ले आओ। क्रमशः

2 comments:

डॉ शोभा भारद्वाज said...

अबकी बार इंतजार के बाद आठवां भाग पढने को मिला अति सुंदर

Neelam Bhagi said...

धन्यवाद