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Friday 5 November 2021

गीता जन्मस्थली ज्योतिसर तीर्थ कुरुक्षेत्र 56वीं विशाल वैष्णों देवी यात्रा 2021 भाग 28 Vaishno Devi pilgrimage 2021 Neelam Bhagi

 


हमारी बसें यहां से रात आठ बजे सब यात्रियों के आने पर जलवाले गुरुजी के आदेश से चलीं। अब फिर दिमाग में आ गया कि पता होता कि यहां से आठ बजे निकलेंगे तो मैं हैलीकॉप्टर से वैष्णों देवी जा सकती थी। पर देरी का कारण तो छः बसों में किसी न किसी सहयात्री का लेट होना था। अगर सब यात्री होते और मैं लेट होती तो मेरे कारण सब परेशान होते न। पर मेरी यात्रा तो बहुत लाजवाब रही और दोबारा आने का भी मकसद मेरे पास है ’वो है वैष्णों माता का दर्शन करना।’ बस चली तो एक ही दिल में कसक थी कि अंधेरे के कारण रास्ते की खूबसूरती मिस कर रही थी। आरती भजन हुआ अशोक भाटी ने जल और मेवे का प्रशाद दिया। ओम पाल सिंह ने सबको बताया कि अब हमारी यात्रा अंतिम चरण में कुरुक्षेत्र की ओर चलती है। कुरुक्षेत्र में पहुंचने पर बताया गया कि आप ब्रह्मसरोवर में स्नान करके दर्शनीय स्थानों को देखकर लौटेंगे तो भंडारा तैयार मिलेगा। प्रसाद ग्रहण करके, आप सत्संग का भी लाभ उठाएंगे। और हमारी बस सारस्वत धर्मशाला, भगवान परशुराम धाम, उत्तरी तट ब्रह्म सरोवर  पर रुकती है। पास में ही ब्र्ह्मसरोवर था। जिसने वहां स्नान करना था वे वहां चल दिए। अचानक मन में विचार उठा कि कुछ साल पहले मैं यहां घूमने आई थी तब कैमरे में तस्वीरें लीं थीं। लौटने पर दुबई चली गई थी, तीन महीने बाद वहां से लौटी। फोटो कहीं मिस हो गई। पर उस यात्रा को ये सोच कर नहीं लिखा कि ये तो नौएडा के पास ही है। कभी दोबारा जाना होगा तो यात्रा का रिविजन भी हो जायेगा और फोटो भी ले लूंगी। आज इस यात्रा के कारण मौका मिल गया। सारस्वत धर्मशाला साफ सुथरी बहुत अच्छी बनी हुई थी।

यहां यात्री तीन दिन तक भोजन सहित निशुल्क रह सकते हैं। अजीत जी भंडारा बनाने में लग गए और नरेन्द्र और उनके साथी उनका सहयोग कर रहे थे।

मैं जल्दी से तैयार होकर बाहर आई तो तीन शेयरिंग आटो खड़े थे। मैंने एक से कहा,’’दो बजे तक जितना कुरुक्षेत्र दिखा दो। कितने पैसे?’’उसने जवाब दिया,’’एक सवारी 120रु औरों को ले आओ।’’इतने में तो ऑटो भर गए। ड्राइवर के बराबर जरा सी जगह खाली थी। मैं तुरंत बैठ गई।

ऑटो भी तुरंत चल पड़ा। ड्राइवर की खासियत थी कि वह साथ साथ कुरुक्ष्ेात्र का वर्णन करता जा रहा था। उसका कहना था कि कुरुक्षेत्र धार्मिक नगरी है। यहां तीर्थों की संख्या 360 मानी गई है। इतनी जगह के दर्शन करना बहुत कम यात्रियों के बस में है। हम ज्योतिसर तीर्थ की ओर जा रहे थे। 

 यह रेलवे स्टेशन से 8 किमी. दूर है और पेहवा जाने वाली सड़क पर है। शास्त्रानुसार यह स्थान ज्योतिश्वर महादेव का है। उन्हीं के नाम पर तीर्थ और ग्राम का नाम है। ऐसी भी मान्यता है कि यही वह पावन धरती है, जहां भगवान कृष्ण ने अर्जुन को गीता रुपी अमृतपान कराया था। 


यहां एक प्राचीन सरोवर और एक पवित्र अक्षय वट है जो भगवान श्रीकृष्ण के गीता उपदेश का एकमात्र साक्षी माना जाता है। दूसरा वट वृक्ष एक प्राचीन शिव मंदिर के भग्नावशेष पर खड़ा है। लगभग 150 साल पहले कश्मीर के नरेश ने शिव मंदिर का निर्माण करवाया था। दूसरा मंदिर पहले का बना है। सन् 1960 में स्व महाराजा दरभंगा ने अक्षय वट के चारों ओर चबूतरे का निर्माण करवाया और एक छोटे कृष्ण मंदिर का निर्माण किया। यहां का सरोवर अति पवित्र माना जाता है।





अब कुरुक्षेत्र विकास र्बोड ने वहां एक सुन्दर झील का निर्माण किया है। जिसे देख कर बहुत अच्छा लगता है। चप्पल की कोई टैंशन नहीं थी। उतरने से पहले ऑटोवाला मुझे कहता,’चप्पल ऑटो में उतार कर जाओ।’’  क्रमशः      


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