Search This Blog

Showing posts with label #Vaishno Devi. Show all posts
Showing posts with label #Vaishno Devi. Show all posts

Monday 4 October 2021

56वीं विशाल वैष्णों देवी यात्रा 2021 भाग 1 Vaishno Devi pilgrimage 2021 नीलम भागी

 


हुआ यूं कि कुछ साल पहले अंजना वैष्णों देवी की यात्रा करके आई तो परिवार बैठ कर उससे यात्रा वृतांत सुनने लगा। उसने सुनाते समय बताया कि बहुत कठिन चढ़ाई है। वह घोड़े पर गई थी। घोड़े पर बैठे बैठे भी वह थक गई थी। अम्मा ने उससे पूछा,’’माता रानी सबकी इच्छा पूरी करती है। तूने माता रानी से क्या इच्छा की?’’उसने जवाब दिया,’’मैंने देवी माता से विनती की कि माता रानी नीलम को मत बुलाना वो मोटी है। कैसे कठिन चढ़ाई करेगी!!’’वो दोबारा भी वैष्णों देवी की यात्रा कर आई। पर किसी न किसी कारण से मेरा ही जाना नहीं हुआ। 16 महीने कपूरथला रही, कई बार, चण्डीगढ़ गई तब भी वैष्णों देवी यात्रा न जा पाई। अब देश विदेश की यात्रा करती हूं। जब किसी से यात्राओं की बातें होतीं हैं तो मुझे कोई भी ऐसा नहीं मिला, जिसने वैष्णों देवी की यात्रा न की हो। यहां मैं अपनी पहचान के और परिवार के लोगों के बारे में लिख रही हूं। लॉक डाउन से पहले मार्च में जयपुर जा रहे थे। अंकुर ने कह रखा था,’’ अप्रैल के पहले हफ्ते आप कोई अपना प्रोग्राम नहीं बनाना क्योंकि हम सब  भूटान जा रहें हैं।’’ उन्हीं दिनों मेरे कुछ परिचितों ने बताया कि वैष्णों देवी यात्रा अब बहुत आसान हो गई है। पवन हंस से जा सकते है और बैटरी कार भी चल गई है। इसलिए वे मां के दर्शन कर आएं हैं। उनके द्वारा वहां के मनोहारी, प्राकृतिक सौन्दर्य को सुनकर मैंने ठान लिया था कि मैं भूटान से लौटने के बाद वैष्णों देवी यात्रा पर जाउंगी। लॉकडाउन लगते ही  जयपुर और भूटान का रिफंड आ गया। कोरोना की दूसरी लहर का प्रभाव कम होने पर जब यात्राओं पर जाना शुरु हो गया तब मैं भी यात्रा के लिए साथ ढंूढने लगी। परिवार में जिससे भी पूछती तो एक ही जवाब मिलता पहले भारत दर्शन पूरा कर लें। सेकण्ड राउण्ड में पहला नम्बर वैष्णों देवी यात्रा का। मैं कब तक इंतजार करुं!! अचानक वाट्सअप पर मैसेज में कार्ड आया।


जिसमें 56वीं विशाल वैष्णों देवी यात्रा 2021 और 8500रु में रहना, खाना भी और पता नौएडा का। मुझसे बस यही पढ़ा गया और दिमाग में छप गया कि 55 बार ये यात्रा करवा चुकें हैं। मैंने अंकुर को फोन किया कि मैं इस यात्रा में जाउंगी। उसने जवाब दिया,’’ नहीं जाना है क्योंकि कोरोना अभी गया नहीं है। मैं आपको लेकर जाउंगा।’’उसकी न होते ही, मैंने मैसेज़ में छपे मोबाइल नम्बर पर ओमपाल सिंह गोर को फोन किया। सुनते ही उन्होंने कहा कि मैं आपको जानता हूं। आपसे बात भी की है, देख कर याद आ जायेगा। ये सुनते ही मैंने कहा कि मैं जाउंगी। मैंने यात्रा के बारे में पूछा। उन्होंने बताया कि,’’ये रविवार 26 सितम्बर को चलेगी और 3 अक्टूबर वापिस आयेगी। खर्च है 3,500रु(मैंने गलती से 3 को 8 पढ़ लिया था) इस बार 6 बसे जायेंगी। ये यात्रा जलवाले गुरु जी के सानिध्य में जाती हैं। कई बार तो 90 बसे हो जाती हैं। साल में दो बार ये यात्रा जाती है। ओमपाल को जाने के लिए हां करने के बाद, मैंने श्वेता को फोन पर बताया कि मैं जा रही हूं। अंकुर को मैं हरिद्वार पहुंचने पर फोन कर दूंगी, उसे मत बताना। जाने से दो दिन पहले मैंने सारा दिन अंकुर के घर, वहां शाश्वत, अदम्य के साथ बिताया। अंकुर वर्क फ्राम होम कर रहा था। शाम को श्वेता बैंक से आई। उसने मुझे यात्रा में काम आने वाला सामान का बैग चुपचाप दिया। अब मुझे सिर्फ अपने कपड़े लगाने थे। फिर जब अंकुर बड़े लाड से मेरे पास बैठा तो श्वेता ने इशारा किया कि इनको भी बता दो। मैंने बताया तो कुछ देर चुप रहा फिर बोला,’’ आप दर्शन के लिए हैलीकॉपटर से जाओगी। जब वहां पहुंचोगी तो बता देना मैं ऑन लाइन बुक कर दूंगा।’’ 26 सितम्बर को 4 बजे मैंने ओमपाल की बताई जगह से यात्रा के लिए 5 नम्बर बस पकड़ी। मेरे बराबर सुमित्रा रावत बैंठीं थीं।

उन्होंने मुझसे पूछा,’’आप कितनी बार वैष्णों देवीं यात्रा कर आईं?’’मैं बोली,’’पहली बार जा रहीं हूं और आप?’’उन्होंने जवाब दिया कि इनके साथ पचासों बार। क्रमशः       

कृपया मेरे लेखन को प्रोत्साहित करने के लिए दाहिनी ओर follow ऊपर क्लिक करें और नीचे दिए बॉक्स में जाकर comment करें। हार्दिक धन्यवाद