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Tuesday 26 October 2021

बाबा धनसर, 56वीं विशाल वैष्णों देवी यात्रा 2021 भाग 22 Vaishno Devi pilgrimage 2021 Neelam Bhagi

 

अशोक शर्मा ने साइड में ऑटो रोका और सड़क पार एक चाय की दुकान से चाय बनवाने लगा। चायवाले ने पूछवाया कि चीनी कितनी? मैंने जवाब दिया,’’अपनी मर्जी से बढ़िया चाय।’’चाय लाजवाब थी। ऑटो पर ही बैठ कर मैंने पी। अशोक ने बताया कि अब सबसे पहले वह बाबा धनसर लेकर जा रहा है। ये जम्मू कश्मीर के रियासी जिले में कटड़ा से 17 किमी. दूर सलाल डैम के रास्ते में है। अशोक की विशेषता थी कि धीरे चलाता था शायद इसलिए की मैं पूछती बहुत थी। उसे बताना भी पड़ता और यदि किसी रास्ते में कोई घटना या दुर्घटना पहले घटी होती तो वह भी बताता। रास्ता तो शिवखोड़ी जैसा बेहद खूबसूरत। ऑटो रुका, उसने साइड पर लगाया। वहां अभी छोटी छोटी जो दुकाने थीं, वे अभी बंद थीं। सड़क से लगभग 200 मी नीचे सीढ़ियों से उतराई थी। तीन छोटी बसें वहां पर खड़ीं थीं।


मैं सीढ़ियां उतरती जा रही थी। मेरे बायीं ओर हरी घाटी थी और उसमें झरना गिर रहा था जो आगे हरियाली में #करुआ झील बना रहा था।

काफी सीढ़ियां उतरने पर अब साइड में जाली और फाइबर की छत थी।


लगातार करुआ झरना सुरम्य झील में पड़ रहा था। गुफा थी, छोटा सा मंदिर जिसमें प्राकृतिक शिवलिंग है। नागराज उनके परिवार की प्रतिमाएं और बाबा धनसर की प्रतिमा थी। यहां मैं अपनी आदत के अनुसार नहीं बैठी क्योंकि अब मुझेे याद आया कि जब मैं आ रही थी तो मुझे सीढ़ियों पर कोई नहीं मिला। अब ये तीनों बसों की सवारियां मेरे जाते ही लौट गईं। जब मैं वापिस चलने को हुई तो सोचने लगी इतनी सीढ़ियां चढ़नी है!! खै़र चढ़ने लगी। अब विस्मय विमुग्ध सी दायीं ओर देखती चढ़ रही थी। आवाज वहां सिर्फ कलकल पत्थरों के बीच बहते पानी की आ रही थी।


बीच में बस तीन दुकानें थीं। अब मैं थक भी गई थी। सोचा वहां जाकर बैठूंगी। और याद आया फोटो तो मैंने कोई ली ही नहीं। वापिस लौटना स्थगित किया क्योंकि अभी तक जिस भी मंदिर में गई थी। मंदिर के अंदर फोटो लेना मना था। यहां भी हो सकता मना हो। 4 बजे तक मुझे बस में भी पहुंचना था। अभी तो पहली जगह में ही हूं। यहां से ही मैंने फोटो लेनी शुरु कर दी। और जो मैं देख कर आ रही हूं, वह तो मेरे जे़हन में उतर गया है। मैं दुकान के पास खड़ी हुई। उसने स्टूल दिया बैठ गई। जूस लिया और बाबा धनसर के बारे में उनसे पूछने लगी तो वे बताने लगे की ऐसी मान्यता है कि शिवजी अपनी अमरता की कहानी पार्वती को बताने के लिए अमरनाथ गुफा ले गए तो उन्होंने अपने शेषनाग को अनंतनाग में छोड़ दिया। शेषनाग ने मनुष्य रुप धारण कर लिया और उनका नाम वासुदेव था। उनका एक पुत्र धनसर हुआ, वे ऋपि बन गए। एक राक्षस था जो करुआ झरने के पास रहता था। वह करुआ गांव के लोगों पर बहुत अत्याचार करने लगा। ग्रामीणों ने राक्षस से छुटकारा पाने के लिए बाबा धनसर से गुहार की। आगे बाबा धनसर ने भगवान शिव से मदद के लिए प्रार्थना की। भोलेनाथ यहां पहुंचे और दानव को मारने में मदद की। इसके बाद इस जगह का नाम बाबा धनसर पड़ गया। शिवरात्री को यहां मेला लगता है। बड़ी संख्या में लोग यहां आते हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां सच्चे मन से जो भी मनोकामना करो वह पूरी होती है। मैं यहां के प्राकृतिक सौन्दर्य में इस कदर खो गई थी कि भगवान से कुछ मांगना ही याद नहीं रहा। और अपने देवों पर असीम श्रद्धा आने लगी। जिनके दर्शन के लिए हम देवभूमि पर आकर इतने समृद्ध प्राकृतिक सौन्दर्य का आनन्द उठाते हैं।


बाबा धनसर का मंदिर वैष्णों देवी धाम से कुल 23 किमी की दूरी पर है।

जम्मू का रानीबाग एयरर्पोट बाबा धनसर का नज़दीकी एयरर्पोट है। जम्मू से कटरा पहुंचा जा सकता है जिसकी दूरी 50 किमी. है। कटरा से आना तो आसान है। मैं भी तो आई हूं। जैसे ही ऊपर आई तो यह देख कर अच्छा लगा जो सड़क में गड्डा था, वह भरा जा रहा था। आकर ऑटो में बैठी। क्रमशः