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Friday 18 September 2020

गिलोय, गुडुची या अमृता नीलम भागी Giloy Neelam Bhagi


मेरी सहेली सुबह चटाई लेकर मुफ्त में लगने वाली योग की कक्षा, जो पार्क में लगती है, वहां जाती हैं। मुझे भी योग करने के फायदे समझाते हुए साथ चलने को कहती है। पर मैं रात को देर से सोती हूं और सुबह देर से उठती हूं इसलिये नहीं जाती। एक दिन वह चहकती हुई आई और बोली,’’अब तुम्हारा कोई बहाना नहीं चलेगा। योग सीखने वालों की संख्या बढ़ गई हैं इसलिए गुरू जी ने शाम को भी 5 से 6 बजे से योग कक्षा शुरू कर दी है। अब मैं शाम को तुम्हें लेकर ही जाउंगी। शाम को मैं चादर लेकर सहेली के साथ मुफ्त की योग कक्षा में गई। वहां अपनी चादर बिछा कर उस पर बैठ गई। गुरू जी की फिटनैस बहुत अच्छी थी। हेयरस्टाइल और दाढ़ी इस तरह थी कि उनका लुक आर्टिस्ट का लगता था। उनके आगे दातुन के साइज़ की गांठ वाली, अंगुली की मोटाई की भूरी राख जैसी कलमे सी पड़ीं थीं। उन्होंने   नए आने वालों का परिचय करवाया और पदमासन लगाना सिखाया जो मेरे जैसी मोटी के लिए लगाना बहुत मुश्किल हो रहा था। काफी कोशिश के बाद जब नहीं लगा तो उन्होंने सबके आगे प्रश्न उछाला,’’कोई मेरी उम्र बता सकता है?’’ 50 साल के गुरू जी को किसी ने भी 35 साल से कम और 40 से ज्यादा नहीं बताया। जैसे दिख रहे थे वैसे ही तो शिष्य बतायेंगे न। पर सब गलत। जब सब चुप हो गए तो इस टॉपिक को खत्म करने के मन से, मैंने कहा,’’आपकी उम्र 25 साल है, दो चार जो सफेद बाल झांक रहें हैं। ये तो आजकल टीन एज में ही हो जाते हैं।’’ सुन कर पहले गुरू जी मुस्कुराये फिर हाथ में वो कलम उठाई और बोले,’’ये सब योग और इस गिलोय के कारण हैं। इसे हम अमृता कहते हैं। वे तो उसके फायदे बताते जा रहे थे। सबसे बड़ा फायदा  शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाती है। एक बेल की टहनी दिखाई, जिस पर पान जैसे पत्ते लगे थे। इसका जड़, तना और पत्तियां सभी काम आती हैं जिससे जूस काढ़ा बनाया जाता है।  जुलाई अगस्त में इसकी कलम जमीन या गमले में गाड़ दो तो दो हफ्ते से 21 दिन में यह फूट जाती हैं। इसको सर्पोट की जरूरत होती है। जिस पेड़ पर भी यह फैलती हैं उसके गुण भी ले लेती है। सबसे फायदेमंद नीम के पेड़ पर फैलने वाली होती है। उसे नीमगिलोय कहते हैं। ढेरो लाभ बताने के बाद मेरे मतलब का लाभ उन्होंने बाद में बताया कि इसके सेवन से वजन भी कम होता है। सब एक एक कलम लेकर जाना। जाते ही जमीन या गमले की मिट्टी में दबा देना। घर आते ही मैंने अमृता को जमीन में गाड़ दिया। सर्दी आने तक उसने तो मेरे घर में आने वाली, धूप का आना बंद कर दिया। 93 साल की अम्मा को धूप जरूर चाहिए। माली से जड़ छोड़ कर सारा कटवा दिया, कलम कटवा कर योग कक्षा में बांट दी। वो फिर जड़ से फूटने लगी तब मैंने निकलवा कर सामने पार्क में लगवा दी। न ये सूखती है न मरती है। मेरे पड़ोस में जिसकी अमृता करेले की बेल के साथ है


वो करेलागिलोय, करेले की बेल की तरह नाजुक है। जिसकी अमरूद पर फैली है उस अमरूदगिलोय ने उसको ढक लिया। न सूखती है न मरती है इसलिए अमृता कहलाती है। टहनी तोड़कर लगा दो गमले में वह भी उग  जाती है।


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