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Monday 29 August 2022

श्री श्री 1008 रावणेश्वर, बैजनाथ, हृदयपीठ, बाबाधाम यात्रा भाग 5 झारखण्ड नीलम भागी Baba Baidyanath Dham Deoghar Part 5 Neelam Bhagi

  


वैद्यनाथ ऐसा पवित्र स्थल है जहाँ द्वादश ज्योर्तिलिंग और शक्तिपीठ भी स्थापित है। जिसके कारण इस पवित्र शिव धाम की महत्ता देश भर में बहुत ज्यादा है। बाबा वैद्यनाथ की पावन भूमि में ही सति का हृदय भगवान विष्णु के सुर्दशन चक्र से खण्डित होकर गिरा था, जिसके कारण इसे हृदयपीठ के नाम से जाना जाता है। एक समय सती के पिता दक्ष ने कनखल में बहुत बड़ा यज्ञ किया। इस यज्ञ में दक्ष ने सभी देवताओं, ऋषियों को आमन्त्रित किया। जानबूझ कर जिसमें भगवान शिव व सती को नहीं बुलाया क्योंकि वे शिव को अपने बराबर नहीं समझते थे। सती बिना निमंत्रण के शिव जी से हठ करके पिता के घर  गई। जहां वे अपनेे पति का अपमान नहीं सह पाईं और यज्ञ कुंड में कूद गईं। शिवजी को जैसे ही पता चला, उन्होंने यज्ञ कुंड से मृत सती को निकाला और वे सति की देह को लेकर प्रलयंकारी तांडव करने लगे। ब्रह्माडं में हाहाकार मच गया। विष्णु ने सुदर्शन चक्र से सति के शरीर को 51 भागों में अलग किया। जो भाग जहां गिरा वह शक्तिपीठ बन गया। सती का मृत अंग टुकड़े टुकड़े होकर कई स्थानों पर गिरा। वैद्यनाथ धाम में सति का हृदय गिरने के कारण इस स्थान का विशेष महत्व है एवं सिद्धि आदि कार्यों के लिए इस शक्तिपीठ का विशेष महत्व है। इस शक्तिपीठ को जयदुर्गा तथा भैरव वैद्यनाथ के नाम से भी जाना जाता है तथा यह हृदयपीठ के नाम से प्रचलित है।
 https://youtu.be/9tqxoTVEBnY

   जब भगवान विष्णु द्वारा भगवान वैद्यनाथ की स्थापना हो गई तब भगवान विष्णु ने सोचा कि इस अघोर जंगल में शिव जी को जल कैसे चढ़ाएं और उनकी पूजा अर्चना आदि कौन करने आयेगा? उस समय देवघर में बैजू नामक ग्वाला रहता था। उसे विष्णु जी ने कहा कि जो शिवलिंग तुम देख रहे हो उस पर जल चढ़ाओगे तो तुम्हारी गाय खूब दूध देंगी। बैजू यह सुन कर बहुत प्रसन्न हुआ और वह नित्य बाबा की पूजा करने लगा। एक दिन बाबा की पूजा किए बिना उसने नाश्ता कर लिया याद आने पर दौड़ा हुआ गया और बाबा को जल चढ़ाया। बैजू की भक्ति से बाबा बहुत प्रसन्न हुए एवं बैजू से बोले,’’बालक! मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हूं जो भी वर मांगना हो मांगो।’’बैजू बोला,’’बाबा हमारी गाय खूब दूध देने लगें।’’ यह सुन कर बाबा बोले,’’ठीक है ऐसा ही होगा, कुछ और भी वर मांगो।’’ सुन कर बैजू परेशान हो गया वह ग्वाला तो दूध ही जानता था। वह कहने लगा,’’मां से पूछ कर आऊँ?’’बाबा बोले,’’ठीक है।’’बैजू जब अपनी माँ से पूछने गया तो उसने कहा,’’बेटा तूं महान है। जा बाबा से कहना कि तेरा नाम उनके नाम के साथ जोड़ा जाये।’’बैजू ने यही वर मांग लिया तब से इनका नाम बैजनाथ पड़ गया। मुझे लगता है तभी यहां की प्रसादी पेड़ा है और चाय वाला भी कुल्हड़ में पहले दूध फिर उसमें चाय का काढ़ा डालता है। दहीं का स्वाद तो यहाँ का है ही लाजवाब। पंडों के पास भी अपने यजमानों को दर्शन के साथ सुनाने की के लिए बहुत कथाएं हैं और उनकी हिम्मत के अनुसार पूजा की विधियां भी हैं।  

VIP दर्शन 





https://youtu.be/9tqxoTVEBnY

  यहाँ बाह्य अघ्घर््ा देने वालों की भी बहुत भीड़ थी। पूर्वी द्वार से बाहर आने के लिए सेवादारों से रास्ता पूछते पूछते हमने पूरा मंदिर परिसर घूम लिया कहीं दुर्गापूजा की तरह ढोल बज रहे हैं। यहां महिला कांवड़ियों की संख्या भी बहुत है। हम पूर्वी द्वार से बाहर आ गए। क्रमशः



1 comment:

Raj Sharma said...

अति उत्तम । श्री बैजनाथ धाम के दर्शन करने के उपलक्ष्य में बधाई