Search This Blog

Sunday 20 September 2020

लौकी, दूधी, घिया झटपट बनाना और उगाना!! नीलम भागी Bottle Gourd Lauki, doodhi, ghiya mere pasand ban gaye Neelam Bhagi


बी.एड में मेरी सहपाठिन उत्कर्षिणी गर्ल्स हॉस्टल में रहती थी। हॉस्टल में वो अपने घर मवाना गांव की लौकी की सब्जी़ बहुत मिस करती थी और मैं कभी लौकी की सब्जी़ खाती नहीं थी। उत्कर्षिणी के मुंह से लौकी की  सब्जी़ का मनपसन्द होना, मुझे बहुत हैरान करता था। मैं सोचने लगती कि जिसे मैं खाती नहीं वो किसी की मनपसंद डिश कैसे हो सकती है!! वो बताती,’’ उसके गांव में उपले रखने के लिए बिठौले होते हैं, उन पर लौकी की बेले चढ़ी रहती हैं, जिन पर हमेशा लौकियां लटकती रहतीं हैं। जब मैं शनिवार को घर जाती हूं तो मां लौकी, हल्दी, हरी मिर्च और नमक डाल कर चूल्हे पर चढ़ा देती है। चूल्हे में गिनती के उपले लगा कर, अपने घरेलू कामों में लग जाती है। जब मैं घर पहुंचती हूं तो घिया गर्म होती है। मुझे देखते ही मां उसमें ढेर सारा मक्खन और आंगन में लगी धनिया तोड़ कर डालती है और अच्छे से कलछी चला कर मिक्स करती है। मैं तो जाते ही लौकी खाती हूं, रोटी भी नहीं बनाने देती।’’ मैं मन में सोचती बिना छौंक के और वो भी लौकी!! उत्कर्षिणी आगे कहती और यहां हमारा कुक इतने नखरों से छौंक, मसालों से लौकी बनाता है। पर मवाना जैसा स्वाद नहीं आता है। मैंने जब नौएडा में शिफ्ट किया तब हमारे ब्लॉक में बहुत कम लोग थे। रहने वालों ने खाली घरों पर लौकी की बेलें चढ़ा रखी थी। पड़ोसन ने मुझे बेल से तोड़ कर लौकी दी और कहा इसे तुरंत बनाना और इसका स्वाद देखना। मुझे मवाना रैस्पी याद आ गई। मैंने लौकी को छिला, धोकर फिर काटा और सादा छौंक लगा कर कुकर में चढ़ा दिया। जब प्रैशर बन गया तो गैस कम से कम कर दी और सीटी नहीं बजने दी। पांच मिनट बाद गैस बंद कर दी। प्रैशर खत्म करने पर खोला स्वाद अनुसार बारीक कटी हरी मिर्च धनिया डाल कर कलछी चलाई। पानी और टमाटर तो लौकी में डालते नहीं। लाजवाब स्वाद। ताजी़ लौकी ने लौकी को मेरी पसंद बना दिया। लौकी उगाना और इसके तरह तरह के व्यंजन बनाना, मेरा शौक बन गया। 25 से 40 डिग्री तापमान में यह बहुत अच्छी उगती है। कंटेनर में उगाती हूं इसलिये बीज हाइब्रिड लेती हूं। बड़े गमले में 50%मिट्टी, 30% वर्मी कम्पोस्ट 20% रेत और थोड़ी सी नीम की खली मिला कर आधा इंच गहरे बीज बो दिए बीज बो दिये। सात से दस दिन में पौधे निकल जाते हैं।


इन्हें सहारे की और धूप की बहुत जरुरत होती है। 15 दिन बाद गुड़ाई करे और महीने में एक बार खाद डालें। 30 से 35 सेंटी मीटर की बेल होने पर आगे से एक इंच तोड़ दें। जिससे कई उपशाखाएं निकलेंगी। 25 दिन तक उन्हें भी आगे से कट कर दें। एक महीने तक  फूल आने लगते हैं। अब 15 दिन बाद खाद डालें। छोटे फल झड़ने पर नीम के तेल का छिड़काव करें। पौधों की बच्चों की तरह देखभाल करो। बहुत अच्छा लगता है। दो महीने बाद लौकी मिलनी शुरु हो जाती है। ताजी लौकी को कद्दृूृकस कर के नमक मिला कर थोड़ी देर रख कर निचोड़ लों। रस में चाट मसाला नींबू का रस और पौदीना मिला कर जूस पी लो।

जूस निकाली हुई लौकी में बारीक कटी प्याज, हरी मिर्च, धनिया पाउडर, अजवाइन, हींग और बेसन अच्छी मिला कर चख लें अगर नमक कम लगे तब मिलाएं। पतले लोग इसे गोल आकार देकर तल लें पकौड़े की तरह खा लें। चाहे घिया के कोफ्ते की सब्जी़ बना लें। 

मोटे लोग इसी बैटर को तलने की बजाय अप्पम के सांचे मंें लौकी अप्पम, दूधी अप्पम, घिया अप्पम बना कर खायें।         

सूप के लिए घिसी लौकी में नमक डाल कर प्रैशर कूकर में अच्छा प्रैशर आने पर, सीटी मत बजने दो गैस बंद कर दो। जब प्रैशर खत्म हो जाए तो पानी अलग कर लो। घिया के लच्छे फ्रिज में रख दो और जूस की तरह ही सूप में मसाले डाल कर इस्तेमाल करो। अब इन लच्छों का दो तरह से रायता बनाती हूं। 

1. लौकी के लच्छों को फेटे हुए दहीं में डाल कर, उसमें दहीं की मात्रा के अनुसार काला नमक मिला ले, लच्छे नमकीन पहले से हैं। बारीक कटा पौदीना, हरी मिर्च और भूना जीरा पाउडर डाल कर मिला लें। डाइट रायता तैयार।

2. फ्राइ पैन में थोड़ा देसी घी या कोई भी तेल लेकर उसमें सरसों चटका लें और कैंची से काट कर सूखी लाल मिर्च के टुकड़े डाल कर इस पर करी पत्ता डाल कर छौंक तैयार कर लें। लौकी के लच्छों को फेटे हुए दहीं में डाल कर, उसमें दहीं की मात्रा के अनुसार काला नमक मिला ले, लच्छे तो नमकीन हैं। उस पर ये छौंक डाल दें।   

  लौकी चना की दाल अजवाइन और सौंफ के पंजाबी तड़के वाली स्वाद का स्वाद लाजवाब होता है।

किसी भी कंटेनर या गमले में किचन वेस्ट फल, सब्जियों के छिलके, चाय की पत्ती आदि सब भरते जाओ और जब वह आधी से अधिक हो जाए तो एक मिट्टी तैयार करो जिसमें 60% मिट्टी हो और 30% में वर्मी कंपोस्ट, या गोबर की खाद, दो मुट्ठी नीम की खली और थोड़ा सा बाकी रेत मिलाकर उसे  मिक्स कर दो। इस मिट्टी को किचन वेस्ट के ऊपर भर दो और दबा दबा के 6 इंच किचन वेस्ट के ऊपर यह मिट्टी रहनी चाहिए। बीच में गड्ढा करिए छोटा सा 1 इंच का, अगर बीज डालना है तो डालके उसको ढक दो।और यदि पौधे लगानी है तो थोड़ा गहरा गड्ढा करके शाम के समय लगा दो और पानी दे दो।


   


No comments: