Search This Blog

Tuesday, 15 April 2025

गढ़मुक्तेश्वर धाम नीलम भागी

 


17 वर्ष प्रयागराज में रहने के कारण हमारे परिवार को गंगा जी से विशेष प्रेम है। पिताजी का मेरठ में तबादला होने के बाद, मेरी दादी और पिताजी का अंतिम संस्कार भी गढ़मुक्तेश्वर गंगा जी के किनारे किया गया। उम्र के 96वें वर्ष में अम्मा प्रयागराज का कुंभ मेला अखबार में पढ़ती रहती और गंगा जी को याद करती रहती थीं। उनकी भी इच्छा गंगा जी के किनारे संस्कार करवाने की थी। हमारा परिवार उन्हें वही ले गया 6 घंटे वहां हम गंगा जी के किनारे रुके। अम्मा  के फूल गंगा जी में प्रवाहित कर, वहां पवित्र गंगा स्नान कर  लौटे। मैं वहां संस्कार क्षेत्र में घूमती रही। लोगों की गंगा जी के प्रति श्रद्धा भावना भी महसूस करती रही। कुछ दुकानदार तो लावारिस शव  के लिए मुफ्त में लकड़ी भी देते हैं। गढ़मुक्तेश्वर धाम का हमारे धर्म में बहुत महत्व है।

महाभारत काल में हुए 18 दिन युद्ध के बाद की स्थिति से युधिष्ठिर कुछ विचलित हो गए तो श्री कृष्ण पाण्डवों के साथ गढ़ खादर के विशाल रेतीले मैदान में आए। कार्तिक शुक्ल अष्टमी को पाण्डवों ने स्नान किया और कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी तक गंगा किनारे यज्ञ किया। इसके बाद दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए दीपदान करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है। भारत देश भक्ति से जुड़ा हैं। इस दिन बहादुर सैनिक जो भारत के लिए लड़ते हुए शहीद हो गए हैं उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है।  गढ़ मुक्तेश्वर में गंगा किनारे स्थित देवी गंगा को समर्पित मुक्तेश्वर महादेव मंदिर, गंगा मंदिर, मीराबाई की रेती, गुदडी़ मेला, बृज घाट, झारखंडेश्वर महादेव, कल्याणेश्वर महादेव का मंदिर आदि दर्शनीय स्थल हैं। यहाँ गंगा स्नान पर्व भी होता है। गढ़मुक्तेश्वर से 3 किमी की दूरी पर   ब्रजघाट पर्यटन का मुख्य केंद्र है। वर्ष भर केवल ब्रजघाट में ही गंगा स्नान होता है। यहाँ के नवनिर्मित गंगा घाट, फव्वारा लेजर शो,घंटाघर, गंगा आरती,प्राचीन हनुमान मंदिर,वेदांत मंदिर,अमृत परिषर मंदिर आकर्षण के मुख्य केंद्र हैं।

बृजघाट के संस्कार क्षेत्र में बहुत काम की आवश्यकता है। प्रशासन को इस ओर ध्यान देना चाहिए। गंगा मां है और मां का कोई रूप नहीं होता। इसका ये मतलब नहीं की आसपास के परिवेश का ध्यान न दिया जाए। मैंने जो देखा और महसूस किया मुखाग्नि से लेकर कपाल क्रिया तक लोग चुपचाप बैठे, गंगा जी  को निहारत रहते हैं और अपने परिजन को पंच तत्वों में विलीन होते देखते रहते हैं। फिर गंगा जी में डुबकियां लगाते हैं और तैरते हैं। तब तक फूल प्रवाहित करने  का समय हो जाता है। फूल गंगा जी ले जाती हैं और परिवार को दुख को सहने की शक्ति देती हैं।


#garh






No comments: