मैंने राजीव जी से पूछा क़ि उत्कर्षनी वशिष्ठ ( दो राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित स्क्रिप्ट राइटर और डायलॉग राइटर फिल्म गंगूबाई काठियावाड़ी) के मित्रों को पता है कि यह अंतरराष्ट्रीय लेखिका है. उन्होंने कहा, " जब गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म का बर्लिन में प्रीमियर हुआ था तो मैं समझ गया था क़ि यह फिल्म शायद ही कोई अवार्ड लेने से वंचित होगी यानी सभी पुरस्कार ले जाएगी ." उत्कर्षनी बर्लिन गई थी तो उनके मित्र परिवारों ने 6 महीने की दित्त्या और गीता को संभालने में राजीव की मदद की.
राजीव बताने लगे कि मैंने पहले दिन पहले शो की, सबके लिए टिकटे खरीदी और सबको गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म दिखाने लेकर गया. उत्कर्षनी ने घर में रहकर, बच्चों को संभाला और सबके लिए डिनर तैयार किया. उसे पूरा विश्वास था कि इस फिल्म को देखने के बाद ऐसा हो ही नहीं सकता कि उसे मुबारकबाद देने सब घर न आयें. यह अलग-अलग देशों के विदेशी, सिनेमा देखने के तो शौकीन हैं पर वे यह नहीं जानते थे कि भारतीय सिनेमा में कौन सी मूवी देखें. ये अपनी भाषा की देख लेते हैं और विदेशी अवार्ड प्राप्त फ़िल्म देख लेते हैं, सबटाइटल पढ़ते हुए . गंगूबाई का तो आज पहला दिन था. सबटाइटल पढ़ते हुए इन्होंने गंगूबाई काठियावाड़ी फिल्म देखी और सराहना में सब उत्कर्षनी से मिलने आए और बधाइयां दी. राजीव खुद भी डायरेक्टर हैं. वह कहने लगे, उनके चेहरे पर फिल्म देखने के बाद जो भाव था, उसे मैं बता नहीं सकता और न ही दुनिया का कोई एक्टर, उस भाव की एक्टिंग कर सकता है क्योंकि प्रशंसा के भाव तो उनके दिल से फूट रहे थे. वे सब बहुत प्रसन्न हैं कि उनके बीच में इतनी प्रतिभाशाली लेखिका है.
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