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Sunday, 23 November 2025

आयु में गर्व, जीवन में गरिमा Pride in age, dignity in life-💐👍

 


आयु में गर्व, जीवन में गरिमा- विषय के अंतर्गत ब्रह्माकुमारी सेवा केंद्र, सेक्टर 46, नोएडा द्वारा रविवार को सेक्टर 56 स्थित लक्ष्मीनारायण मंदिर सभागार में वरिष्ठ नागरिकों के सम्मान में भव्य समारोह आयोजित किया गया। उद्देश्य था - समाज में वरिष्ठजनों के अनुभव, योगदान एवं प्रेरणा को नया सम्मान और मंच प्रदान करना।

समारोह में मुख्य अतिथि डीआरडीओ के प्रमुख वैज्ञानिक श्री रविन्द्र जैन ने अपने संबोधन में कहा कि “आयु केवल एक अंक है। जब तक कोई स्वस्थ और प्रेरित है, वह समाज के लिए प्रेरक शक्ति बन सकता है।” उन्होंने  वरिष्ठ नागरिकों (समाज के लगभग दस प्रतिशत) के सशक्त भूमिका निभाने की आवश्यकता पर बल दिया।

जनकपुरी, दिल्ली से पधारी वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका बीके सरला दीदी ने कहा कि सकारात्मक सोच, मुस्कान और श्रेष्ठ संस्कार जीवन को सुंदर बनाते हैं।राजयोगिनी बीके लीना दीदी ने वरिष्ठों को आत्मसम्मान बनाए रखने और युवाओं को दिशा देने का आह्वान किया। उन्होंने  यह भी कहा कि वृद्धावस्था निष्क्रियता की नहीं, बल्कि अनुभवी दिशा देने की अवस्था है।

समारोह में हल्के व्यायाम,  संवाद,  ध्यान योग एवं प्रेरक गीतों के माध्यम से जीवन की ऊर्जा को रेखांकित किया गया।

कार्यक्रम के अंत में सभी ने यह संदेश ग्रहण किया—“बुढ़ापा नहीं, परिपक्वता है; आयु का बढ़ना कोई गिरावट नहीं, बल्कि इंसान के भीतर अधिक ज्ञान और संवेदनशीलता का निखार है।” वरिष्ठ नागरिकों ने नई ऊर्जा के साथ कहा—“हम उम्रदराज़ नहीं, अनुभवी हैं—और इस पर हमें गर्व है।”

ध्यान सत्र के उपरांत ब्रह्माकुमारी बहनों ने सभी वरिष्ठजनों का सम्मान किया और प्रसाद का वितरण किया। इस प्रेमपूर्ण माहौल ने उपस्थितजनों के मन को छू लिया।

ब्रह्माकुमारी सेंटर, सेक्टर 46, नोएडा

फोन: 7986519538

नोएडा, 23 नवम्बर (संवाददाता : पंकज माथुर मीडिया संयोजक ब्रह्माकुमारी नोएडा)









Monday, 6 November 2023

मीडिया महासम्मेलन एवं रिट्रीट 2023 5 से 9 मई 2023, ज्ञान सरोवर माउंट आबू राजस्थान भाग 6 नीलम भागी

 


https://youtu.be/IXstm355gGI?si=odjJoPo3aPefVXqH



इस महासम्मेलन से मैं एक अलग सी अनुभूति लेकर लौटी थी, जिसे लिखने में असमर्थ हूं। लौटते ही मैंने अपने  काम पूरे किए ताकि जो मैंने यहां महसूस किया था, कोशिश करूं  कि उसे वैसा ही लिख पाऊं। पांच भागों के बाद 20 मई को मेरा एक्सीडेंट हो गया था। बाईं बाह में प्लास्टर और दांई कलाई पूरी तरह जख्मी थी। माथे, सिर पर टांके थे। डेढ़ महीने बाद प्लास्टर कटा। फिजियोथैरेपी शुरू एक हाथ बिल्कुल भी चल नहीं रहा था। अब थोड़ा चलने लगा है एक हाथ से ही लैपटॉप पर लिखना शुरू किया। इसी बीच मेरी बहन की कैंसर से मृत्यु हो गई। दो शोध पत्र लिखें क्योंकि इनकी समय सीमा थी। 24 सितंबर को हरिद्वार में संगोष्ठी  अटेंड की ।उसके बाद  आत्मविश्वास आ गया। अब जरूरी लेखन समय से पहले भेजा।  इसको लिखने बैठी हूं। दुर्घटना में मोबाइल का भी नुकसान पहुंचा। उसमें मेरी महासम्मेलन की फोटो, नोट्स वगैरहा थे। पहले तो बहुत दुखी हुई। वह इसलिए की हर एक सत्र बहुत विशेष था कैसे लिखूंगी! मैं समय पर पहुंचती और समापन पर ही उठती। देर से सोने वाली और देर से उठने वाली मैं सुबह 6:45 पर तैयार होकर मेडिटेशन के लिए भी जाती थी। फिर अपने मन को समझाया कि मैं कौन सा मरने वाली हूं। मरना होता तो दुर्घटना  में मर जाती। अपनी मेमोरी को रिवर्स कर रही हूं। कुछ तस्वीरें ढूंढ रही हूं और कोशिश कर रही हूं कि जैसा सोच कर आई थी वैसा लिखा जाए। विद्वान वक्ताओं को सुना है जो  बड़े सौभाग्य की बात है। ईश्वर चाहेगा तो फिर अटेंड कर लूंगी। अभी खूबसूरत परिसर के इस वीडियो को देखा तुरंत अपने मन का भाव लिख दिया है। इसमें प्रशंसनीय है बिल्ड अप फर्नीचर! जिसके लिए पेड़ों को नहीं काटा गया और लगातार काम चल रहा है। बिना घास को नुकसान पहुंचाए, आप घूम सकते हैं। इसके अंदर जाने से समय का पता ही नहीं चल रहा था। अब 5 मई शाम को 4:00 बजे रिसेप्शन सत्र में हार्मनी हाल में जाती हूं। क्रमशः

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