सुबह विला में
सन्नाटा छाया हुआ था। बिल्लियां भी चुपचाप घूम रहीं थीं। उत्कर्षिनी भी कह कर सोई थी कि
उसे जगाना नहीं है। अकेली मैं ही बाहर फर्श से बेर सीख वाले झाड़ू से समेट कर
डस्टबिन में डाल रही थी। मैं ये काम गाते गुनगुनाते कर रही थी। इण्डिया में होती
तो बाई से करवाती। मेरी बाई अगर न आती तो दूसरी बाइयां खोजने में समय लगाती। खुद बहुत ही मजबूरी में झाडू लगाती। लेकिन रात की कात्या मूले ने तो मेरी सोच ही बदल दी।
दस बजे के करीब कात्या मूले भी गाती हुई आई और अपनी बिल्लियों को खाना देने लगी।
मुझे देखते ही बोली अभी आपको फुज़ैरा के लिए निकलना है। जाने के लिए बेटी तैयार
होकर आ गई। मुझे भी बोला माँ जल्दी तैयार हो जाओ। बेटी और कात्या मूले बतियाने बैठ
गई। मै साड़ी पहन कर आ गई। कात्या मूले ने मेरे इतनी जल्दी साड़ी में तैयार होकर आने
पर ताली बजाई। बेटी बोली सूट पहन कर आओ। वहाँ हवा बहुत तेज चलती है। बीच पर आपकी
साड़ी ऊँची ऊँची उड़ेगी। मैंने कहा बाहर के लिए तूने मुझे एक भी सलवार कमीज नहीं
लाने दिया कि आप वहाँ मेरे साथ साड़ी में ही जाओगी। वो बोली मेरा र्कुता और चूड़ीदार
पहन कर आओ, मैं पहन आई। गाड़ी र्स्टाट
करते ही मैंने पूछा कि कात्या मूले हमारे साथ नहीं जायेगी। बेटी बोली,” माँ यहाँ कोई किसी की प्राइवेसी में खलल नहीं
डालता।“ अंधेरा पड़ने पर हम लौटे। देखते ही कहीं जाने को तैयार, कात्या मूले
ने मुझसे पूछा,” माई डियर तुमने आज दाल
खाई? मैंने कहा,” डिनर में लूंगी।“ फिर उसने मुझसे वायदा लिया कि मैं एक घण्टा वॉक
जरूर करूं। मैंने हामी भर दी। वो पार्टी के लिये चल दी। बेटी ड्राइविंग से थकी हुई
थी, खाना लगा कर उसे जगाया वो खाकर सो गई।
मैं एक घण्टा सैर करके सोई। कात्या मूले रात में पता नहीं कब आई। सुबह कल जैसी ही
थी। बेटी ने लंच के लिए बाहर ले जाना था और हमने पिक्चर देखनी थी। शाम को हम लौटे
तो लॉन में कात्या मूले बैठी थी. उसका वीकएंड उतार पर था। मुझे देखते ही पूछा,” दाल खायी?” मैंने झूठ बोल
दिया,” हाँ।“ मैंने बेटी से
कहा था कि मेरी माँ, जाते ही दाल का पूछेगी
तूं दाल मंगा ले। बेटी बोली,” मैं यहाँ आपको
दाल खिलाने नहीं लाई हूं। उसके खाने में नानवेज जरूर होता है। आप खाती नहीं हो।
दाल में प्रोटीन होता है और खाने में प्रोटीन जरूरी होता है। आप से बहुत स्नेह
करती है इसलिये आप का बहुत ध्यान रखती है। जब रैजीडेंशियल और कर्मशियल के चक्कर
में एथॉरिटी ने आपका स्कूल बंद करवाया तो मैं बहुत खुश हुई थी। पच्चीस साल आपके
झुग्गी झोंपड़ी के अनपढ माँ बाप के बच्चों को अक्षर ज्ञान कराते बीत गए। न कहीं आना
हुआ न जाना, इतनी व्यस्त रही। मुझे अपने पैरों पर खड़ा कर दिया। मैं भगवान का शुक्र
करती हूं कि स्कूल बंद हुआ। अब मैं आपके लिये कुछ कर तो सकूंगी। लेकिन आपने स्कूल
का बंद होना दिल पर लगा लिया और ठीक से खाना सोना नहीं करतीं थी। घर से फोन आने पर
मुझे पता चला। मैंने कात्या मूले को बताया। उसने कहा कि माँ को यहाँ बुला लो।
उनका काम भी बंद हो गया है, जिसकी उन्हें आदत हो गई थी और तुम भी तो नहीं हो पास में, वो खाली क्या
करें? तुम्हे अच्छे से सैटल देख
कर उन्हें अपनी मेहनत सफल लगेगी। मैंने कहा कि मैं खुद लेकर आउंगी माँ को। इण्डिया
आते ही मैं आपको डॉक्टर के ले कर गई। उसने कहा कि एक घण्टा सैर करें और व्यस्त
रहें। मैंने कात्या मूले को फोन किया उसने
कहा कि हम दोनो ध्यान रखेंगे और उन्हें ठीक कर देंगे बस तुम माँ को ले आओ। क्रमशः
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Sunday, 29 September 2019
Monday, 23 September 2019
उसने मुझे, रिश्ते नये समझाए, विदेश को जानो, भारत को समझो घरोंदा Videsh Ko Jano, Bharat Ko Samjho GHARONDA Part 7 नीलम भागी
उसने मुझे सिगरेट
ऑफर की| मैंने कहा,”धन्यवाद, मैं नहीं पीती|” वह फिर हैरान हुई| अब उसने मुझसे पूछा
कि वह सिगरेट पी ले तो मुझे बुरा तो नहीं लगेगा। मैंने कहा,”नही|” तो उसने सिगरेट
सुलगा ली। पहले उसने लंबे लंबे कश लिये फिर माँ की किसी बिमारी का नाम लिया कि
उसने यहाँ किसी डॉक्टर को दिखा कर, इलाज़ करवा कर माँ को भेजा है। डॉक्टर ने उनकी सिगरेट बिल्कुल बंद कर दी
है। वाइन की भी कम मात्रा कभी कभी ले सकती हैं। बहन कह रही है कि मैंने डॉक्टर से
क्यों नहीं कहा कि फलां फलां व्यंजन जो माँ को पसन्द हैं वो तो वाइन के साथ ही
खाये जाते है। मैंने पूछा कि माँ क्या बहन के साथ रहती है? वो बोली नहीं। उससे पता चला
कि जर्मनी के एक ही शहर में दोनो अलग अलग रहती हैं। सुनकर मुझे बहुत हैरानी हुई।
फिर मैंने एक गवार प्रश्न दागा कि बहन शादी शुदा है? वह बोली नहीं, अब मैं और ज्यादा हैरान हुई। उसने बताया कि बहन
माँ का बहुत ध्यान रखती है। अगर कभी माँ बीमार हो तो उसे जैसे ही पता लगता है,
वह हॉस्पिटल फोन कर देती है। गाड़ी माँ को ले
जाती है। विजिटिंग आर्वस में वह गैट वैल सून का र्काड और बुके ले जाकर, माँ को मिल कर आती है। अब उसने मोबाइल पर फैमली
फोटोग्राफ निकाल कर मुझे दिखाये। उसकी माँ से तो मैं मिल चुकी थी। पर उसने परिचय
फिर से करवाया। ये मेरी मम्मी हैं, ये मेरे फादर
हैं। ये मेरी माँ के ब्वॉय फ्रेंड हैं। वो बड़े गर्व से बोली कि मेरे फादर बहुत
अच्छे इन्सान हैं। जब माँ की लाइफ में उनका ये ब्वॉय फ्रेंड आया तो मेरे पिता ने
मेरी माँ की इच्छा का सम्मान करते हुए माँ को डिर्वोस दे दिया। लेकिन उनके ब्वॉय फ्रेंड
ने उनकी माँ के साथ अच्छा नहीं किया। अब
वह अपनी माँ के लिए दुखी होकर बताने लगी कि उनके ब्वॉय फ्रेंड ने अपनी वाइफ को
डिर्वोस नहीं दिया। एक हैण्डसम आदमी की तस्वीर
दिखा कर कहा कि ये मम्मी को पसंद करते थे| काफी इंतजार के बाद माँ ने फिर
इनसे शादी कर ली, ये मेरे दूसरे
पिता हैं। फिर मेरी बहन का जन्म हुआ। ये मेरी हाफ़ सिस्टर है| हमारी बहुत अच्छी खुश
फैमली थी। फिर माँ के बॉय फ्रैण्ड का डिर्वोस हो गया। आखिर मम्मी को उनका प्यार
मिल गया। अब हम अपने इस फादर के साथ रहने आ गये। फादर डे पर मैं तीनो पिताओं को
र्काड भेजती हूँ। यदि जर्मनी में होती हूं
तो उन्हें खाने पर ले जाती हूं। मैं सोच ही रही थी कि आज तो मैं श्रोता हूँ। अब तो
गुड नाइट होने वाली है और गुड नाइट हो गई। दोनों अपने अपने घर आ गई। बेटी आज भी कल
की तरह ही मिली। आते ही उसने पूरा वार्तालाप सुनकर कहा कि अब ये जब आपको अगली बार
मिलेगी तो इसी टॉपिक को आगे कन्टीन्यू रखेगी।
अगले दिन वृहस्पतिवार था। यहाँ शुक्रवार और शनिवार की
छुट्टी होती है| शाम को वो काम से लौटी, वह बड़ी फुर्ती में थी। मुझे आवाज़ लगाई,” नीलम अपना लॉण्ड्री बैग ले आओ।“ मैं
दो लोगो का एक सप्ताह के ढेर मैले कपड़ों का लेकर पहुंच गई। मुझे अच्छा नहीं लग रहा था,
चाहे मशीन से धुलाई थी। काम तो करना ही पड़ता
है। मैंने उसे कहा कि मैं तुम्हारी हैल्प करूं। उसने खुशी से मेरा हाथ पकड़ कर चूम
लिया। मेरे कपड़ों के ढेर में अपना ढेर मिला कर बोली इनको अलग कर दो। मैंने सफेद, हल्के रंग के,
गाड़े रंगो के तीन ढेर लगाये उसने मुझे एक जाली
का बैग दिया उसमें मैंने अण्डर गारमेंट डाल कर बैग का मुंह बांध दिया। कात्या मुले
भाग भाग के घर के काम निपटा रही थी। सफेद कपड़े उसने जल्दी से मशीन में डाल कर उसे
चालू किया और मुझसे बोली अपने घर के फुटमैट भी ले आओ। मैं भी उतनी फुर्ती से जाकर
ले आई। उसने कहाकि अब उसे मेरी मदद की जरूरत नहीं है। मैं आ गई। हर राउण्ड में
अपने कपड़े फैला कर मेरे छोड़कर, दरवाजे पर नॉक
करके भाग जाती क्योंकि वह एक सेकेण्ड भी नहीं गवाना चाहती थी। मैं जाकर वहाँ लगे
स्टैण्ड पर अपने कपड़े फैला आती। मुझे पता था कि ऐसा मेरे साथ चार बार और होगा।
बेटी ने आते ही मुझसे दिन भर की रिर्पोट ली। कपड़ों का किस्सा सुन कर वो हंसने लगी
और उसने बताया कि उसके घर आने का कोई निश्चित समय नही है इसलिए वृहस्पतिवार ऑफिस जाने से पहले वह लांड्री बैग
उसके किचन के पिछले दरवाजे रख कर चली जाती है| धुले कपड़े वह तह लगा कर देती है।
आपको वह बिजी रखने के लिये, वो आपको ठीक करने के लिये सहयोग कर रही है। आपसे अपना
कोई काम नहीं करवायेगी। आज रात तक ये अपना पूरे हफ्ते का काम पूरा करके सोयगी| अगर
इसे लगा कि ये नही कर पायेगी तो श्रीलंकन हैल्पर घण्टों के हिसाब से अपनी मदद के
लिये बुला लेगी। लेकिन काम रात में ही करके सोयगी। दो दिन वीकएंड एंजाय करेगी फिर
अगले पाँच दिन गधे की तरह काम करेगी। मैंने भी रात बारह बजे, जब वो अंत में फुटमैट
देकर गई, मैं भी उसे फैला कर ही
सोई। मैं दिन भर घर में रहती हूं इसलिये बाकि काम मुझे करना नहीं था। क्रमशः
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