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Thursday, 24 September 2020

सेम की फलियां आयरन मैग्नीशियम से भरपूर बेल बहुवर्षीय नीलम भागी Kidney Beans Neelam Bhagi


कुछ बातें मुझे बड़ी देर से समझ आईं। मसलन मैं के.वी. डोगरा लाइनस मेरठ में पढ़ती थी। हमारे साथ पढ़ने वाले ज्यादातर साथी सैनिको के बच्चे थे। सभी कैंट में एलॉट क्वार्टस में रहते थे। सबके घरों में किचन गार्डन था। मुझे नहीं याद कि मेरा कोई साथी ब्रैड,बटर,जैम या सैंडविच लंच में लाता था। सबका दो डब्बे के लंच बॉक्स में एक डब्बा सब्ज़ी का और एक परांठे का होता। सर्दी हो या गर्मी सब घास पर घेरा बना कर खाते थे। जब कोई अपनी सब्जी देख कर बोलता,’’आज भी सेम!! मैं तुरंत उससे अपनी सब्जी का डिब्बा बदल लेती। उस दिन लंच में टॉपिक होता कि जब पापा की साउथ में ट्रांसफर होती है तो वहां सेंजन का पेड़ मिलता है और नॉर्थ में आओ तो सेम की बेल जरुर मिलती है। दो तीन साल में ट्रांसफर होती रहती है किचन गार्डन सबको तैयार मिलता। क्योंकि जो भी परिवार रहने आता है वो किचन गार्डन में बड़े शौक से काम करता है। मेरे घर में बाजार से खरीदी सेम का स्वाद कभी वैसा नहीं होता जैसा मैं स्कूल में खाती थी। अलग राज्य के साथी, सबके बनाने में फर्क होता था इसलिए स्वाद भी अलग पर नमक सबका एक सा होेता था। जब मैं खाना बनाने लगी तो सेम मैंने जैसी खाई वैसी बनाई। सेम ऊपर नीचे से काट कर दोनो तरफ से देखती अगर धागे होते तोे उन्हें हटा देती फिर अच्छी तरह धोकर सूती कपड़े से पोंछ कर आधा इंच से कम टुकड़ों में काट कर, सरसों के तेल में हल्दी, मिर्च और पंचफोरन(सौंफ,कलौंजी, मेथी, जीरा, सरसों) के साथ छौंक देती स्वादानुसार नमक डाल कर अच्छे से मिला कर ढक कर आंच पर रख देती। पकने पर बारीक कटी हरी मिर्च डालकर उतार लेती हंू। 

सेम, आलू, मटर को हींग जीरे से छौंक कर हल्दी, मिर्च, धनिया पाउडर और स्वादानुसार नमक डालकर पकने पर गैस बंद करके गरम मसाला डाल कर ढक दतीे।

सादी सेम की सब्जी में गर्म तेल में जीरा भूनने पर कटा प्याज गोल्डन ब्राउन होने तक भूनती फिर हल्दी मिर्च डाल कऱ सेम डालती और स्वादानुसार नमकडाल कर मिला देती। पकने पर गैस बंद कर सौंफ और धनिया पाउडर डाल कर मिला देती। 

मेरी बनाई सेम परिवार को पसंद पर मुझे वो स्वाद नहीं आता। वो स्वाद तब समझ आया जब मेरी सेम की बेल से मैंने सेम तोड़ कर तुरंत आलू सेम बनाई। वही स्कूल का स्वाद पाया।

इसके लिए मैंने हाइब्रिड सेम के बीज लिए बड़े गमले में 70% मिट्टी 30% वर्मी कम्पोस्ट अच्छी तरह से मिला कर उसमें आधा इंच गहरे बीज बो दिए। सात दिन में अंकूरित हो गए। पच्चीस दिन की होने पर उसे पेड़ पर चढ़ा दिया। नियम से इसमें एक मुट्ठी खाद 15 दिन में डालती और पौष्टिक स्वाद सेम मार्च तक मिलीं और बेल सूखने लगी। 

मेरे सामने के घर में सेम की बेल है। जो घर से बाहर बरसाती नाली में अपने आप उग आई है। उस पर मेरा घ्यान पिछले साल गया। क्या देखती हूं!! दूसरी मंजिल की ग्रिल पर सेम के पत्ते हैं क्योंकि वहां उन्हें धूप मिलती है और पूरे तने पर जमीन से लेकर पहली मंजिल तक तने पर सेम, पत्तों की तरह लगी हुई थी।


मैंने तुरंत फोटो ली। मार्च के बाद बेल गायब हो गई।


आज फिर ध्यान गया तो फोटो ली। नाली से रस्सी जैसा तना दूसरी मंजिल तक गया है। वहां खूब सेम की पत्तियां हैं।

अक्टूबर नवम्बर में फलियां लगेंगी। इस बेल का तो उद्गम भी नहीं दिख रहा है।

उसे देख कर मैंने भी जमीन में सेम लगाई है। मेरी देखभाल से उम्मीद है कि यही बेल हर साल आयरन, मैग्निशियम से भरपूर सेम की फलियां देगी।   

        


2 comments:

Neelam Bhagi said...

विदुषी पत्रकार ,साहित्यकार तथा ब्लॉगर सुश्री नीलम भागी जी द्वारा सेम जैसी सामान्य सब्जी के संबंध में बहुत भावनात्मक, ज्ञान प्रदायक ब्लॉग लिखा गया जो मन मोह लेता है और वह सत्य के बहुत करीब है ।
सेम के संबंध में मेरे कुछ विचार निम्न प्रकार है।ज्ञ
प्रथम :-सेम की सब्जी अचार तथा सेब का पाग का रसास्वादन मैंने बचपन में किया था ।
सेम की सब्जी सूखी उसी प्रकार बनती है जैसे नीलम जी ने अंकित की है ।सेम का अचार दो प्रकार से बनाया जाता है। K.K.Dixit

Neelam Bhagi said...

हार्दिक धन्यवाद