शनिवार को कुलवर सिटी पार्क में कम से कम 3 घंटे बिताते थे. गीता के कुंग फू की क्लास होती है. वह 2 घंटे उसमें रहती फिर आकर पार्क में झूलों में मर्जी से खेलती. दित्या, उत्कर्षनी और मैं पार्क में बैठते. दित्त्या झूलती. मैं और उत्कर्षनी अपने-अपने कामों में लग जाते थे. वह कॉल लेना और पढ़ना करती. मैं लोगों को देखना आदि करती. कभी राजीव आते तो उत्कर्षनी घर रहती और अपना लेखन निपटाती. यहां पार्क बहुत हैं और रिहायशी समिति के वॉकिंग डिस्टेंस में है. लेकिन छोटे बच्चों के साथ पैदल नहीं आया जा सकता. लोग फिटनेस पर बहुत ध्यान देते हैं इसलिए साइकिल पर पति-पत्नी में से कोई भी या कभी-कभी पूरा परिवार भी दिखता है. जो नहीं आता है, वह अपने काम निपटाता है. दूसरा साइकिल चलाते हुए छोटे बच्चों के लिए साइकिल के पीछे एक चाइल्ड ट्रेलर लगा होता है, उसमें बच्चे को और उसका जरूरी सामान रख कर पार्क में आ जाते हैं. बच्चा भी खुश रहता है सड़क के नजारे देखा हुआ पार्क में आता है रंग-बिरंगे झूलों पर बच्चों की किलकारियां सुनकर खुश होता है. एकल परिवार है इसलिए पति-पत्नी के काम में कोई अंतर नहीं है. आपसी सहयोग से काम होता है. अगर बच्चा पापा के साथ आया है तो वहीं उसका खाना, पीना, ख़िलाना, नैपी बदलना करता है. थक कर बच्चा सो भी जाता है. साइकिल के पीछे बहुत मजबूती से चाइल्ड ट्रेलर साइकिल द्वारा खींचे जाने के लिए डिजाइन किया गया एक उपकरण, जिसका उपयोग आमतौर पर छोटे बच्चों को ले जाने के लिए किया जाता है, ताकि वे साइकिल चालक के साथ चल सकें। 👍
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